अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी उपलब्धि
24 अगस्त 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन के लिए पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया। इस महत्वपूर्ण परीक्षण ने पैराशूट डिप्लॉयमेंट सिस्टम को प्रमाणित किया, जो क्रू मॉड्यूल की गति को कम कर सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करता है।
स्थैटिक GK तथ्य: गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसे 2018 में ₹10,000 करोड़ बजट के साथ मंजूरी दी गई।
पैराशूट परीक्षण का महत्व
क्रू मॉड्यूल को पृथ्वी के वायुमंडल में बहुत अधिक गति से पुनः प्रवेश करना पड़ता है। इस दौरान पैराशूट सिस्टम ने यह दिखाया कि वह मॉड्यूल की गति को कम कर सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रूप से भूमि या समुद्र पर उतर सकें। यह तकनीक किसी भी मानव अंतरिक्ष उड़ान की सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली है।
स्थैटिक GK टिप: गगनयान क्रू मॉड्यूल को तीन अंतरिक्ष यात्रियों को निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बहु-एजेंसी सहयोग
इस एयर ड्रॉप परीक्षण को भारतीय वायुसेना, DRDO, भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के सहयोग से आयोजित किया गया। इसने यह दिखाया कि भारत जटिल अंतरिक्ष प्रणालियों को विकसित करने के लिए बहु-एजेंसी सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाता है।
मानव-रेटेड रॉकेट तैयार
ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (HLVM3), जो LVM3 का संशोधित संस्करण है, ने सभी प्रमुख ग्राउंड चेक पूरे कर लिए हैं। इसे अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए मजबूत बनाया गया है।
स्थैटिक GK तथ्य: LVM3, जिसे GSLV Mk-III भी कहते हैं, ने 2019 में चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया था।
क्रू सुरक्षा प्रणालियाँ
ISRO ने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा हेतु कई प्रणालियाँ विकसित और परीक्षण की हैं। Environmental Control and Life Support System (ECLSS) को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने और केबिन का दबाव बनाए रखने के लिए विकसित किया गया है। वहीं, Crew Escape System (CES) को पांच शक्तिशाली मोटरों के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्री शीघ्र बच सकें।
आधारभूत ढांचा और प्रशिक्षण
रॉकेट और मॉड्यूल के अलावा ज़मीनी ढांचा भी तैयार किया गया है। ऑर्बिटल मॉड्यूल प्रिपरेशन फैसिलिटी, गगनयान कंट्रोल सेंटर और क्रू ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड में भी आवश्यक संशोधन पूरे हो गए हैं।
स्थैटिक GK तथ्य: गगनयान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर की सहायता से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
आगामी परीक्षण और बिना-मानव उड़ानें
ISRO पहले ही टेस्ट व्हीकल डिमॉन्स्ट्रेशन-1 (TV-D1) सफलतापूर्वक कर चुका है, जिसने क्रू एस्केप सिस्टम को मान्य किया। अब TV-D2 और पहली बिना-मानव उड़ान (G1) की तैयारी चल रही है। इसमें क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल के स्ट्रक्चरल मॉडल होंगे ताकि प्रणाली का प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।
भारत के दीर्घकालिक अंतरिक्ष लक्ष्य
गगनयान मिशन को भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान यात्रा का पहला कदम माना जा रहा है। ISRO ने 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करने और 2040 तक मानवयुक्त चंद्रमा लैंडिंग का लक्ष्य रखा है।
स्थैटिक GK टिप: सोवियत संघ ने 1971 में दुनिया का पहला स्पेस स्टेशन सल्युत-1 लॉन्च किया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| IADT-01 परीक्षण की तिथि | 24 अगस्त 2025 |
| परीक्षण का उद्देश्य | क्रू सुरक्षा हेतु पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली की जाँच |
| शामिल एजेंसियाँ | ISRO, IAF, DRDO, भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल |
| मानव-रेटेड रॉकेट | HLVM3 (संशोधित LVM3) |
| क्रू क्षमता | निम्न पृथ्वी कक्षा में 3 अंतरिक्ष यात्री |
| प्रशिक्षण सहयोग | रूस का गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर |
| प्रमुख मान्य परीक्षण | TV-D1 (क्रू एस्केप सिस्टम) |
| अगला परीक्षण | TV-D2 और G1 बिना-मानव उड़ान |
| दीर्घकालिक लक्ष्य | 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन |
| चंद्रमा मिशन लक्ष्य | 2040 तक मानवयुक्त लैंडिंग |





