भारत में उत्पादकता का अंतर
भारत ने पिछले दशक में 17 करोड़ रोजगार सृजित किए हैं, लेकिन 2047 तक 36 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य औपचारिक और असंगठित श्रमिकों के बीच उत्पादकता अंतर कम करने पर निर्भर है।
औपचारिक श्रमिक औसतन ₹12 लाख का सकल मूल्य वर्धन (GVA) प्रतिवर्ष उत्पन्न करते हैं, जबकि असंगठित श्रमिक केवल ₹1.5 लाख ही योगदान देते हैं। यह व्यापक अंतर राष्ट्रीय आय वृद्धि को कमजोर करता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: सकल मूल्य वर्धन (GVA) वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का मूल्य है, जिसमें इनपुट लागत घटाई जाती है।
औपचारिक बनाम असंगठित कार्यबल
भारत की 91% कार्यबल असंगठित है, जबकि केवल 9% सुरक्षित औपचारिक रोजगार में है।
कृषि, जो 42% कार्यबल को रोजगार देती है पर GDP में केवल 18% योगदान करती है, इस समस्या का उदाहरण है। इसे छिपी हुई बेरोजगारी और कम सीमांत उत्पादकता कहा जाता है।
वेतन और बाज़ार असंतुलन
आर्थिक सिद्धांत कहता है कि वेतन उत्पादकता के अनुरूप होना चाहिए, लेकिन भारत में यह संतुलन अधूरोज़गारी और अतिरिक्त श्रम आपूर्ति के कारण टूट जाता है।
औपचारिक क्षेत्र में वेतन धीरे-धीरे बढ़ता है, जबकि असंगठित क्षेत्र में यह लगभग स्थिर रहता है। यह असमानता राष्ट्रीय उत्पादन की तुलना में आय वृद्धि को रोकती है।
स्थैतिक जीके टिप: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, असंगठित रोजगार वह है जिसमें सामाजिक सुरक्षा और कानूनी मान्यता नहीं होती।
औपचारिककरण की राह
औपचारिककरण उत्पादकता अंतर कम करने का मुख्य मार्ग है। ई–श्रम, ESIC और EPFO जैसी योजनाएँ कवरेज बढ़ाने में अहम हैं।
MSME और गिग प्लेटफॉर्म्स को औपचारिक अनुबंध अपनाने हेतु सरल अनुपालन नियम और कर लाभ जैसे प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।
एक औपचारिककरण सूचकांक बनाया जा सकता है, जिससे राज्यवार प्रगति मापी जा सके और नीति की खामियों की पहचान हो सके।
कौशल अंतराल का समाधान
भारत गंभीर कौशल घाटे का सामना कर रहा है। केवल 4.7% कार्यबल औपचारिक रूप से प्रशिक्षित है, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 50% से अधिक है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITIs) को प्रशिक्षण क्षमता बढ़ानी होगी।
AI, ग्रीन टेक्नोलॉजी और डिजिटल कौशल जैसे क्षेत्रों को मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि श्रमिक उच्च उत्पादकता वाली नौकरियों के लिए तैयार हों।
नवाचार और वेतन संरेखण
वेतन को सीधे उत्पादकता से जोड़ने से असमानता कम हो सकती है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में प्रदर्शन–आधारित वेतन मॉडल लागू किए जा सकते हैं।
- मनरेगा (MGNREGS) जैसी योजनाओं में भी प्रदर्शन बोनस जोड़े जा सकते हैं।
AI, IoT और ASEEM प्लेटफॉर्म कौशल रिकॉर्ड बनाए रखने और उत्पादकता मापने में मदद कर सकते हैं।
जनसांख्यिकीय लाभांश का जोखिम
भारत की युवा आबादी इसे एक स्वाभाविक बढ़त देती है। लेकिन यदि संरचनात्मक सुधार नहीं हुए तो यह लाभांश बोझ बन सकता है।
वेतन स्थिरता और असमानता सामाजिक स्थिरता को कमजोर कर सकती है।
इसलिए, नीति का फोकस होना चाहिए:
- औपचारिककरण
- कौशल विकास
- निष्पक्ष वेतन वितरण
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत की मध्य आयु लगभग 28 वर्ष है, जो इसे दुनिया की सबसे युवा आबादियों में शामिल करती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पिछले दशक में रोजगार सृजन | 17 करोड़ |
औपचारिक श्रमिक का GVA | ₹12 लाख प्रति वर्ष |
असंगठित श्रमिक का GVA | ₹1.5 लाख प्रति वर्ष |
असंगठित कार्यबल का हिस्सा | 91% |
कृषि कार्यबल का हिस्सा | 42% |
कृषि का GDP योगदान | 18% |
औपचारिक रूप से प्रशिक्षित कार्यबल | 4.7% |
विकसित देशों में प्रशिक्षित कार्यबल | 50% से अधिक |
औपचारिककरण योजनाएँ | ई-श्रम, ESIC, EPFO |
भारत की मध्य आयु | 28 वर्ष |