मॉरीशस के साथ ऐतिहासिक समझौता
भारत और मॉरीशस ने चागोस द्वीपसमूह में डिएगो गार्सिया के पास उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- यह समझौता मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगूलाम की भारत यात्रा के दौरान हुआ।
- इससे हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की पहुँच और भी मज़बूत होगी, खासकर चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों के बीच।
डिएगो गार्सिया का महत्व
- चागोस द्वीपसमूह रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है – यह पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के संगम पर स्थित है।
- डिएगो गार्सिया द्वीप पर अमेरिका–यूके का बड़ा नौसैनिक और वायु बेस है, जिसने इराक, अफगानिस्तान और खाड़ी क्षेत्र के अभियानों में अहम भूमिका निभाई।
- भारत को यहाँ उपग्रह निगरानी और इंडो-पैसिफिक में भू-राजनीतिक लाभ दोनों मिलेंगे।
स्थैतिक GK तथ्य: चागोस द्वीपसमूह में लगभग 60 छोटे द्वीप हैं जो मध्य हिंद महासागर में फैले हुए हैं।
समझौते की शर्तें
- भारत ने चागोस द्वीपों पर मॉरीशस की संप्रभुता को मान्यता दी।
- साथ ही, डिएगो गार्सिया पर यूके के सैन्य नियंत्रण का सम्मान भी बरकरार रखा।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया और उपनिवेशवाद से मुक्ति व क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन किया।
स्थैतिक GK तथ्य: 2019 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने यूके को चागोस द्वीपों से नियंत्रण समाप्त करने की सलाह दी थी और मॉरीशस के दावे का समर्थन किया था।
समुद्री और अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार
समझौता केवल उपग्रह ट्रैकिंग तक सीमित नहीं है। भारत करेगा:
- मॉरीशस के साथ संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वे और नौवहन मानचित्रण
- कोस्ट गार्ड अधिकारियों का प्रशिक्षण
- मॉरीशस के कोस्ट गार्ड जहाज़ों का रीफिटिंग
- मॉरीशस के विशाल EEZ (Exclusive Economic Zone) में समुद्री सुरक्षा सहयोग
स्थैतिक GK टिप: मॉरीशस का EEZ लगभग 2.3 मिलियन वर्ग किमी है – इसके छोटे भू-क्षेत्र की तुलना में यह दुनिया के सबसे बड़े EEZ में से एक है।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
- यह स्टेशन हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति का संतुलन है।
- भारत की उपग्रह और प्रक्षेपण यान ट्रैकिंग क्षमता और भी सशक्त होगी।
- छोटे द्वीपीय देशों के साथ साझेदारी मज़बूत होगी, जिससे भारत की इंडो–पैसिफिक नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा।
स्थैतिक GK तथ्य: भारत के प्रमुख ग्राउंड स्टेशन ब्यालालु (कर्नाटक) और पोर्ट ब्लेयर (अंडमान व निकोबार) में स्थित हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
समझौता किसके साथ | मॉरीशस |
स्टेशन का स्थान | डिएगो गार्सिया के पास, चागोस द्वीपसमूह |
रणनीतिक महत्व | हिंद महासागर में प्रमुख बिंदु, अफ्रीका-मध्य पूर्व-दक्षिण एशिया के निकट |
सैन्य उपस्थिति | डिएगो गार्सिया पर अमेरिका-यूके बेस |
भारत को लाभ | उपग्रह ट्रैकिंग, इंडो-पैसिफिक में प्रभाव |
मॉरीशस को लाभ | समुद्री सुरक्षा, जहाज़ रीफिटिंग, अधिकारियों का प्रशिक्षण |
भारत की मान्यता | चागोस पर मॉरीशस की संप्रभुता |
चीन कारक | चीनी नौसैनिक उपस्थिति का संतुलन |
प्रमुख टिप्पणी | पीएम मोदी: “ऐतिहासिक मील का पत्थर” |
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ | ICJ (2019) ने मॉरीशस के दावे का समर्थन किया |