छूट की वापसी
29 अगस्त 2025 को अमेरिका ने आधिकारिक रूप से De Minimis छूट को समाप्त कर दिया। यह नियम पिछले सौ सालों से लागू था और प्रति व्यक्ति प्रतिदिन $800 तक के छोटे पार्सलों को शुल्क–मुक्त प्रवेश की अनुमति देता था। इसके हटने से सीमा-पार ई-कॉमर्स और डाक सेवाओं पर त्वरित असर पड़ा, जिससे भारतीय निर्यातकों और उपभोक्ताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
स्थिर जीके तथ्य: अमेरिका 2019 से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, जिसने चीन को पीछे छोड़ा।
पुराने सिस्टम का महत्व
यह छूट छोटे पार्सलों के लिए कस्टम औपचारिकताओं को कम करने के लिए बनाई गई थी, ताकि कागज़ी कार्य घटे और क्लियरेंस तेज़ हो। सिर्फ FY 2024 में 1.36 अरब से अधिक शिपमेंट इसी प्रावधान के तहत अमेरिका में पहुँचे। इससे भारतीय छोटे कारोबारियों को अमेरिकी बाज़ार में आसान पहुँच मिली।
छूट खत्म करने के कारण
अमेरिकी प्रशासन ने इस नियम को खत्म कर टैरिफ संग्रह और आयात नियंत्रण को मज़बूत करने का तर्क दिया। सरकार ने कम मूल्यांकन (undervaluation) और सुरक्षा जोखिमों को मुख्य कारण बताया। डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई 2025 को इसकी घोषणा की और निर्यातकों को सिर्फ एक महीने का समय मिला।
स्थिर जीके टिप: भारत में कूरियर पार्सल का आयात सीमा सिर्फ ₹1,000 है।
इंडिया पोस्ट और सेवा निलंबन
अमेरिका का नियम लागू होने से पहले ही इंडिया पोस्ट ने 25 अगस्त 2025 से पार्सल सेवाएँ रोक दीं, केवल दस्तावेज़ और $100 से कम मूल्य के गिफ्ट्स की अनुमति रही। कोयंबटूर जैसे हब में, जहाँ 15% पार्सल अमेरिका जाते थे, इसका बड़ा असर पड़ा। शुल्क संग्रह की स्पष्ट व्यवस्था न होने से शिपमेंट प्रोसेस नहीं हो पाए।
भारतीय व्यवसायों के लिए चुनौतियाँ
भारतीय MSMEs, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, फ़ार्मा और ज्वेलरी उद्योग, अब सख्त अनुपालन की चुनौती झेल रहे हैं। ये क्षेत्र मिलकर अमेरिका को भारत के कुल निर्यात का 60% से अधिक योगदान देते हैं। पुराना एंट्री टाइप 86 सिस्टम अब एंट्री टाइप 11 से बदल गया है, जिसमें विस्तृत उत्पाद वर्गीकरण, मूल्यांकन और भारी कागज़ी कार्य की आवश्यकता है। इससे लागत और समय दोनों बढ़ रहे हैं।
स्थिर जीके तथ्य: भारत दुनिया का सबसे बड़ा रत्न और आभूषण आपूर्तिकर्ता है और अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाज़ार है।
बढ़ती लागत और रणनीतिक बदलाव
निर्यातकों को या तो नए शुल्क खुद वहन करने होंगे या अमेरिकी खरीदारों पर डालने होंगे। खुद वहन करने से लाभ घटेगा, और खरीदारों पर डालने से मांग घट सकती है। सीमित मार्जिन वाले MSMEs प्रतिस्पर्धा खोने के जोखिम में हैं। हालांकि, यह बदलाव भारतीय व्यवसायों को डिजिटल दस्तावेज़ीकरण और आधुनिक अनुपालन अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रहा है, जिससे लंबे समय में व्यापार क्षमता मजबूत हो सकती है।
आगे का रास्ता
डाक विभाग प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सेवाएँ बहाल करने पर काम कर रहा है। निर्यातक और उद्योग संगठन डेटा एक्सचेंज और शुल्क संग्रह पर स्पष्ट ढाँचा चाहते हैं। अल्पकालिक असर नकारात्मक है, लेकिन यह बदलाव भारत–अमेरिका व्यापार को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने में मदद कर सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| नियम हटाने की तारीख | 29 अगस्त 2025 |
| पुरानी छूट सीमा | $800 प्रति व्यक्ति प्रति दिन |
| घोषणा की | डोनाल्ड ट्रंप (30 जुलाई 2025) |
| डाक प्रभाव | इंडिया पोस्ट ने अधिकांश अमेरिकी पार्सल रोके |
| छूट प्राप्त शिपमेंट | दस्तावेज़ और $100 से कम गिफ्ट |
| सबसे प्रभावित सेक्टर | इलेक्ट्रॉनिक्स, फ़ार्मा, टेक्सटाइल, ज्वेलरी |
| नया कस्टम सिस्टम | एंट्री टाइप 11 (एंट्री टाइप 86 की जगह) |
| MSME निर्यात हिस्सा | अमेरिका को 60%+ |
| अमेरिका की भूमिका | भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार |
| भारत की कूरियर De Minimis सीमा | ₹1,000 |





