रिकॉर्ड नवीकरणीय उपलब्धि
2025 की पहली छमाही में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की — सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर के साथ। यह जानकारी ऊर्जा थिंक-टैंक एम्बर (Ember) की रिपोर्ट में दी गई है।
यह मील का पत्थर भारत की स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण की दिशा में प्रगति को दर्शाता है।
नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि से 2024 की समान अवधि की तुलना में 24 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आई, जो ऊर्जा क्षेत्र के डी-कार्बोनाइजेशन में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य: भारत स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर है — चीन, अमेरिका और ब्राज़ील के बाद।
सौर ऊर्जा में मजबूत वृद्धि
इस उपलब्धि का मुख्य चालक सौर ऊर्जा रही। सौर उत्पादन में 17 टेरावाट-घंटे (TWh) की वृद्धि हुई, जो 25% वार्षिक वृद्धि को दर्शाती है।
कुल बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 9.2% तक पहुँच गई, जो 2024 में 7.4% थी।
यह वृद्धि राष्ट्रीय सौर मिशन और राजस्थान व गुजरात के मेगा सौर पार्कों की सफलता को रेखांकित करती है।
स्थिर सामान्य ज्ञान टिप: राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरुआत 2010 में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत की गई थी, जिसका लक्ष्य भारत को वैश्विक सौर शक्ति बनाना है।
पवन ऊर्जा में तेज़ प्रगति
पवन ऊर्जा ने भी उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की, जहाँ उत्पादन में 11 TWh की वृद्धि हुई — जो 2024 की तुलना में 29% वृद्धि है।
भारत के ऊर्जा मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी 4% से बढ़कर 5.1% हो गई।
यह वृद्धि आधुनिक टर्बाइन तकनीक, सटीक स्थल चयन, और तेज़ परियोजना क्रियान्वयन से संभव हुई, विशेष रूप से तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे तटीय राज्यों में।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य: भारत की पहली अपतटीय (Offshore) पवन ऊर्जा नीति वर्ष 2015 में घोषित की गई थी, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तटीय पवन फार्मों को बढ़ावा देती है।
कोयला उत्पादन और उत्सर्जन में गिरावट
नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ोतरी के साथ ही कोयला आधारित बिजली उत्पादन में गिरावट आई, जिससे उत्सर्जन में ठोस कमी दर्ज की गई।
2025 की पहली छमाही में 24 मिलियन टन CO₂ की कमी यह दिखाती है कि नवीकरणीय ऊर्जा ने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को प्रतिस्थापित करना शुरू कर दिया है।
यह भारत के कार्बन तीव्रता में कमी के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को दर्शाता है, जो पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) के अनुरूप है।
नीति समर्थन और तकनीकी प्रगति
भारत की ऊर्जा नीतियाँ लगातार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दे रही हैं।
ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैटरी भंडारण, और पावर मार्केट सुधारों में रणनीतिक निवेश से नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण बेहतर हुआ है।
इसके अलावा, सौर PV की लागत में गिरावट और पवन टर्बाइन दक्षता में वृद्धि ने बड़े पैमाने पर अपनाने को बढ़ावा दिया है।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य: भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करना है, जिसमें 280 GW सौर और 140 GW पवन ऊर्जा से प्राप्त होगा।
ऊर्जा मांग की प्रवृत्तियाँ
2025 की पहली छमाही में बिजली की मांग में मध्यम वृद्धि दर्ज की गई, जो सौम्य मौसम और कम शीतलन आवश्यकताओं के कारण थी।
इससे नवीकरणीय ऊर्जा को कुल उत्पादन में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने का अवसर मिला।
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ऊर्जा दक्षता बढ़ेगी, नवीकरणीय ऊर्जा आने वाले वर्षों में नई बिजली क्षमता वृद्धि का प्रमुख स्रोत बनेगी।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
रिपोर्ट स्रोत | एम्बर (Ember – ऊर्जा थिंक-टैंक) |
सौर उत्पादन वृद्धि | 17 TWh (+25%) |
पवन उत्पादन वृद्धि | 11 TWh (+29%) |
उत्सर्जन में कमी | 24 मिलियन टन CO₂ |
कुल बिजली में सौर हिस्सेदारी | 9.2% |
कुल बिजली में पवन हिस्सेदारी | 5.1% |
प्रमुख नवीकरणीय राज्य | राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र |
राष्ट्रीय लक्ष्य | 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता |
प्रमुख नीति | राष्ट्रीय सौर मिशन (2010) |
नवीकरणीय ऊर्जा में वैश्विक रैंक | चौथा (चीन, अमेरिका, ब्राज़ील के बाद) |