नवम्बर 16, 2025 1:25 पूर्वाह्न

लीमा सम्मेलन में किसानों के अधिकारों और आनुवंशिक संसाधनों पर भारत का रुख

चालू घटनाएँ: किसानों के अधिकार, आनुवंशिक संसाधन, ITPGRFA, लीमा बैठक, लाभ-साझाकरण तंत्र, कृषि जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, संप्रभु अधिकार, ग्लोबल साउथ, व्यावसायिक टर्नओवर

India’s Stand on Farmers’ Rights and Genetic Resources at Lima Meet

आनुवंशिक संसाधनों पर वार्ता

भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने सरकार से आग्रह किया है कि वह पेरू के लीमा में 24–29 नवंबर, 2025 को होने वाली खाद्य और कृषि हेतु पौध आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (ITPGRFA) की 11वीं गवर्निंग बॉडी बैठक में भारत के संप्रभु अधिकारों और किसानों के हितों की रक्षा करे।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नीतिगत परिवर्तन भारत के आनुवंशिक संसाधनों पर नियंत्रण को कमजोर कर सकते हैं और राष्ट्रीय कानूनों द्वारा संरक्षित किसानों के अधिकारों को प्रभावित कर सकते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: ITPGRFA को 2001 में FAO के अंतर्गत अपनाया गया था। इसका उद्देश्य खाद्य और कृषि के लिए पौध आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण और न्यायसंगत लाभ-साझाकरण सुनिश्चित करना है।

प्रस्तावित संधि संशोधनों पर चिंता

वैज्ञानिकों ने संधि के लाभसाझाकरण तंत्र (Benefit-Sharing Mechanism) में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध किया है। इन परिवर्तनों से भारत के बीज संग्रहों तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असीमित पहुँच मिल सकती है, जबकि न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित नहीं होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रावधान राष्ट्रीय नियंत्रण को कमजोर करेगा और उन किसानों को नुकसान पहुँचाएगा जिन्होंने पीढ़ियों से कृषि विविधता को संरक्षित किया है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का “पौध किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम (PPV&FR Act) 2001” किसानों को उन किस्मों पर कानूनी अधिकार देता है जिन्हें वे संरक्षित और उगाते हैं।

भारत की कृषि जैव विविधता

भारत विश्व के सबसे समृद्ध जीन पूलों में से एक है, जिसमें लाखों बीज नमूने शामिल हैं जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मौजूदा संधि प्रणाली के तहत भारत ने पहले ही 70 लाख से अधिक आनुवंशिक नमूने साझा किए हैं, लेकिन बदले में मिलने वाले लाभ बहुत सीमित रहे हैं, जबकि अधिकांश लाभ बहुराष्ट्रीय बीज और जैवप्रौद्योगिकी कंपनियों को मिले हैं।
स्थिर जीके टिप: राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR), नई दिल्ली पौध आनुवंशिक सामग्री के संरक्षण और अभिलेखन के लिए जिम्मेदार संस्था है।

अनिवार्य लाभ-साझाकरण प्रणाली की मांग

प्रमुख वैज्ञानिक दिनेश अबरोल, सरथ बाबू बलिजेपल्ली और सुमन सहाई ने कंपनियों के व्यावसायिक टर्नओवर से जुड़ा एक अनिवार्य सदस्यता मॉडल (Mandatory Subscription Model) लागू करने की मांग की है, जिससे स्रोत देशों और किसान समुदायों को उचित आर्थिक लाभ मिल सके।
यदि आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच वर्तमान 64 फसलों की सूची से आगे बढ़ाई जाती है, तो यह भारत के जैव विविधता अधिनियम 2002 का उल्लंघन होगा और घरेलू नियामक नियंत्रण को कमजोर करेगा।

भारत की कूटनीतिक जिम्मेदारी

वैज्ञानिकों ने भारत से आग्रह किया है कि वह विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ के नेतृत्व में जैविक संपदाओं की सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभाए।
उन्होंने सिफारिश की है कि भारत कानूनी रूप से बाध्यकारी ढाँचे (Legally Binding Framework) की वकालत करे, ताकि किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा हो और आनुवंशिक संसाधनों पर भारत का संप्रभु नियंत्रण बना रहे।
स्थिर जीके तथ्य: भारत ने 2002 में ITPGRFA की पुष्टि (ratify) की थी और यह उन 149 हस्ताक्षरकर्ता देशों में शामिल है जो जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
कार्यक्रम ITPGRFA गवर्निंग बॉडी का 11वां सत्र
स्थान लीमा, पेरू
तिथि 24–29 नवंबर 2025
प्रमुख फोकस भारत के पौध आनुवंशिक संसाधनों पर अधिकारों की रक्षा
प्रमुख वैज्ञानिक दिनेश अबरोल, सरथ बाबू बलिजेपल्ली, सुमन सहाई
मुख्य चिंता भारत के बीज संग्रहों तक असीमित अंतर्राष्ट्रीय पहुँच
प्रस्तावित सुधार अनिवार्य लाभ-साझाकरण सदस्यता मॉडल
संबंधित भारतीय कानून जैव विविधता अधिनियम (2002) और PPV&FR अधिनियम (2001)
जिम्मेदार भारतीय संस्था राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR)
वैश्विक संधि खाद्य और कृषि हेतु पौध आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (ITPGRFA)

India’s Stand on Farmers’ Rights and Genetic Resources at Lima Meet
  1. भारत पेरू के लीमा में आयोजित आईटीपीजीआरएफए 2025 सत्र में किसानों के अधिकारों और संप्रभु नियंत्रण की रक्षा करेगा।
  2. आईटीपीजीआरएफए को एफएओ (FAO) के तहत 2001 में अपनाया गया था।
  3. लीमा सम्मेलन 24–29 नवंबर 2025 तक चलेगा।
  4. वैज्ञानिकों ने भारत के जैव विविधता अधिनियम (2002) को कमज़ोर करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
  5. प्रस्तावित संशोधन भारत के बीज संग्रह तक अप्रतिबंधित पहुँच प्रदान कर सकते हैं।
  6. भारत का पीपीवी एंड एफआर अधिनियम (2001) पौधों की किस्मों पर किसानों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करता है।
  7. राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR) भारत में बीज सामग्री का संरक्षण करता है।
  8. 7 मिलियन से अधिक आनुवंशिक अभिगम वैश्विक स्तर पर साझा किए गए हैं।
  9. इनसे भारत को मिलने वाले लाभ अब तक न्यूनतम रहे हैं।
  10. विशेषज्ञ अनिवार्य लाभसाझाकरण सदस्यता मॉडल की वकालत कर रहे हैं।
  11. यह प्रस्तावित मॉडल लाभ को कंपनियों के वाणिज्यिक कारोबार से जोड़ता है।
  12. दिनेश अबरोल, सुमन सहाय और सरथ बाबू बलिजेपल्ली जैसे वैज्ञानिक इस वकालत का नेतृत्व कर रहे हैं।
  13. भारत कानूनी रूप से बाध्यकारी लाभसाझाकरण ढाँचे पर ज़ोर दे रहा है।
  14. इन सुधारों का उद्देश्य किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा करना है।
  15. यह कदम आनुवंशिक संपदा पर भारत की संप्रभुता को सुनिश्चित करता है।
  16. भारत ने 2002 में आईटीपीजीआरएफए का अनुसमर्थन किया और वह इसका संस्थापक सदस्य है।
  17. कृषि जैव विविधता भारत की खाद्य सुरक्षा की कुंजी है।
  18. भारत का नेतृत्व वैश्विक दक्षिण के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करेगा।
  19. यह मुद्दा समान पहुँच और उचित मुआवज़े से जुड़ा है।
  20. यह रुख वैश्विक स्तर पर किसानों के अधिकारों के रक्षक के रूप में भारत की भूमिका को कायम रखता है।

Q1. वर्ष 2025 में 11वां अंतरराष्ट्रीय पौध आनुवंशिक संसाधन संधि (आईटीपीजीआरएफए) शासी निकाय सत्र कहाँ आयोजित किया जाएगा?


Q2. संधि संशोधनों को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने कौन-सी मुख्य चिंता व्यक्त की है?


Q3. भारत में किसानों के अधिकारों की रक्षा किस अधिनियम के तहत की जाती है?


Q4. भारत में पौध आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण की जिम्मेदारी किस संस्था की है?


Q5. समान लाभ वितरण के लिए भारतीय वैज्ञानिक किस सिद्धांत का समर्थन करते हैं?


Your Score: 0

Current Affairs PDF November 15

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

News of the Day

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.