भू-तापीय ऊर्जा पर ध्यान
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय भू-तापीय ऊर्जा नीति जारी की है, जो भारत के पहले संरचित भू-तापीय रोडमैप की शुरुआत है। यह नीति सीधे भारत के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य और स्वच्छ ऊर्जा पोर्टफोलियो के विस्तार से जुड़ी है।
भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से प्राप्त होती है और इसे सौर या पवन ऊर्जा की तरह अस्थिर नहीं माना जाता। यह 24×7 उपलब्ध नवीकरणीय स्रोत है। इसका उपयोग बिजली उत्पादन, हीटिंग और कूलिंग सिस्टम, ग्रीनहाउस कृषि और खारे पानी को मीठा बनाने (डिसैलीनेशन) में किया जा सकता है।
स्थिर GK तथ्य: “Geothermal” शब्द ग्रीक भाषा के geo (पृथ्वी) और therme (ऊष्मा) से आया है।
नीति की मुख्य बातें
यह नीति MNRE को नियामक, निगरानी और क्रियान्वयन निकाय के रूप में स्थापित करती है। इसमें मंत्रालयों के बीच सहयोग, वैश्विक भागीदारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन दिया गया है।
ढांचे में हाइब्रिड ऊर्जा मॉडल (जैसे सौर + भू-तापीय) और छोड़े गए तेल कुओं को भू-तापीय निष्कर्षण के लिए पुनः उपयोग करने पर भी बल दिया गया है।
स्थिर GK टिप: भारत की नवीकरणीय क्षमता 2024 में 180 GW पार कर गई थी, जिससे यह विश्व के शीर्ष पाँच नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों में शामिल हुआ।
प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका
नीति भू-तापीय तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास (R&D), पायलट प्रोजेक्ट्स और स्वदेशी नवाचार के लिए प्रोत्साहनों को प्राथमिकता देती है। शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग स्टार्टअप्स के साथ सहयोग इसकी बड़ी विशेषता है।
इससे आयातित तकनीक पर निर्भरता घटेगी, लागत कम होगी और परियोजनाओं की टिकाऊ क्षमता बढ़ेगी।
पहचाने गए भू-तापीय प्रांत
भारत ने 10 भू-तापीय प्रांतों की पहचान की है जिनमें उच्च क्षमता है। इनमें हिमालय, कंबे बेसिन, अरावली श्रृंखला, महानदी बेसिन और गोदावरी बेसिन शामिल हैं। अन्य संभावित क्षेत्र हैं — सोहाना, पश्चिमी तट, सोन-नर्मदा-ताप्ती और दक्षिण भारत क्रेटॉन।
भारत की अनुमानित भू-तापीय क्षमता 10 गीगावॉट है, जो स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
स्थिर GK तथ्य: वैश्विक स्तर पर भू-तापीय क्षमता में अमेरिका अग्रणी है, उसके बाद इंडोनेशिया और फिलीपींस आते हैं।
ऊर्जा परिवर्तन के लिए महत्व
यह नीति भारत की ऊर्जा सुरक्षा, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और सतत विकास की दृष्टि का समर्थन करती है। यह COP26 में दिए गए पंचामृत वादों के साथ भी संरेखित है, जिनमें 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करना शामिल है।
भू-तापीय अपनाने से भारत अपने नवीकरणीय मिश्रण को विविध बना सकेगा और विशेषकर दूरदराज व पहाड़ी इलाकों की ऊर्जा चुनौतियों को हल कर सकेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
नीति का नाम | राष्ट्रीय भू-तापीय ऊर्जा नीति |
लॉन्च करने वाला | नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) |
उद्देश्य | विभिन्न क्षेत्रों में भू-तापीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना |
अनुमानित क्षमता | 10 गीगावॉट |
पहचाने गए प्रांत | हिमालय, कंबे, अरावली, महानदी, गोदावरी और अन्य |
मुख्य फोकस | अनुसंधान एवं विकास, हाइब्रिड प्रणाली, तेल कुओं का पुनः उपयोग |
वैश्विक तुलना | अमेरिका, इंडोनेशिया, फिलीपींस अग्रणी |
संरेखण | भारत का नेट ज़ीरो 2070 और पंचामृत लक्ष्य |