भारत के वायु रक्षा नेटवर्क को नई मजबूती
भारतीय सेना ने SAKSHAM (Situational Awareness for Kinetic Soft and Hard Kill Assets Management) नामक स्वदेशी एंटी–ड्रोन ग्रिड सिस्टम लॉन्च किया है।
यह अत्याधुनिक प्रणाली भारत के आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) मिशन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो देश की सैन्य तकनीकी आत्मनिर्भरता को और मज़बूत करती है।
स्थिर GK तथ्य: भारतीय सेना की स्थापना 1895 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
विकास और सहयोग
SAKSHAM सिस्टम को भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), गाजियाबाद ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
यह प्रणाली आर्मी डेटा नेटवर्क (ADN) पर कार्य करती है, जो कमांड सेंटर्स और फील्ड यूनिट्स के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित करती है।
यह प्लेटफ़ॉर्म टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस (TBS) में 3,000 मीटर (10,000 फीट) तक का हवाई क्षेत्र कवर करता है और एकीकृत ड्रोन निगरानी प्रणाली प्रदान करता है।
स्थिर GK टिप: BEL की स्थापना 1954 में रक्षा मंत्रालय के तहत हुई थी और यह भारत की प्रमुख रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है।
आधुनिक युद्ध में महत्व
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जब सीमा पार मिशनों के दौरान ड्रोन खतरों में वृद्धि देखी गई, तब टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस की अवधारणा और भी महत्वपूर्ण हो गई।
अब युद्ध में आकाशीय नियंत्रण (Air Dominance), जमीनी नियंत्रण जितना ही निर्णायक माना जाता है।
SAKSHAM प्रणाली वास्तविक समय में ड्रोन की पहचान, ट्रैकिंग, विश्लेषण और निष्प्रभावीकरण (neutralization) करने में सक्षम है।
इससे भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों में प्रौद्योगिकीगत बढ़त (Technological Edge) मिलेगी।
स्थिर GK तथ्य: भारत दुनिया की शीर्ष पाँच सैन्य शक्तियों में शामिल है और अपने GDP का लगभग 2% रक्षा खर्च पर करता है।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ
मॉड्यूलर ग्रिड सिस्टम
SAKSHAM का Modular Grid System विभिन्न सेंसर, हथियार और संचार प्रणालियों को एक एकीकृत नेटवर्क में जोड़ता है, जिससे तेज़ और समन्वित प्रतिक्रिया संभव होती है।
मल्टी-सेंसर फ्यूज़न (Multi-Sensor Fusion)
यह प्रणाली रडार, इलेक्ट्रो–ऑप्टिकल सेंसर और ध्वनिक डिटेक्टरों के इनपुट को मिलाकर व्यापक खतरे की तस्वीर (Comprehensive Threat Picture) प्रस्तुत करती है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित विश्लेषण (AI-Driven Threat Analysis)
AI एल्गोरिद्म खतरे के डेटा का विश्लेषण करते हैं और स्वचालित प्रतिक्रिया प्रणाली को सक्रिय करते हैं, जिससे निर्णय लेने का समय मिनटों से घटकर सेकंडों में आ जाता है।
फील्ड इंडक्शन के लिए तैयार
यह प्रणाली Fast Track Procurement (FTP) प्रक्रिया के माध्यम से खरीदी जा रही है और एक वर्ष के भीतर फील्ड में तैनाती के लिए तैयार होगी।
स्थिर GK टिप: Fast Track Procurement प्रक्रिया रक्षा मंत्रालय द्वारा तत्काल आवश्यक रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए शुरू की गई थी।
आत्मनिर्भर भारत से जुड़ाव
SAKSHAM भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता को प्रदर्शित करता है और Make in India के तहत विकसित किया गया है।
यह विदेशी तकनीकी निर्भरता को कम करते हुए घरेलू रक्षा उद्योग को सशक्त बनाता है।
यह पहल Defence Industrial Corridor की दृष्टि को भी मजबूत करती है, जिसमें सशस्त्र बल, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी उद्योग का सहयोग शामिल है।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय | विवरण |
SAKSHAM का पूरा नाम | Situational Awareness for Kinetic Soft and Hard Kill Assets Management |
विकसित करने वाली संस्थाएँ | भारतीय सेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), गाजियाबाद |
उद्देश्य | स्वदेशी एंटी-ड्रोन (Counter-UAS) ग्रिड प्रणाली |
परिचालन नेटवर्क | आर्मी डेटा नेटवर्क (ADN) |
कवरेज सीमा | 3,000 मीटर (10,000 फीट) तक |
प्रमुख तकनीक | AI आधारित मल्टी-सेंसर फ्यूज़न और रियल-टाइम विश्लेषण |
खरीद प्रक्रिया | Fast Track Procurement (FTP) |
राष्ट्रीय नीति से संबंध | आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल |
संबंधित ऑपरेशन | ऑपरेशन सिंदूर (ड्रोन खतरे का विश्लेषण) |
संबंधित मंत्रालय | रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार |