भूवैज्ञानिक महत्व
जारोसाइट एक दुर्लभ पीला खनिज है जो लौह, सल्फर, पोटैशियम और जल के परस्पर क्रिया से बनता है। यह सामान्यतः ज्वालामुखीय गतिविधि से जुड़ा होता है।
मटनोमढ़ (कच्छ) में इसका निर्माण लगभग 5.5 करोड़ वर्ष पहले (पैलियोसीन काल) हुआ, जब ज्वालामुखीय राख समुद्री जल से मिली।
यह स्थिति मंगल ग्रह जैसी है, जहाँ नासा के अपॉर्च्युनिटी रोवर ने 2004 में पहली बार जारोसाइट खोजा था। इससे संकेत मिलता है कि प्राचीन कच्छ में मंगल जैसे पर्यावरणीय और रासायनिक हालात रहे होंगे।
Static GK तथ्य: जारोसाइट का नाम 1852 में स्पेन की जारोसो घाटी के नाम पर रखा गया था।
मटनोमढ़ एक मंगल समान स्थल के रूप में
मटनोमढ़ विरल आबादी और कठोर भू-भाग वाला क्षेत्र है, जो इसे मंगल ग्रह के समान स्थल (Mars analogue site) बनाता है।
यहाँ की मिट्टी जारोसाइट मिश्रित होने से गीली होने पर फैलती है, जो मंगल की मिट्टी जैसा व्यवहार दिखाती है।
यह क्षेत्र वैज्ञानिकों को रोवर गतिशीलता, ड्रिलिंग और भू–रासायनिक उपकरणों का परीक्षण करने का अवसर देता है।
Static GK टिप: कच्छ ज़िला रण ऑफ कच्छ के लिए भी प्रसिद्ध है, जो सफेद नमक के रेगिस्तान और मौसमी आर्द्रभूमि के कारण जाना जाता है।
इसरो की ग्रह अन्वेषण पहल
इसरो भारत में ग्रह विज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित कर रहा है।
- मटनोमढ़ के साथ-साथ, हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE), लद्दाख भी मंगल जैसे वातावरण का अनुकरण करता है।
- हाल ही में, दो शोधकर्ताओं ने 4,500 मीटर ऊँचाई पर स्थित मंगल आवास प्रतिकृति में 10 दिन बिताए, जहाँ उन्हें कम ऑक्सीजन और शून्य से नीचे तापमान का सामना करना पड़ा।
ये स्थल इसरो के मंगलयान-2 मिशन के लिए उपकरणों और मानव कारकों पर अध्ययन का केंद्र हैं।
Static GK तथ्य: भारत का पहला मंगल मिशन मंगलयान-1 (2013) एशिया का पहला सफल मंगल ऑर्बिटर मिशन था।
खगोलजीव विज्ञान के लिए महत्व
जारोसाइट की उपस्थिति पानी की गतिविधि का संकेत देती है, जो संभावित जीवयोग्यता (habitability) के लिए महत्त्वपूर्ण है।
यह खनिज कार्बनिक अणुओं और आवश्यक तत्वों को संरक्षित कर सकता है, जिससे खगोलजीव विज्ञान अनुसंधान को गहरा लाभ मिलता है।
कच्छ की परतों का अध्ययन मंगल के प्राचीन पर्यावरण और वहाँ जीवन की संभावना पर नए दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है।
संरक्षण और भू-धरोहर महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से मटनोमढ़ का महत्त्व बहुत बड़ा है, लेकिन इसे जलभराव और कोयला खनन से खतरा है।
विशेषज्ञों ने इसे ग्रहीय भू–धरोहर स्थल घोषित करने की सिफारिश की है ताकि आने वाले समय में यह अंतरिक्ष अनुसंधान और भू–विज्ञान दोनों के लिए संरक्षित रह सके।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| खोजा गया खनिज | जारोसाइट |
| स्थान | मटनोमढ़, कच्छ ज़िला, गुजरात |
| भूवैज्ञानिक युग | पैलियोसीन काल, 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व |
| मंगल पर पहली खोज | नासा अपॉर्च्युनिटी रोवर, 2004 |
| इसरो का मंगल समान स्थल (लद्दाख) | हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE) |
| HOPE प्रयोग | 4,500 मीटर पर 10-दिन का मंगल आवास सिमुलेशन |
| जारोसाइट का महत्व | पानी की गतिविधि का संकेत, कार्बनिक अणु संरक्षित करना |
| मटनोमढ़ की चुनौतियाँ | जलभराव और कोयला खनन |
| प्रस्तावित दर्जा | ग्रहीय भू-धरोहर स्थल |
| संबंधित इसरो मिशन | मंगलयान-2 |





