भारतीय ध्रुवीय अनुसंधान का नया अध्याय
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पूर्वी अंटार्कटिका में भारत के नए अनुसंधान केंद्र ‘मैत्री II’ की स्थापना को मंज़ूरी दी है।
यह भारत का चौथा अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन होगा और जनवरी 2029 तक संचालन में आने की उम्मीद है।
ग्रीन रिसर्च सुविधा के रूप में डिज़ाइन किया गया यह स्टेशन सौर और पवन ऊर्जा पर चलेगा तथा स्वचालित वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित रहेगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का पहला अंटार्कटिक अभियान 1981–82 में शुरू हुआ था, जिसने भारत के ध्रुवीय अनुसंधान की नींव रखी।
अंटार्कटिका क्षेत्र का महत्व
अंटार्कटिका को पृथ्वी की “प्राकृतिक प्रयोगशाला (Natural Laboratory)” कहा जाता है, क्योंकि यह वैज्ञानिकों को वैश्विक जलवायु और महासागर प्रणाली को समझने में मदद करता है।
इसकी विशाल हिम चादरें (ice sheets) जलवायु परिवर्तन और वायुमंडलीय विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
महाद्वीप में पृथ्वी के लगभग 75% मीठे पानी का भंडार है और यह खाद्य योग्य शैवाल तथा 200 से अधिक मछली प्रजातियों का घर है।
लौह (iron) और तांबा (copper) जैसे खनिज तत्व इसके वैज्ञानिक अध्ययन को और भी आकर्षक बनाते हैं।
स्थैतिक जीके टिप: अंटार्कटिका पृथ्वी का पाँचवाँ सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो लगभग 1.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर में फैला है।
भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
हाल के वर्षों में अंटार्कटिका का भू-राजनीतिक महत्व बढ़ गया है, खासकर क्षेत्रीय दावों और चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण।
कई चीनी संरचनाओं के दोहरे उपयोग (dual-use) की संभावना ने सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंता को बढ़ाया है।
इस पृष्ठभूमि में भारत का मैत्री II केंद्र न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान बल्कि शांतिपूर्ण सहयोग और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देगा।
अंटार्कटिक अनुसंधान में भारत की यात्रा
भारत का ध्रुवीय कार्यक्रम 1983–84 में दक्षिण गंगोत्री (Dakshin Gangotri) स्टेशन से शुरू हुआ, जो 1990 तक सक्रिय रहा।
इसके बाद 1989 में मैत्री स्टेशन और 2012 में भारती स्टेशन स्थापित किए गए।
ये केंद्र वायुमंडलीय विज्ञान, हिमनद विज्ञान (Glaciology) और महासागर विज्ञान (Oceanography) में अनुसंधान को सहयोग देते हैं।
सभी अभियानों का संचालन गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) करता है, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है।
कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय ढाँचा
भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम 2022 भारत की अंटार्कटिका में गतिविधियों के लिए विधिक आधार प्रदान करता है।
यह अधिनियम पर्यावरण संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और मानव उपस्थिति के विनियमन को सुनिश्चित करता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अंटार्कटिक संधि (1959) क्षेत्र में सभी गतिविधियों को नियंत्रित करती है।
भारत 1983 में इस संधि का परामर्शदात्री सदस्य (Consultative Party) बना और उसने शांतिपूर्ण वैज्ञानिक सहयोग तथा गैर-सैन्यीकरण के सिद्धांतों को अपनाया।
स्थैतिक जीके तथ्य: अंटार्कटिक संधि के 56 सदस्य देश हैं, जिनमें से 29 देशों को परामर्शदात्री दर्जा (Consultative Status) प्राप्त है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
नए अनुसंधान केंद्र का नाम | मैत्री II |
स्थान | पूर्वी अंटार्कटिका |
संचालन वर्ष (अनुमानित) | जनवरी 2029 |
ऊर्जा स्रोत | नवीकरणीय ऊर्जा (सौर और पवन) |
नोडल एजेंसी | राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा |
शासन कानून | भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम 2022 |
भारत का पहला अंटार्कटिक केंद्र | दक्षिण गंगोत्री (1983–84) |
अन्य संचालित केंद्र | मैत्री (1989), भारती (2012) |
वैश्विक ढाँचा | अंटार्कटिक संधि, 1959 |
भारत की संधि स्थिति | 1983 से परामर्शदात्री सदस्य (Consultative Party) |