सामरिक सहयोग को नई दिशा
भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-आसियान रक्षा थिंक टैंक फोरम के गठन का प्रस्ताव रखा है।
यह पहल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2025 में कुआलालंपुर में आयोजित आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक के दौरान घोषित की।
यह फोरम भारत और आसियान देशों के विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान करेगा ताकि रक्षा व सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर ज्ञान-विनिमय, क्षमता-निर्माण और नवाचारी नीति-विचारों को बढ़ावा मिल सके।
स्थिर जीके तथ्य: आसियान (ASEAN) की स्थापना 1967 में हुई थी और वर्तमान में इसमें 10 देश हैं — जिनमें इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
रक्षा संवाद का संस्थानीकरण
राजनाथ सिंह ने भारत-आसियान रक्षा संबंधों को गहराई देने के लिए एक संस्थागत ढाँचा (institutional framework) की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने आसियान देशों से आग्रह किया कि वे अपने प्रमुख रक्षा संस्थानों और सामरिक विचारकों को इस प्रस्तावित थिंक टैंक में नामित करें।
यह पहल भारत की एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy) के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सुरक्षा, संपर्क और व्यापार एकीकरण को सुदृढ़ करना है।
स्थिर जीके टिप: भारत 1992 में आसियान का क्षेत्रीय संवाद साझेदार (Sectoral Dialogue Partner) बना था और 2012 में इसे सामरिक साझेदारी (Strategic Partnership) का दर्जा मिला।
समुद्री सुरक्षा और कानून के राज पर केन्द्रित सहयोग
हिंद-प्रशांत की रणनीतिक महत्ता को उल्लेखित करते हुए राजनाथ सिंह ने क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए आसियान की केंद्रीय भूमिका पर ज़ोर दिया।
उन्होंने आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (Trade in Goods Agreement) की समीक्षा जल्द पूरी करने का आह्वान किया ताकि आर्थिक और सुरक्षा सहयोग दोनों को मजबूती मिले।
भारत ने समुद्री सुरक्षा (Maritime Security) पर अपना ध्यान दोहराते हुए आसियान-भारत सामुद्रिक अभ्यास (AIME) के लिए आसियान राष्ट्रों का आभार प्रकट किया।
इस अभ्यास का अगला संस्करण 2026 में आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारत के 50% से अधिक व्यापारिक मार्ग दक्षिण चीन सागर और मलक्का स्ट्रेट से गुज़रते हैं, इसलिए समुद्री सुरक्षा भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकता है।
भारत ने फिर से एक नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS) द्वारा परिभाषित है।
स्थिर जीके तथ्य: यूएनसीएलओएस (UNCLOS) को 1982 में अपनाया गया था, जो महासागरों के उपयोग के संबंध में राष्ट्रों के अधिकार और दायित्व निर्धारित करता है।
शांति मिशनों में महिलाएँ और भविष्य के नौसैनिक अभियान
राजनाथ सिंह ने आसियान-भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में महिलाओं की भागीदारी की दूसरी कड़ी की घोषणा की।
इस पहल के अंतर्गत महिला सैनिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और सिविलियन सुरक्षा पर टेबल-टॉप अभ्यास आयोजित किए जाएँगे।
इसके अतिरिक्त, भारत ने अंतरराष्ट्रीय नौसेना समीक्षा (International Fleet Review 2026) में आसियान देशों को भाग लेने का आमंत्रण दिया है।
यह कार्यक्रम भारत की बढ़ती नौसैनिक क्षमता और समुद्री साझेदारी को प्रदर्शित करेगा।
बैठक के इतर राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ भारत-अमेरिका 10-वर्षीय मुख्य रक्षा साझेदारी फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर भी किए।
स्थिर जीके टिप: भारत ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय नौसेना समीक्षा 2001 में मुंबई में आयोजित की थी, जिसमें 29 देशों ने भाग लिया था।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| कार्यक्रम | आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक 2025 |
| स्थान | कुआलालंपुर, मलेशिया |
| प्रस्ताव | भारत-आसियान रक्षा थिंक टैंक फोरम |
| प्रमुख नेता | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह |
| प्रमुख सामुद्रिक अभ्यास | आसियान-भारत मैरिटाइम एक्सरसाइज (AIME) 2026 |
| प्रमुख रक्षा समझौता | भारत-अमेरिका 10-वर्षीय फ्रेमवर्क साझेदारी (2025) |
| व्यापार केंद्र | आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा |
| शांति मिशन पहल | आसियान-भारत महिलाएँ संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में |
| कानूनी ढाँचा | संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS 1982) |
| आगामी कार्यक्रम | अंतरराष्ट्रीय नौसेना समीक्षा 2026, भारत में |





