शुरुआती जड़ें और विस्तार
इंडिया की कॉफ़ी स्टोरी तब शुरू हुई जब बाबा बुदन 1600 के दशक में यमन से सात बीज लाए और उन्हें बाबा बुदन गिरी पहाड़ियों में लगाया। यह छोटा सा एक्सपेरिमेंट एक शेड-ग्रोन इकोसिस्टम में बदल गया जो आज दो मिलियन से ज़्यादा लोगों की रोज़ी-रोटी चलाता है। कॉफ़ी की खेती अब लगभग 4.91 लाख हेक्टेयर में फैली हुई है, जो ज़्यादातर वेस्टर्न और ईस्टर्न घाट में है।
स्टैटिक GK फैक्ट: इंडिया दुनिया भर में 7वां सबसे बड़ा कॉफ़ी प्रोड्यूसर है, जो दुनिया के प्रोडक्शन में लगभग 3.5% का योगदान देता है।
मुख्य प्रोड्यूसिंग रीजन
इंडिया में कॉफ़ी प्रोडक्शन में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु का दबदबा है, जो मिलकर सालाना प्रोडक्शन में लगभग 96% का योगदान देते हैं। अकेले कर्नाटक 2.8 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा का योगदान देता है, जिससे यह टॉप कॉफ़ी स्टेट बन गया है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्से जैसे गैर-पारंपरिक इलाके आदिवासी रोज़ी-रोटी और इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन के नए सेंटर के तौर पर उभरे हैं।
स्टैटिक GK फैक्ट: कर्नाटक का चिकमगलूर ज़िला ऐतिहासिक रूप से भारत के सबसे पुराने कॉफ़ी बागानों से जुड़ा है।
भारतीय कॉफ़ी की अलग-अलग तरह की चीज़ें
भारत की अलग-अलग तरह की जगह की वजह से अरेबिका और रोबस्टा दोनों की खेती मुमकिन है। अरेबिका ठंडे ऊंचे इलाकों में अच्छी तरह उगती है, जबकि रोबस्टा गर्म और ज़्यादा नमी वाली जगहों पर पनपती है। भारत की रोबस्टा को अक्सर अपनी एक जैसी बीन्स और मज़बूत स्वाद की वजह से ग्लोबल प्रीमियम मिलता है।
स्टैटिक GK टिप: भारत उन कुछ देशों में से है जो छाया में उगाई जाने वाली कॉफ़ी बनाते हैं, जो अपने पर्यावरण से जुड़े फ़ायदों के लिए जानी जाती है।
स्पेशियलिटी कॉफ़ी और GI पहचान
भारत की बढ़ती ग्लोबल पहचान इसकी GI-टैग वाली कॉफ़ी की वजह से है, जिसमें कूर्ग अरेबिका, चिकमगलूर अरेबिका, बाबाबुदंगिरी अरेबिका, वायनाड रोबस्टा और अराकू वैली अरेबिका शामिल हैं। मॉनसून्ड मालाबार, मैसूर नगेट्स एक्स्ट्रा बोल्ड, और रोबस्टा कापी रॉयल जैसी खास वैरायटी अपनी खुशबू, कम एसिडिटी और अनोखे एजिंग प्रोसेस की वजह से प्रीमियम कीमतों पर मिलती हैं। ये कॉफी ग्लोबल स्पेशलिटी सेगमेंट में भारत की पहचान को मज़बूत करती हैं।
कॉफी बोर्ड की भूमिका
1942 में बना भारतीय कॉफी बोर्ड, रिसर्च, क्वालिटी में सुधार और एक्सपोर्ट ग्रोथ को बढ़ावा देकर इस सेक्टर की रीढ़ की हड्डी का काम करता है। इसका इंटीग्रेटेड कॉफी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट छोटे किसानों को सपोर्ट करता है, ग्लोबल ट्रेड फेयर को आसान बनाता है, और एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के तहत फ्रेट सब्सिडी देता है। बोर्ड की रिसर्च ब्रांच, CCRI, पेस्ट-रेसिस्टेंट और ज़्यादा पैदावार वाली वैरायटी बनाती है, जबकि प्रमोशन डिपार्टमेंट घरेलू और ग्लोबल विज़िबिलिटी बढ़ाने पर काम करता है।
एक्सपोर्ट में तेज़ी
भारत दुनिया के लगभग 5% एक्सपोर्ट शेयर के साथ टॉप पांच कॉफी एक्सपोर्ट करने वाले देशों में शामिल है। FY 2024–25 में, इंस्टेंट कॉफी की बढ़ती मांग की वजह से एक्सपोर्ट USD 1.8 बिलियन तक पहुंच गया, जो शिपमेंट का 38% है। मुख्य डेस्टिनेशन में इटली, जर्मनी, बेल्जियम, रूस और UAE शामिल हैं।
स्टैटिक GK फैक्ट: इटली लगातार इंडियन कॉफी का सबसे बड़ा इंपोर्टर है।
ट्रेड एग्रीमेंट का असर
हाल के ट्रेड रिफॉर्म ने ग्लोबल मार्केट में इंडिया की पोजीशन मजबूत की है। इंस्टेंट कॉफी पर GST 18% से घटाकर 5% करने से रिटेल कीमतें कम हुई हैं और कॉम्पिटिटिवनेस बढ़ी है। इंडिया-UK CETA और इंडिया-EFTA TEPA जैसे एग्रीमेंट ने हाई-वैल्यू मार्केट, खासकर स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और UK में ड्यूटी-फ्री एक्सेस खोल दिया है।
आदिवासियों की कॉफी में सफलता
ओडिशा का कोरापुट जिला कॉफी के जरिए आदिवासियों को मजबूत बनाने का एक नेशनल मॉडल बन गया है। TDCCOL के सपोर्ट से, किसानों को “कोरापुट कॉफी” लेबल के तहत घर पर खरीद, सही कीमत और ब्रांडिंग में मदद मिलती है। इस इलाके की अरेबिका ने फाइन कप अवॉर्ड जीते हैं, जिससे यह साबित होता है कि कॉफी कैसे ग्रामीण समुदायों को बेहतर बना सकती है और माइग्रेशन को रोक सकती है। भारत का भविष्य का कॉफ़ी आउटलुक
भारत का कॉफ़ी मार्केट 2028 तक लगभग 9% की CAGR से बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें आउट-ऑफ-होम सेगमेंट तेज़ी से बढ़ रहा है। कॉफ़ी बोर्ड ने 2047 तक प्रोडक्शन को तीन गुना बढ़ाकर 9 लाख टन करने का बड़ा टारगेट रखा है, जो सस्टेनेबिलिटी, प्रीमियम क्वालिटी और ग्लोबल विज़िबिलिटी पर फोकस करने वाले भविष्य का संकेत देता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| Topic | Detail |
| भारतीय कॉफी की उत्पत्ति | 1600 के दशक में बाबा बुदान द्वारा परिचय कराया गया |
| प्रमुख उत्पादक राज्य | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु |
| भारत की वैश्विक रैंकिंग | उत्पादन में 7वां, निर्यात में 5वां स्थान |
| खेती का क्षेत्र | 4.91 लाख हेक्टेयर |
| निर्यात मूल्य (FY 2024–25) | 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर |
| प्रमुख GI कॉफी | कूर्ग अरेबिका, वायनाड रोबस्टा, अराकू अरेबिका |
| विशेष प्रकार | मॉनसूनड मालाबार, MNEB, रोबस्टा कापी रोयाल |
| मुख्य निर्यात बाजार | इटली, जर्मनी, बेल्जियम, रूस, UAE |
| कॉफी बोर्ड की स्थापना | 1942 में स्थापित |
| भविष्य का लक्ष्य | 2047 तक 9 लाख टन उत्पादन |





