भारत ने किया एक ऐतिहासिक ऊर्जा आयोजन की मेज़बानी
नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) 11–12 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन ग्रीन हाइड्रोजन-2025 आयोजित करेगा। यह सम्मेलन भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को तेज़ करने और ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सम्मेलन का फोकस
यह आयोजन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का विस्तार, तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर, तकनीक और माँग सृजन में निवेश बढ़ाने के व्यावहारिक तरीकों पर केंद्रित होगा।
मुख्य विषय: वित्तीय मॉडल, हाइड्रोजन सर्टिफ़िकेशन, निर्यात हेतु बंदरगाहों की तैयारी, कौशल विकास, और टेक्नोलॉजी लोकलाइज़ेशन।
ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों के मंत्री उपस्थित रहेंगे—यह दर्शाता है कि भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा नीति में ग्रीन हाइड्रोजन का बहु–क्षेत्रीय महत्व है।
स्थैतिक तथ्य: MNRE की स्थापना 1992 में हुई थी और यह भारत में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी है।
भारत के ऊर्जा परिवर्तन को सहारा
नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन को इस्पात, उर्वरक और परिवहन जैसे उच्च–उत्सर्जन उद्योगों के डीकार्बोनाइज़ेशन का केंद्र बनाया गया है।
MNRE सचिव संतोष कुमार सारंगी के अनुसार, बड़े पैमाने तक पहुँचने के लिए तकनीक चयन, इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना, और माँग सृजन तंत्र में स्पष्टता आवश्यक होगी।
स्थैतिक तथ्य: प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन की ऊर्जा सामग्री पेट्रोल से लगभग तीन गुना होती है—इसलिए ऊर्जा भंडारण और गतिशीलता के लिए यह गेम-चेंजर बन सकता है।
रणनीतिक वैश्विक सहयोग
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल, उद्योग नेता और नीति विशेषज्ञ भाग लेंगे ताकि संयुक्त अनुसंधान, तकनीकी साझेदारी और निर्यात सहयोग को बढ़ावा मिले।
भारत घरेलू नीति को वैश्विक हाइड्रोजन मानकों के अनुरूप करते हुए हाइड्रोजन हब और मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स में विदेशी निवेश आकर्षित करना चाहता है।
स्थैतिक तथ्य: राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (जनवरी 2023) का लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन वार्षिक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन है, जिसके लिए ₹19,744 करोड़ का सरकारी समर्थन निर्धारित है।
अवसंरचना और कौशल को बढ़ावा
निर्यात लक्ष्यों के लिए भारत तटीय राज्यों में हाइड्रोजन–रेडी पोर्ट्स और भंडारण सुविधाएँ विकसित कर रहा है।
इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण, प्लांट संचालन और सुरक्षा मानकों के लिए कौशल विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है।
स्थैतिक जीके टिप: पारादीप, कांडला (दीनदयाल) और तूतीकोरिन जैसे प्रमुख भारतीय बंदरगाहों का हाइड्रोजन निर्यात अवसंरचना के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है (पोर्ट्स, शिपिंग और वॉटरवेज़ मंत्रालय)।
हाइड्रोजन-संचालित भविष्य की दृष्टि
यह सम्मेलन भारत को सतत ईंधनों की वैश्विक शिफ्ट में एक प्रोएक्टिव नेता के रूप में स्थापित करता है।
तकनीक, नीति और वैश्विक भागीदारी को एकीकृत कर, MNRE ग्रीन हाइड्रोजन को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु लचीलेपन—दोनों का स्तंभ बनाने का लक्ष्य रखता है।
स्थैतिक Usthadian वर्तमान मामलों की तालिका
| विषय | विवरण |
| आयोजक मंत्रालय | नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) |
| कार्यक्रम का नाम | इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन ग्रीन हाइड्रोजन-2025 |
| स्थल | नई दिल्ली |
| तिथियाँ | 11–12 नवंबर 2025 |
| मुख्य उद्देश्य | ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का विस्तार और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा |
| राष्ट्रीय मिशन लिंक | राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (जनवरी 2023 में लॉन्च) |
| लक्ष्य | 2030 तक 50 लाख टन/वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन |
| मुख्य फोकस क्षेत्र | इन्फ्रास्ट्रक्चर, सर्टिफ़िकेशन, कौशल विकास, टेक्नोलॉजी लोकलाइज़ेशन |
| महत्वपूर्ण उपस्थितगण | ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, और पृथ्वी विज्ञान मंत्री |
| वैश्विक महत्त्व | भारत की भावी ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में स्थिति को सुदृढ़ करता है |





