भारत की सुधरी हुई रैंकिंग
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) 2025 में भारत की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है, जो जलवायु संवेदनशीलता से मुकाबला करने में उसकी प्रगति को दर्शाता है।
जर्मनवॉच द्वारा ब्राज़ील के बेलेम में आयोजित COP30 पर जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, वार्षिक सूचकांक (2024 डेटा) में भारत की रैंक 10वें स्थान से सुधरकर 15वीं हो गई है।
दीर्घकालिक सूचकांक (1995–2024) में भी भारत 8वें से 9वें स्थान पर पहुंचा है।
CRI में कम रैंक का अर्थ है कम जलवायु जोखिम और अधिक लचीलापन, यानी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की बेहतर तैयारी।
स्थिर जीके तथ्य: ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) हर वर्ष जर्मनवॉच द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जो 1991 में स्थापित बर्लिन-स्थित पर्यावरणीय थिंक टैंक है।
प्रमुख निष्कर्ष और आँकड़े
भारत अभी भी दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-प्रभावित देशों में शामिल है।
1995 से अब तक 430 से अधिक चरम मौसमी घटनाएँ भारत में दर्ज की गई हैं, जिनके कारण:
- 80,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई
- लगभग 170 अरब अमेरिकी डॉलर की आर्थिक क्षति हुई
मुख्य घटनाएँ:
- चक्रवात हुदहुद (2014) और अम्फान (2020)
- उत्तराखंड बाढ़ (2013)
- 1998, 2002, 2003 और 2015 की गंभीर हीटवेव (लू)
हालाँकि, 2025 की रिपोर्ट में बेहतर रैंकिंग भारत की बढ़ती जलवायु सहनशीलता (resilience) को दर्शाती है, जो मुख्य रूप से इन कारणों से है:
• उन्नत पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems)
• मजबूत आपदा प्रबंधन ढाँचा
• राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) का क्रियान्वयन
• आपदा-रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन (CDRI) में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका
स्थिर जीके टिप: CDRI (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) को भारत ने 2019 में शुरू किया था, ताकि ऐसी अवसंरचना को प्रोत्साहन दिया जा सके जो जलवायु-जनित झटकों को सहन कर सके।
वैश्विक जलवायु आपदाओं का परिप्रेक्ष्य
वैश्विक स्तर पर CRI 2025 के अनुसार, 1995–2024 के बीच:
- 9,700 से अधिक चरम मौसमी घटनाएँ दर्ज की गईं
- लगभग 8,32,000 मौतें हुईं
- क़रीब 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ
दीर्घकालिक रूप से सबसे अधिक प्रभावित देशों में डोमिनिका, म्यांमार और होंडुरास शामिल हैं।
2024 के वार्षिक सूचकांक में शीर्ष पर रहे देश:
- सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनाडाइंस
- ग्रेनेडा
- चाड
दुनिया की लगभग 3 अरब आबादी (करीब 40%) ऐसे देशों में रहती है जो चरम मौसम से सबसे अधिक प्रभावित हैं — इनमें से अधिकांश विकासशील देश हैं, जैसे भारत, बांग्लादेश और फिलीपींस।
भारत की जलवायु नीति को मज़बूत करने वाले उपाय
भारत की जलवायु नीति राष्ट्रीय और राज्य-स्तर की जलवायु योजनाओं पर आधारित है:
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) –
आठ प्रमुख मिशनों को समाहित करती है, जो सौर ऊर्जा, सतत कृषि, जल, हिमालयी पारिस्थितिकी, ऊर्जा दक्षता, सतत आवास, हरित भारत, और रणनीतिक ज्ञान पर केंद्रित हैं। - राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजनाएँ (SAPCCs) –
हर राज्य के लिए राज्य-विशिष्ट जलवायु चुनौतियों के अनुसार तैयार की गई रणनीतियाँ।
इसके साथ ही भारत में:
- क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि
- शहरी हीटवेव प्रबंधन
- बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली
को तेज़ी से विस्तार दिया जा रहा है।
स्थिर जीके तथ्य: NAPCC को 2008 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत शुरू किया गया था।
आगे की राह
CRI 2025 में भारत की प्रगति इसकी बढ़ती जलवायु सहनशीलता का संकेत है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी गंभीर हैं।
विशेषज्ञों का मत है कि भारत को:
- हरित बुनियादी ढाँचे (Green Infrastructure) में निवेश बढ़ाना
- पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन (Ecosystem Restoration) को गति देना
- जलवायु वित्त (Climate Finance) जुटाने की क्षमता बढ़ानी होगी।
साथ ही, बाढ़-प्रवण, तटीय और शुष्क क्षेत्रों में समुदाय-आधारित अनुकूलन (Community-based Adaptation) को मज़बूत करना राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी हुई है।
CRI में भारत की सुधरी रैंक सिर्फ़ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि जलवायु-सुरक्षित भविष्य के प्रति भारत के संकल्प का संदेश है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| रिपोर्ट का नाम | ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 |
| जारी करने वाली संस्था | जर्मनवॉच, जर्मनी |
| कहाँ जारी हुई | संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन COP30, बेलेम, ब्राज़ील |
| भारत की 2024 रैंक | 15वाँ स्थान |
| भारत की दीर्घकालिक रैंक (1995–2024) | 9वाँ स्थान |
| प्रमुख नीतियाँ | NAPCC, SAPCC, CDRI |
| चरम घटनाओं से मृत्यु | 80,000 से अधिक |
| आर्थिक क्षति | लगभग 170 अरब अमेरिकी डॉलर |
| वैश्विक चरम मौसम घटनाएँ (1995–2024) | 9,700 से अधिक |
| 2024 के सबसे अधिक प्रभावित देश | सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनाडाइंस, ग्रेनेडा, चाड |





