पहले चुनावों का राजनीतिक महत्व
अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण (2019) के बाद, जम्मू-कश्मीर में पहली बार राज्यसभा चुनाव आयोजित किए गए, जो एक ऐतिहासिक लोकतांत्रिक पड़ाव का प्रतीक हैं।
ये चुनाव 23 और 24 अक्टूबर 2025 को संपन्न हुए और लगभग एक दशक बाद क्षेत्र में संसदीय प्रतिनिधित्व की वापसी का संकेत बने।
यह घटना पूरे देश में राजनीतिक सामान्यता की बहाली के रूप में देखी जा रही है, जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक मील का पत्थर है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस की बहुमत जीत
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने चुनावों में स्पष्ट बढ़त हासिल की, चार में से तीन राज्यसभा सीटें जीतकर अपनी राजनीतिक स्थिति को और मजबूत किया।
सजाद किचलू, चौधरी मोहम्मद रामज़ान और जी. एस. (शम्मी) ओबेरॉय विजेता बने, जबकि भाजपा के सती शर्मा ने चौथी सीट अपने नाम की।
24 अक्टूबर को घोषित परिणामों ने स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य में एनसी की प्रमुखता को पुनः स्थापित किया और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले उसके राजनीतिक पुनरुत्थान को दर्शाया।
संवैधानिक परिवर्तनों के बाद लोकतांत्रिक बहाली
ये चुनाव विशेष महत्व रखते हैं क्योंकि ये जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद पहले संसदीय चुनाव हैं।
2018 में राज्य विधानसभा के विघटन के बाद से लोकतांत्रिक प्रक्रिया रुकी हुई थी।
अब 70 से अधिक विधायक, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं, ने मतदान में भाग लिया, जिससे प्रतिनिधि शासन की वापसी को बल मिला।
स्थैतिक जीके तथ्य: जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन 31 अक्टूबर 2019 को प्रभावी हुआ, जिससे दो केंद्र शासित प्रदेश — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — बनाए गए।
राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया की समझ
राज्यसभा (परिषद् ऑफ स्टेट्स) के सदस्य निर्वाचित विधायकों द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) के माध्यम से अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत चुने जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर, एक विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में, चार प्रतिनिधियों का चुनाव करता है।
प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है और हर दो वर्ष में एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं ताकि निरंतरता बनी रहे।
स्थैतिक जीके टिप: राज्यसभा की स्थापना 1952 में हुई थी और इसके पहले सभापति डॉ. एस. राधाकृष्णन थे, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने।
व्यापक राजनीतिक प्रभाव
2025 के राज्यसभा चुनावों ने केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक संतुलन के पुनर्गठन का संकेत दिया है।
एनसी का प्रदर्शन दर्शाता है कि क्षेत्र में राजनीतिक विश्वास और जनभागीदारी फिर से बढ़ रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह परिणाम संवैधानिक एकीकरण और लोकतांत्रिक स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जिससे जम्मू-कश्मीर को भारत के संघीय लोकतांत्रिक ढांचे में मजबूती से पुनः जोड़ा जा रहा है।
ऐतिहासिक संदर्भ
जम्मू-कश्मीर में पिछला राज्यसभा चुनाव लगभग एक दशक पहले, अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से पहले हुआ था।
इसलिए, ये चुनाव क्षेत्र और केंद्र सरकार के बीच संसदीय संबंधों की पूर्ण पुनर्बहाली का प्रतीक हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: अनुच्छेद 370, जो भारत के संविधान के भाग XXI में था, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था और इसे 5 अगस्त 2019 को समाप्त किया गया।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| चुनाव तिथियाँ | 23–24 अक्टूबर 2025 |
| मुख्य राजनीतिक दल | नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) |
| विजेता उम्मीदवार | सजाद किचलू, चौधरी मोहम्मद रामज़ान, जी. एस. ओबेरॉय, सती शर्मा |
| चुनाव का प्रकार | राज्यसभा (उच्च सदन) |
| जम्मू–कश्मीर से सीटें | 4 |
| निर्वाचन पद्धति | एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) |
| अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण वर्ष | 2019 |
| जम्मू–कश्मीर पुनर्गठन वर्ष | 2019 (प्रभावी: 31 अक्टूबर) |
| पिछला राज्यसभा चुनाव (जम्मू–कश्मीर) | लगभग 2015 |
| महत्व | जम्मू-कश्मीर में संसदीय लोकतंत्र की पुनर्बहाली |





