दवा नियंत्रण को मज़बूती
भारत सरकार ने खांसी सिरप से जुड़ी मौतों की घटनाओं के बाद ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) लॉन्च किया है, ताकि औषधीय सॉल्वेंट्स (pharmaceutical solvents) की निगरानी की जा सके।
यह प्रणाली केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा शुरू की गई है और दवा निर्माण में उपयोग होने वाले घटकों का रियल-टाइम ट्रैकिंग सक्षम बनाती है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल प्रमाणित और सुरक्षित सॉल्वेंट बैच ही औषधि आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश करें।
स्थिर जीके तथ्य: CDSCO स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और यह भारत में औषधियों की स्वीकृति और विनियमन के लिए सर्वोच्च प्राधिकरण है।
पहल का कारण
यह सुधार मध्य प्रदेश में हुई कई बाल मृत्यु घटनाओं के बाद शुरू किया गया, जहाँ खांसी सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) — एक विषैला औद्योगिक सॉल्वेंट — पाया गया।
जाँच में यह सामने आया कि दवा निर्माण में घटक स्रोत और बैच सत्यापन में गंभीर खामियाँ थीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत से निर्यातित दूषित सिरपों पर वैश्विक चेतावनी जारी की, विशेष रूप से बाल चिकित्सा (paediatric) दवाओं को लेकर।
स्थिर जीके तथ्य: डायथिलीन ग्लाइकॉल विषाक्तता के मामले भारत में 1970 के दशक से दर्ज हैं, जिसके बाद औषधि विनियमन में सख्ती बढ़ाई गई।
निगरानी में शामिल उच्च-जोखिम सॉल्वेंट
CDSCO ने 10 उच्च-जोखिम वाले सॉल्वेंट्स की सूची तैयार की है, जिनमें ग्लिसरीन, सोर्बिटोल, प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल, एथिल अल्कोहल और हाइड्रोजेनेटेड स्टार्च हाइड्रोलाइसेट प्रमुख हैं।
ये यौगिक सिरप तैयारियों में आवश्यक होते हैं, पर मिश्रण या मिलावट (adulteration) होने पर विषैले सिद्ध हो सकते हैं।
यह निर्देश भारत के औषधि नियंत्रक महानिदेशक (DCGI) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी द्वारा 5 अक्टूबर 2025 को आयोजित समीक्षा बैठक के बाद जारी किया गया।
स्थिर जीके टिप: प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल और ग्लिसरीन सिरप में चिकनाई और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रयुक्त फार्मा-ग्रेड एक्सिपिएंट्स हैं, जिनकी शुद्धता मानक (purity standards) अनिवार्य हैं।
रियल-टाइम लाइसेंसिंग और अनुपालन व्यवस्था
ONDLS प्रणाली के तहत सभी सॉल्वेंट निर्माता अपने प्रत्येक बैच का डेटा — Certificate of Analysis, Supplier Details और Buyer Information — ऑनलाइन अपलोड करेंगे।
नियामकों को असत्यापित बैचों को तुरंत ब्लॉक करने का अधिकार दिया गया है।
वर्तमान लाइसेंसधारी कंपनियों को “Old Licence Management Module” में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा ताकि नियामक अनुपालन सुनिश्चित रहे।
स्थिर जीके तथ्य: ONDLS को मूल रूप से भारत की औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली के डिजिटलीकरण के लिए विकसित किया गया था ताकि राज्य और केंद्र नियामकों के बीच समन्वय व पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।
देशव्यापी कार्यान्वयन और प्रभाव
सभी राज्य औषधि नियंत्रकों को प्रशिक्षण, निरीक्षण और जागरूकता अभियान आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि ONDLS का पूर्ण कार्यान्वयन हो सके।
यह पहल भारत की फार्मास्युटिकल गवर्नेंस में एक बड़ी डिजिटल सुधार पहल है, जो वर्षों से चली आ रही निगरानी कमजोरियों को दूर करेगी।
संपूर्ण ट्रेसबिलिटी (Traceability) से दवाओं की गुणवत्ता में पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिकों को दूषित या मिलावटी दवाओं से सुरक्षा मिलेगी।
स्थिर जीके टिप: भारत दवा उत्पादन की मात्रा के आधार पर विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है, इसलिए दवा गुणवत्ता नियमन राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| लॉन्चिंग प्राधिकरण | केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) |
| पोर्टल का नाम | ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) |
| लॉन्च तिथि | 22 अक्टूबर 2025 |
| मुख्य कारण | डायथिलीन ग्लाइकॉल युक्त खांसी सिरप से हुई मौतें |
| उच्च–जोखिम सॉल्वेंट्स | ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल, सोर्बिटोल, एथिल अल्कोहल, माल्टिटॉल |
| निगरानी अधिकारी | डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी (DCGI) |
| संबंधित मंत्रालय | स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय |
| वैश्विक एजेंसी चेतावनी | विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) |
| डिजिटल अनुपालन फीचर | रियल-टाइम बैच ट्रैकिंग और “ओल्ड लाइसेंस मैनेजमेंट” मॉड्यूल |
| मुख्य उद्देश्य | दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण मज़बूत करना और विषैले प्रदूषण को रोकना |





