रणनीतिक महत्व
भारत और जापान ने संयुक्त क्रेडिट तंत्र (JCM) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के तहत आता है। यह समझौता कार्बन ट्रेडिंग, हरित वित्त और स्वच्छ प्रौद्योगिकी के परिनियोजन में सहयोग करेगा। यह ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी टैरिफ और चीन के रेयर अर्थ निर्यात प्रतिबंधों ने वैश्विक व्यापार संतुलन बदल दिया है।
स्थिर जीके तथ्य: पेरिस समझौता 2015 (COP21, पेरिस) में अपनाया गया था और अनुच्छेद 6 अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजारों की रूपरेखा प्रदान करता है।
समझौते की पृष्ठभूमि
यह JCM भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और जापान सरकार के बीच हस्ताक्षरित हुआ। यह लगभग ¥10 ट्रिलियन (₹6 ट्रिलियन) के व्यापक द्विपक्षीय समझौते का हिस्सा है, जिसमें रक्षा, सेमीकंडक्टर्स, AI और क्रिटिकल मिनरल्स शामिल हैं। इससे भारत की निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा हब बनने की रणनीति को बल मिलता है।
रेयर अर्थ सप्लाई चेन की चुनौती
अप्रैल 2025 में चीन ने स्मेरियम, गैडोलिनियम और टरबियम जैसे रेयर अर्थ्स के निर्यात पर रोक लगाई। बाद में आंशिक छूट मिली, लेकिन इसने भारत की चीन पर निर्भरता को उजागर किया। भारत घरेलू खनन और प्रोसेसिंग को बढ़ावा दे रहा है, मगर इसमें तकनीकी और पर्यावरणीय अड़चनें हैं।
स्थिर जीके तथ्य: चीन वैश्विक रेयर अर्थ उत्पादन का 60% से अधिक नियंत्रित करता है।
कार्बन ट्रेडिंग और जलवायु वित्त
JCM के तहत द्विपक्षीय कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग की अनुमति होगी, जिससे:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी
- डिकार्बोनाइजेशन के लिए तकनीक हस्तांतरण
- क्षमता निर्माण और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति
संभव होगी। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक जलवायु वित्त वार्ता ठप पड़ी हुई है और अमेरिका पेरिस ढांचे से बाहर है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत ने 2023 में कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम शुरू की, जो ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 पर आधारित है।
COP30 की भूमिका
यह JCM COP30 (बेलेम, ब्राज़ील, 2025) से पहले वैश्विक ध्यान आकर्षित करता है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजारों के नियमों पर बहस होगी। केवल 23 देशों ने अपने NDCs अपडेट किए हैं, ऐसे में भारत-जापान की साझेदारी दिखाती है कि द्विपक्षीय मॉडल बहुपक्षीय प्रक्रियाओं का पूरक बन सकते हैं।
ITMOs (Internationally Transferred Mitigation Outcomes) के लिए पारदर्शी नियम बनाना विश्वसनीयता के लिए अहम होगा।
भारत का घरेलू कार्बन बाजार
भारत ने अनुच्छेद 6.2 के लिए राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण के तहत अपना कार्बन बाजार ढांचा तैयार किया है। JCM के ज़रिए जापानी निवेश भारत की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में आएगा, जिससे भारत के 2070 नेट ज़ीरो लक्ष्य को बल मिलेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।
स्थिर जीके टिप: भारत ने अपना नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य COP26 (ग्लासगो, 2021) में घोषित किया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
समझौता | भारत और जापान का संयुक्त क्रेडिट तंत्र (JCM) |
कानूनी आधार | पेरिस समझौता अनुच्छेद 6.2 |
हस्ताक्षरकर्ता | MoEFCC (भारत) और जापान सरकार |
मूल्य | ¥10 ट्रिलियन (~₹6 ट्रिलियन) द्विपक्षीय समझौते |
रेयर अर्थ मुद्दा | चीन ने अप्रैल 2025 में निर्यात रोका |
भारत का कार्बन बाजार | 2023, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत |
वैश्विक कार्यक्रम | COP30, बेलेम, ब्राज़ील (2025) |
ITMOs | अनुच्छेद 6.2 के तहत अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट |
भारत का लक्ष्य | 2070 तक नेट ज़ीरो |
महत्व | ग्रीन निवेश, कार्बन ट्रेडिंग और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा |