पहली सीमा पार रेल परियोजनाएँ
भारत और भूटान ने अपनी पहली सीमा पार रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है। ये दो लाइनें—कोकराझार–गेलफू (असम) और बनरहाट–सामत्से (पश्चिम बंगाल)—संपर्क मज़बूत करने, लागत घटाने और व्यापार को गति देने के लिए बनाई जा रही हैं। इन्हें दोनों हिमालयी पड़ोसियों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
कोकराझार–गेलफू लाइन
यह लाइन असम के कोकराझार ज़िले को भूटान के सारपांग जिले के गेलफू से जोड़ेगी। अनुमानित लागत ₹3,456 करोड़ है। 70 किलोमीटर लंबी इस लाइन में 6 स्टेशन और लगभग 100 पुल शामिल होंगे। गेलफू को “माइंडफुलनेस सिटी” के रूप में विकसित किया जा रहा है और यह परियोजना भूटान को भारतीय बंदरगाहों और बाज़ारों तक सीधा पहुँच प्रदान करेगी।
स्थिर जीके तथ्य: असम और आसपास के क्षेत्रों में अधिकांश रेल सेवाओं का संचालन नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे द्वारा किया जाता है।
बनरहाट–सामत्से लाइन
दूसरी परियोजना पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के बनरहाट को भूटान के सामत्से से जोड़ेगी। इसकी लागत ₹577 करोड़ है। 20 किलोमीटर लंबी इस लाइन में 2 स्टेशन और लगभग 25 पुल होंगे। यह लाइन सामत्से को औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद करेगी, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी और माल ढुलाई में सुगमता आएगी।
कुल निवेश और आर्थिक लाभ
दोनों परियोजनाओं की कुल लागत ₹4,033 करोड़ है। इनसे भूटान के निर्यात का पारगमन समय घटेगा, उसकी उद्योगिक इकाइयाँ भारतीय सप्लाई चेन से जुड़ेंगी और क्षेत्रीय व्यापार मार्गों तक पहुँच आसान होगी। यह कदम भूटान की जलविद्युत पर निर्भरता से परे आर्थिक विविधीकरण की योजना का भी समर्थन करता है।
स्थिर जीके टिप: भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसके 80% से अधिक निर्यात व आयात भारत के साथ होता है।
रणनीतिक और कूटनीतिक महत्व
आर्थिक लाभ से आगे बढ़कर इन रेल परियोजनाओं का रणनीतिक महत्व भी है। भूटान को भारत की रेलवे ग्रिड से जोड़कर नई दिल्ली ने स्वयं को एक विश्वसनीय विकास साझेदार के रूप में स्थापित किया है। ये परियोजनाएँ दक्षिण एशिया में बाहरी प्रभावों को संतुलित करने और सांस्कृतिक–सभ्यतागत रिश्तों को और गहरा करने के प्रयास का हिस्सा हैं।
त्वरित मंजूरी
कोकराझार–गेलफू परियोजना को “विशेष रेलवे परियोजना” (Special Railway Project) का दर्जा दिया गया है, जिससे भूमि अधिग्रहण और मंजूरी की प्रक्रिया तेज़ हो सके। यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत सीमा संपर्क पर रणनीतिक फोकस को दर्शाता है। भूटान को भी आसान पहुँच का लाभ मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण मज़बूत होगा।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
पहली भारत–भूटान रेल परियोजनाएँ | कोकराझार–गेलफू और बनरहाट–सामत्से |
कुल लागत | ₹4,033 करोड़ |
कोकराझार–गेलफू लाइन लंबाई | 70 किमी, 6 स्टेशन और 100 पुल |
बनरहाट–सामत्से लाइन लंबाई | 20 किमी, 2 स्टेशन और 25 पुल |
गेलफू का महत्व | भूटान में “माइंडफुलनेस सिटी” के रूप में विकसित |
सामत्से की भूमिका | उभरता हुआ औद्योगिक केंद्र |
विशेष दर्जा | कोकराझार–गेलफू परियोजना को विशेष रेलवे परियोजना घोषित |
रणनीतिक नीति संबंध | भारत की एक्ट ईस्ट नीति का समर्थन |
प्रमुख व्यापार साझेदार | भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार |
क्षेत्रीय प्रभाव | व्यापार, संपर्क और एकीकरण को बढ़ावा |