रिकॉर्डतोड़ उपग्रह प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारत के अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 के सफल प्रक्षेपण के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
4,410 किलोग्राम वज़न वाला यह उपग्रह LVM3-M5, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है, के माध्यम से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया।
यह प्रक्षेपण 2 नवंबर 2025 को शाम 5:26 बजे सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जो भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता (technological self-reliance) की दिशा में एक और बड़ी छलांग है।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित है और 1971 से भारत का प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण स्थल (spaceport) रहा है।
LVM3-M5 की शक्ति
लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) एक तीन-चरणीय हैवी-लिफ्ट रॉकेट है, जो 4 टन तक के पेलोड को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने में सक्षम है।
इसमें दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर, एक लिक्विड कोर स्टेज, और एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज शामिल हैं।
LVM3 की यह पाँचवीं परिचालन उड़ान थी, जिसने यह साबित किया कि भारत अब बड़े संचार उपग्रहों को स्वयं प्रक्षेपित करने में सक्षम है—एक ऐसा कार्य जो पहले विदेशी रॉकेटों पर निर्भर था।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): LVM3 को पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था और इसने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन को लॉन्च किया था।
भारत की अंतरिक्ष संचार क्षमता में मजबूती
CMS-03 को भारत और उसके आसपास के महासागरीय क्षेत्रों में मल्टी-बैंड संचार सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए विकसित किया गया है।
यह उपग्रह टीवी प्रसारण, मोबाइल कनेक्टिविटी, आपदा प्रबंधन संचार, और ब्रॉडबैंड सेवाओं को बेहतर बनाएगा।
पुराने संचार उपग्रहों की जगह लेते हुए यह भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगा।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): भारत का पहला संचार उपग्रह APPLE (Ariane Passenger Payload Experiment) था, जिसे 1981 में फ्रेंच गयाना से लॉन्च किया गया था।
तकनीकी विकास और उपलब्धियाँ
इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि यह उपलब्धि भारत की उस यात्रा का प्रतीक है, जो 1963 में साउंडिंग रॉकेट लॉन्च से शुरू होकर आज जटिल अंतरिक्ष मिशनों तक पहुँच चुकी है।
भारत की हाल की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं —
- चंद्रयान-3 की चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग,
- आदित्य-L1 का सूर्य अध्ययन मिशन,
- और XPoSat का अंतरिक्ष अनुसंधान मिशन।
इन उपलब्धियों ने भारत को शीर्ष अंतरिक्ष राष्ट्रों की सूची में शामिल कर दिया है।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): भारत 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के साथ चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना।
विजन 2047 और भविष्य की अंतरिक्ष योजनाएँ
इसरो की दीर्घकालिक रणनीति ‘स्पेस विजन 2047’ के तहत मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, चंद्र और शुक्र अन्वेषण, तथा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) की स्थापना की योजना बनाई गई है।
आगामी गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा में भेजेगा, जबकि शुक्र ऑर्बिटर मिशन और स्पेस डॉकिंग प्रयोग जैसे प्रोजेक्ट भी प्रगति पर हैं।
भारत का निजी अंतरिक्ष क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है, जहाँ 300 से अधिक स्टार्टअप्स नवाचार और प्रतिस्पर्धा को नई दिशा दे रहे हैं।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): भारत का अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अधीन कार्य करता है, जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की रणनीतिक महत्ता को दर्शाता है।
स्थैतिक “Usthadian” चालू घटनाएँ तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| प्रक्षेपण तिथि | 2 नवंबर 2025 |
| प्रक्षेपण यान | LVM3-M5 (बाहुबली रॉकेट) |
| उपग्रह का नाम | CMS-03 |
| उपग्रह का वज़न | 4,410 किलोग्राम |
| प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा |
| कक्षा का प्रकार | जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) |
| इसरो अध्यक्ष | डॉ. वी. नारायणन |
| प्रमुख उद्देश्य | मल्टी-बैंड संचार सेवाओं को सुदृढ़ करना |
| संबंधित प्रमुख मिशन | चंद्रयान-3, आदित्य-L1, गगनयान |
| दीर्घकालिक दृष्टि | स्पेस विजन 2047 – भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और मानव मिशन |





