पृष्ठभूमि और तर्क
भारत राष्ट्रीय सुरक्षा योजना में एक बड़े संस्थागत बदलाव को चिह्नित करते हुए अपनी पहली व्यापक आतंकवाद विरोधी नीति पेश करने की तैयारी कर रहा है। अब तक, आतंकवाद विरोधी प्रयास एक ही मार्गदर्शक ढांचे के बिना कई कानूनों, एजेंसियों और परिचालन तंत्रों पर निर्भर थे।
एक व्यापक नीति की अनुपस्थिति के कारण अक्सर राज्यों में खंडित प्रतिक्रियाएं होती थीं। नए ढांचे का लक्ष्य केंद्र और राज्यों में एकरूपता, स्पष्टता और समन्वय लाना है।
स्टेटिक जीके तथ्य: आंतरिक सुरक्षा संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची के तहत सूचीबद्ध है, जो केंद्र को एक प्रमुख समन्वय भूमिका देती है।
नीति के मुख्य उद्देश्य
प्रस्तावित नीति भारत को प्रतिक्रियात्मक आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण से एक सक्रिय, खुफिया-संचालित मॉडल की ओर ले जाना चाहती है। यह एक सामान्य रणनीतिक दृष्टिकोण के तहत रोकथाम, जांच, प्रतिक्रिया और अभियोजन को एकीकृत करता है।
एक प्रमुख उद्देश्य NIA, IB, NSG और राज्य पुलिस बलों जैसी एजेंसियों के बीच निर्बाध खुफिया जानकारी साझा करना सुनिश्चित करना है। तेज प्रतिक्रिया समय और मानकीकृत प्रोटोकॉल इस दृष्टिकोण के केंद्र में हैं।
उभरते आतंकवादी खतरों से निपटना
सबसे महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्रों में से एक डिजिटल कट्टरपंथ है। चरमपंथी समूह युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
नीति मजबूत साइबर-निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और समन्वित टेकडाउन तंत्र का प्रस्ताव करती है। यह ऑनलाइन चरमपंथी प्रभाव को रोकने के लिए प्रति-कथाओं पर भी जोर देती है।
स्टेटिक जीके टिप: भारत का पहला साइबर अपराध समन्वय तंत्र, I4C, गृह मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था।
सीमा पार और नेटवर्क आधारित खतरे
एक और प्राथमिकता वाला क्षेत्र सीमा पार आतंकवाद है, विशेष रूप से खुली और छिद्रपूर्ण सीमाओं का दुरुपयोग। संवेदनशील सीमाओं के साथ मार्गों का उपयोग आतंकवादी मॉड्यूल की आवाजाही, रसद और वित्तपोषण के लिए किया गया है।
नीति विदेशी वित्त पोषित धर्मांतरण और कट्टरपंथी नेटवर्क से खतरों पर भी प्रकाश डालती है, जो आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक सामंजस्य के लिए जोखिम पैदा करते हैं। वित्तीय प्रवाह और वैचारिक चैनलों की निगरानी एक प्रमुख निवारक उपाय है।
संस्थागत समन्वय और परामर्श
परिचालन विवरण को अंतिम रूप देने के लिए, नई दिल्ली में 26-27 दिसंबर को निर्धारित एक उच्च-स्तरीय NIA सम्मेलन में केंद्रीय और राज्य आतंकवाद विरोधी एजेंसियों को एक साथ लाया जाएगा। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर के निष्पादन को नीतिगत उद्देश्यों के साथ संरेखित करना है। बदलते आतंकी ट्रेंड्स का आकलन करने के लिए NIA के डायरेक्टर जनरल सदानंद डेट, NSG प्रमुख ब्रिघू श्रीनिवासन और राज्य पुलिस नेतृत्व के बीच पहले ही बातचीत हो चुकी है।
स्टेटिक GK फैक्ट: NIA की स्थापना 26/11 मुंबई हमलों के बाद 2009 में हुई थी।
हाल की आतंकी घटनाओं का प्रभाव
हाल की आतंकी घटनाओं ने इस पॉलिसी के डिज़ाइन को आकार दिया है। 22 अप्रैल के पहलगाम हमले ने NATGRID के ज़रिए इंटेलिजेंस डेटाबेस तक तेज़ और सुरक्षित पहुंच की ज़रूरत को उजागर किया।
इसी तरह, 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए आत्मघाती हमले की जांच में बड़े पैमाने पर ऑनलाइन कट्टरपंथ का खुलासा हुआ। इन मामलों ने रियल-टाइम डेटा इंटीग्रेशन और साइबर सर्विलांस के महत्व को मज़बूत किया।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
यह पॉलिसी लंबे समय तक चलने वाली, संरचित आतंकवाद विरोधी योजना की ओर एक बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है। यह संघीय जिम्मेदारियों को बनाए रखते हुए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को संस्थागत बनाती है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही सरकार के राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति और रणनीति पेश करने के इरादे का संकेत दिया था, जो रणनीतिक मज़बूती की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| नीति का उद्देश्य | आतंकवाद के विरुद्ध एकीकृत राष्ट्रीय ढाँचा |
| प्रमुख फोकस | डिजिटल कट्टरपंथ, सीमा-पार खतरे |
| प्रमुख एजेंसी | National Investigation Agency |
| खुफिया प्लेटफ़ॉर्म | National Intelligence Grid |
| सुरक्षा इकाइयाँ | National Security Guard (NSG), Intelligence Bureau (IB), राज्य आतंकवाद-रोधी दस्ते |
| रणनीतिक बदलाव | प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई से सक्रिय रोकथाम की ओर |
| समन्वय स्तर | केंद्र–राज्य एकीकरण |
| प्रेरक कारक | हाल की आतंकी घटनाएँ और ऑनलाइन कट्टरपंथ |





