आईएनएस अंद्रोत का कमीशनिंग
भारतीय नौसेना 6 अक्टूबर 2025 को नौसैनिक अड्डा, विशाखापट्टनम में आईएनएस अंद्रोत को कमीशन करेगी। यह समारोह उप–एडमिरल राजेश पेंधारकर, पूर्वी नौसैनिक कमान के प्रमुख, की अध्यक्षता में होगा।
यह घटना नियोजित 16 जहाज़ों की ASW शैलो वाटर क्राफ्ट श्रृंखला के दूसरे जहाज़ को शामिल करती है, जो भारत की स्वदेशी नौसैनिक जहाज निर्माण में प्रगति को दर्शाती है।
स्वदेशी निर्माण और डिज़ाइन
आईएनएस अंद्रोत का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड, कोलकाता द्वारा किया गया है।
- यह जहाज़ 80% से अधिक स्वदेशी घटकों से निर्मित है, जो आत्मनिर्भर भारत पहल को रेखांकित करता है।
- इसे कमीशनिंग से पूर्व 13 सितंबर 2025 को नौसेना को सौंप दिया गया था।
स्थैतिक तथ्य: जीआरएसई भारत के प्रमुख रक्षा शिपयार्ड्स में से एक है, जिसकी स्थापना 1884 में हुई थी और 1960 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया।
नाम की विरासत
आईएनएस अंद्रोत का नाम लक्षद्वीप के अंद्रोत द्वीप से लिया गया है। यह भारत के हिंद महासागर क्षेत्र और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।
इस नाम से पूर्व का आईएनएस अंद्रोत (P69) भी नौसेना में 27 वर्षों तक सेवा दे चुका है। इस नाम को पुनर्जीवित करना नौसैनिक परंपरा और सेवा भावना को सम्मानित करता है।
स्थैतिक टिप: लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है, जिसमें 36 द्वीप शामिल हैं और कवरत्ती इसकी राजधानी है।
उन्नत विशेषताएँ और भूमिकाएँ
नया आईएनएस अंद्रोत आधुनिक हथियारों और प्रणालियों से सुसज्जित है:
- पनडुब्बियों की पहचान के लिए उन्नत हथियार और सेंसर सूट
- उथले जल में तेज़ गति से संचालन के लिए वॉटरजेट प्रणोदन
- नेटवर्क आधारित नौसैनिक अभियानों हेतु आधुनिक संचार प्रणाली
मुख्य भूमिकाएँ:
- पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW)
- समुद्री निगरानी और गश्त
- खोज और बचाव (SAR) अभियान
- तटीय रक्षा और बेड़े को सहयोग
ये क्षमताएँ इसे उन लिटोरल वॉटर (तटीय उथले जल) में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं जहाँ बड़े युद्धपोत सीमित होते हैं।
स्थैतिक तथ्य: भारतीय नौसेना का औपचारिक स्थापना दिवस 26 जनवरी 1950 है, जब भारत गणराज्य बना।
सामरिक महत्व
आईएनएस अंद्रोत का कमीशनिंग भारत की समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करता है और सागर (Security and Growth for All in the Region) दृष्टि का समर्थन करता है।
16 ASW शैलो वाटर क्राफ्ट्स की श्रृंखला के साथ भारत समुद्र के नीचे छिपे खतरों से एक मज़बूत रक्षा कवच तैयार कर रहा है।
यह जहाज़ भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और नौसैनिक परंपरा व आधुनिक प्रौद्योगिकी के मेल का प्रतीक है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कमीशनिंग तिथि | 6 अक्टूबर 2025 |
स्थान | नौसैनिक अड्डा, विशाखापट्टनम |
अध्यक्षता | उप-एडमिरल राजेश पेंधारकर |
शिपबिल्डर | जीआरएसई लिमिटेड, कोलकाता |
स्वदेशी सामग्री | 80% से अधिक |
श्रृंखला | 16 ASW शैलो वाटर क्राफ्ट्स में दूसरा |
नाम का स्रोत | अंद्रोत द्वीप, लक्षद्वीप |
पूर्व आईएनएस अंद्रोत | 27 वर्षों तक सेवा दी |
प्रमुख भूमिकाएँ | ASW, तटीय रक्षा, SAR, निगरानी |
राष्ट्रीय दृष्टि | आत्मनिर्भर भारत और सागर |