नवम्बर 5, 2025 8:03 अपराह्न

कच्छ में जारोसाइट की खोज

चालू घटनाएँ: जारोसाइट खोज, मटनोमढ़ कच्छ, इसरो मंगलयान-2, मंगल ग्रह समान स्थल, ज्वालामुखीय राख निक्षेप, ग्रह विज्ञान, खगोलजीव विज्ञान अनुसंधान, अपॉर्च्युनिटी रोवर, हिमालयन आउटपोस्ट HOPE, भू-धरोहर संरक्षण

Jarosite Discovery in Kutch

भूवैज्ञानिक महत्व

जारोसाइट एक दुर्लभ पीला खनिज है जो लौह, सल्फर, पोटैशियम और जल के परस्पर क्रिया से बनता है। यह सामान्यतः ज्वालामुखीय गतिविधि से जुड़ा होता है।
मटनोमढ़ (कच्छ) में इसका निर्माण लगभग 5.5 करोड़ वर्ष पहले (पैलियोसीन काल) हुआ, जब ज्वालामुखीय राख समुद्री जल से मिली।
यह स्थिति मंगल ग्रह जैसी है, जहाँ नासा के अपॉर्च्युनिटी रोवर ने 2004 में पहली बार जारोसाइट खोजा था। इससे संकेत मिलता है कि प्राचीन कच्छ में मंगल जैसे पर्यावरणीय और रासायनिक हालात रहे होंगे।
Static GK तथ्य: जारोसाइट का नाम 1852 में स्पेन की जारोसो घाटी के नाम पर रखा गया था।

मटनोमढ़ एक मंगल समान स्थल के रूप में

मटनोमढ़ विरल आबादी और कठोर भू-भाग वाला क्षेत्र है, जो इसे मंगल ग्रह के समान स्थल (Mars analogue site) बनाता है।
यहाँ की मिट्टी जारोसाइट मिश्रित होने से गीली होने पर फैलती है, जो मंगल की मिट्टी जैसा व्यवहार दिखाती है।
यह क्षेत्र वैज्ञानिकों को रोवर गतिशीलता, ड्रिलिंग और भूरासायनिक उपकरणों का परीक्षण करने का अवसर देता है।

Static GK टिप: कच्छ ज़िला रण ऑफ कच्छ के लिए भी प्रसिद्ध है, जो सफेद नमक के रेगिस्तान और मौसमी आर्द्रभूमि के कारण जाना जाता है।

इसरो की ग्रह अन्वेषण पहल

इसरो भारत में ग्रह विज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित कर रहा है।

  • मटनोमढ़ के साथ-साथ, हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE), लद्दाख भी मंगल जैसे वातावरण का अनुकरण करता है।
  • हाल ही में, दो शोधकर्ताओं ने 4,500 मीटर ऊँचाई पर स्थित मंगल आवास प्रतिकृति में 10 दिन बिताए, जहाँ उन्हें कम ऑक्सीजन और शून्य से नीचे तापमान का सामना करना पड़ा।
    ये स्थल इसरो के मंगलयान-2 मिशन के लिए उपकरणों और मानव कारकों पर अध्ययन का केंद्र हैं।
    Static GK तथ्य: भारत का पहला मंगल मिशन मंगलयान-1 (2013) एशिया का पहला सफल मंगल ऑर्बिटर मिशन था।

खगोलजीव विज्ञान के लिए महत्व

जारोसाइट की उपस्थिति पानी की गतिविधि का संकेत देती है, जो संभावित जीवयोग्यता (habitability) के लिए महत्त्वपूर्ण है।
यह खनिज कार्बनिक अणुओं और आवश्यक तत्वों को संरक्षित कर सकता है, जिससे खगोलजीव विज्ञान अनुसंधान को गहरा लाभ मिलता है।
कच्छ की परतों का अध्ययन मंगल के प्राचीन पर्यावरण और वहाँ जीवन की संभावना पर नए दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है।

संरक्षण और भू-धरोहर महत्व

वैज्ञानिक दृष्टि से मटनोमढ़ का महत्त्व बहुत बड़ा है, लेकिन इसे जलभराव और कोयला खनन से खतरा है।
विशेषज्ञों ने इसे ग्रहीय भूधरोहर स्थल घोषित करने की सिफारिश की है ताकि आने वाले समय में यह अंतरिक्ष अनुसंधान और भूविज्ञान दोनों के लिए संरक्षित रह सके।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
खोजा गया खनिज जारोसाइट
स्थान मटनोमढ़, कच्छ ज़िला, गुजरात
भूवैज्ञानिक युग पैलियोसीन काल, 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व
मंगल पर पहली खोज नासा अपॉर्च्युनिटी रोवर, 2004
इसरो का मंगल समान स्थल (लद्दाख) हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE)
HOPE प्रयोग 4,500 मीटर पर 10-दिन का मंगल आवास सिमुलेशन
जारोसाइट का महत्व पानी की गतिविधि का संकेत, कार्बनिक अणु संरक्षित करना
मटनोमढ़ की चुनौतियाँ जलभराव और कोयला खनन
प्रस्तावित दर्जा ग्रहीय भू-धरोहर स्थल
संबंधित इसरो मिशन मंगलयान-2

Jarosite Discovery in Kutch
  1. जारोसाइट, एक दुर्लभ पीला खनिज, कच्छ के मतानोमध में खोजा गया।
  2. 5 करोड़ वर्ष पूर्व पैलियोसीन काल के दौरान निर्मित।
  3. ज्वालामुखी की राख के समुद्री जल के साथ मिलने से निर्मित।
  4. मंगल ग्रह पर पहली खोज नासा के ऑपर्च्युनिटी रोवर द्वारा 2004 में की गई थी।
  5. यह पृथ्वी और मंगल पर समान पर्यावरणीय परिस्थितियों का संकेत देता है।
  6. जारोसाइट का नाम 1852 में स्पेन के जारोसो घाटी के नाम पर रखा गया था।
  7. मतानोमध प्रयोगों के लिए एक आदर्श मंगल ग्रह के अनुरूप स्थल है।
  8. जारोसाइट के साथ मिश्रित मिट्टी मंगल ग्रह की मिट्टी की तरह फैलती है।
  9. यह क्षेत्र रोवर्स, ड्रिल और भू-रासायनिक उपकरणों के परीक्षण में मदद करता है।
  10. ग्रह विज्ञान, खगोल जीव विज्ञान और खनिज अनुसंधान में सहायक है।
  11. लद्दाख में इसरो का HOPE मंगल ग्रह के तापमान और वायुमंडल का अनुकरण करता है।
  12. HOPE स्थल पर 10-दिवसीय मंगल आवास सिमुलेशन किया गया।
  13. दोनों स्थल मंगलयान-2 ग्रहीय मिशन की तैयारी कर रहे हैं।
  14. 2013 में मंगलयान-1 ने भारत को पहला एशियाई मंगल राष्ट्र बनाया।
  15. जारोसाइट निक्षेप अतीत में जल गतिविधि के प्रमाण दर्शाते हैं।
  16. खगोल जीव विज्ञान, अणुओं को फँसाने और आवास योग्यता अध्ययनों के लिए मूल्यवान।
  17. कच्छ में कच्छ का रण नामक सफेद रेगिस्तान भी स्थित है।
  18. मतनोमध को जलभराव और कोयला खनन से खतरा है।
  19. विशेषज्ञ इस स्थल की सुरक्षा के लिए भू-विरासत का दर्जा देने की मांग करते हैं।
  20. भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण और संरक्षण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण।

Q1. भारत में जरोसाइट (Jarosite) किस स्थान पर खोजा गया था?


Q2. नासा के ऑपर्च्युनिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर जरोसाइट की पहली खोज कब की थी?


Q3. कच्छ में जरोसाइट किस भूवैज्ञानिक काल के दौरान बना था?


Q4. लद्दाख में इसरो की कौन-सी सुविधा मंगल के समान अध्ययन स्थल (Mars analogue site) है?


Q5. खगोलजीवविज्ञान (Astrobiology) में जरोसाइट क्यों महत्वपूर्ण है?


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