नवम्बर 6, 2025 4:59 अपराह्न

भारत का संघीय संतुलन दबाव में

चालू घटनाएँ: अर्ध-संघीय ढाँचा, केंद्र–राज्य संबंध, जीएसटी परिषद, नीति आयोग, वित्तीय संघवाद, सहकारी संघवाद, संवैधानिक ढाँचा, आपातकालीन प्रावधान, अंतर-सरकारी संबंध, राज्यसभा

India’s Federal Balance Under Strain

भारत का संवैधानिक संतुलन

भारत का संविधान एक अर्ध-संघीय (Quasi-Federal) ढाँचा प्रस्तुत करता है — जो संघीय और एकात्मक दोनों विशेषताओं का संयोजन है। इस मॉडल का उद्देश्य राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखते हुए एक सशक्त राष्ट्रीय ढाँचा सुनिश्चित करना है। यह “स्वशासन के साथ साझी शासन व्यवस्था (Self-rule with Shared-rule)” की अवधारणा पर आधारित है, जो भारत के लोकतांत्रिक संचालन की नींव रखती है। स्थिर जीके तथ्य: अनुच्छेद 1 में प्रयुक्त “संघ का राज्य (Union of States)” शब्द भारत की अविभाज्य एकता को दर्शाने के लिए जानबूझकर चुना गया था।

संविधान के संघीय तत्व

भारत का लिखित संविधान संघ और राज्यों के बीच स्पष्ट अधिकार-विभाजन स्थापित करता है। द्विस्तरीय शासन प्रणाली (Dual Polity) के अंतर्गत दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने क्षेत्राधिकार में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। द्विसदनीय संसद (Bicameralism) में राज्यसभा राज्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे लोकसभा के बहुमतवाद के संभावित प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) के अंतर्गत शक्तियों का विभाजन संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के रूप में किया गया है। यह प्रणाली शासन के विभिन्न स्तरों के बीच सुचारु संचालन सुनिश्चित करती है। स्थिर जीके टिप: भारत शासन अधिनियम 1935 (Government of India Act, 1935) भारत की संघीय प्रणाली और त्रिस्तरीय शक्तिविभाजन का प्रारूप था।

केंद्र को सशक्त करने वाले एकात्मक तत्व

भारत, संघीय विशेषताओं के बावजूद, राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए एकात्मक प्रावधानों को भी अपनाता है। मजबूत केंद्र समान निर्णय प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, विशेषकर संकट के समय। अनुच्छेद 3 संसद को राज्यों की सीमाएँ और क्षेत्र बदलने की शक्ति देता है, भले ही संबंधित राज्य की सहमति न हो।
एकल नागरिकता (Single Citizenship) और एकीकृत न्यायपालिका (Integrated Judiciary) देश को एकजुट बनाए रखते हैं। साथ ही, अखिल भारतीय सेवाएँ (All India Services) प्रशासनिक एकता सुनिश्चित करती हैं, जबकि आपातकालीन प्रावधान (अनुच्छेद 352–360) केंद्र को अस्थायी रूप से संकेंद्रित शक्तियाँ प्रदान करते हैं ताकि सार्वभौमिकता और स्थिरता बनी रहे।

संघवाद के समक्ष समकालीन चुनौतियाँ

आज भारत का अर्ध-संघीय संतुलन कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। वित्तीय केंद्रीकरण, विशेष रूप से GST लागू होने के बाद, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को सीमित कर रहा है। प्रशासनिक केंद्रीकरण का उदाहरण COVID-19 महामारी के दौरान देखा गया, जब आपदा प्रबंधन अधिनियम को न्यूनतम राज्य परामर्श के साथ लागू किया गया।
राज्यपालों द्वारा विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु लंबित रखना, वित्त आयोगों द्वारा धन के वितरण में देरी, और केंद्रीय राजनीतिक वर्चस्व ने केंद्र–राज्य संबंधों को और तनावपूर्ण बनाया है। स्थिर जीके तथ्य: वित्त आयोग (Finance Commission) का गठन हर पाँच वर्ष में अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है, जो केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व के वितरण की अनुशंसा करता है।

सहकारी संघवाद को सशक्त बनाना

GST परिषद और नीति आयोग (NITI Aayog) जैसे संस्थान सहकारी संघवाद के लिए आधार स्तंभ हैं। ये मंच संवाद को प्रोत्साहित करते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर नीति समन्वय सुनिश्चित करते हैं। नीति आयोग द्वारा अपनाया गया टीम इंडिया” का दृष्टिकोण इस evolving साझेदारी को दर्शाता है जिसमें केंद्र और राज्य समान भागीदार के रूप में कार्य करते हैं।
भारत के संघीय संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि एकता और क्षेत्रीय स्वायत्तता के बीच एक गतिशील संतुलन (Dynamic Balance) कायम रहे।

स्थिर उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय विवरण
शासन प्रणाली का प्रकार अर्ध-संघीय व्यवस्था (संघीय और एकात्मक दोनों तत्वों का मिश्रण)
भारत को परिभाषित करने वाला अनुच्छेद अनुच्छेद 1 – “भारत अर्थात भारतवर्ष, राज्यों का संघ होगा”
शक्तियों के विभाजन का आधार सातवीं अनुसूची – संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची
राज्य सीमाएँ बदलने का अधिकार अनुच्छेद 3 (संसद को प्रदत्त)
मुख्य संघीय संस्थाएँ GST परिषद, नीति आयोग, राज्यसभा
वित्तीय अधिकार का निर्धारण वित्त आयोग द्वारा अनुच्छेद 280 के अंतर्गत
वित्तीय केंद्रीकरण का उदाहरण वस्तु एवं सेवा कर (GST) का कार्यान्वयन
प्रशासनिक केंद्रीकरण का उदाहरण COVID-19 के दौरान आपदा प्रबंधन अधिनियम का प्रयोग
मुख्य एकात्मक विशेषताएँ एकल नागरिकता, एकीकृत न्यायपालिका, आपातकालीन शक्तियाँ
संतुलन को प्रोत्साहित करने वाली अवधारणा सहकारी संघवाद (Team India Approach)
India’s Federal Balance Under Strain
  1. भारत एक एकात्मक झुकाव वाला अर्धसंघीय संविधान अपनाता है।
  2. अनुच्छेद 1 में इसे राज्यों का संघ कहा गया है, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
  3. सातवीं अनुसूची की तीन सूचियों पर आधारित संघीय शक्तिसाझाकरण व्यवस्था है।
  4. राज्यसभा संसद में राज्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है।
  5. संविधान दोहरी शासन व्यवस्था और शक्तियों का लिखित विभाजन प्रदान करता है।
  6. एकात्मक विशेषताओं में एकल नागरिकता और एकीकृत न्यायपालिका शामिल हैं।
  7. अनुच्छेद 3 संसद को राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करने की अनुमति देता है, भले ही राज्य की सहमति हो।
  8. आपातकालीन प्रावधान (अनु. 352–360) शक्ति के केंद्रीकरण को सुनिश्चित करते हैं।
  9. वित्त आयोग (अनु. 280) केंद्रराज्य राजकोषीय संसाधनों का वितरण करता है।
  10. जीएसटी के कार्यान्वयन ने राज्यों की कराधान स्वायत्तता को कम किया।
  11. महामारी काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम के माध्यम से प्रशासनिक केंद्रीकरण देखा गया।
  12. राज्यपाल अक्सर विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखते हैं, जिससे केंद्रराज्य टकराव उत्पन्न होता है।
  13. नीति आयोग और जीएसटी परिषद सहकारी संघवाद को बढ़ावा देते हैं।
  14. राजकोषीय केंद्रीकरण अभी भी राज्यों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  15. इस अवधारणा का उद्देश्य स्वशासन और साझा शासन के बीच संतुलन बनाना है।
  16. भारत ने भारत शासन अधिनियम 1935 (GOI Act) से प्रभावित होकर संघीय मॉडल अपनाया।
  17. अखिल भारतीय सेवाएँ (IAS, IPS, IFS) राज्यों में समान प्रशासनिक मानक सुनिश्चित करती हैं।
  18. केंद्र में राजनीतिक प्रभुत्व संघीय वार्ता और निर्णयप्रक्रिया को प्रभावित करता है।
  19. स्वस्थ केंद्रराज्य संबंधों के लिए टीम इंडिया की भावना आवश्यक है।
  20. भारतीय संघवाद को गतिशील आर्थिक और राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुरूप लगातार विकसित होना चाहिए।

Q1. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद भारत को “राज्यों का संघ” के रूप में वर्णित करता है?


Q2. कौन-सी संवैधानिक संस्था केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय वितरण की अनुशंसा करती है?


Q3. भारत की संघीय व्यवस्था के लिए खाका किस अधिनियम को माना जाता है?


Q4. हाल के वर्षों में वित्तीय केंद्रीकरण (Fiscal Centralisation) का उदाहरण कौन-सा है?


Q5. केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक निर्णय-निर्माण की अवधारणा किससे जुड़ी है?


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