सुरक्षा और सततता के लिए दोहरी नवाचार
IIT गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक नया पदार्थ विकसित किया है, जो पेट्रोल में केरोसीन मिलावट का पता लगा सकता है और साथ ही जल निकायों में हुए तेल रिसाव की सफाई भी कर सकता है।
यह नवाचार — Phase-Selective Organogelator (PSOG) — दो महत्वपूर्ण चुनौतियों: ईंधन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को हल करने के लिए एक कम लागत वाला और पर्यावरण-अनुकूल समाधान है।
PSOG मिलावटी ईंधन की पहचान करता है और पानी की सतह से तेल को अवशोषित करता है।
अवशोषित तेल जेल में बदल जाता है, जिसे आसानी से निकालकर पानी को फिर से शुद्ध बनाया जा सकता है, और यह द्वितीयक प्रदूषण भी नहीं करता।
स्थिर जीके तथ्य: IIT गुवाहाटी की स्थापना 1994 में हुई थी, और यह भारत का छठा IIT है।
PSOG के पीछे का वैज्ञानिक तंत्र
PSOG को प्रोफेसर गोपाल दास और उनकी टीम (रसायन विभाग, IIT गुवाहाटी) ने विकसित किया।
उन्होंने हायरार्किकल सुप्रामॉलिक्युलर सेल्फ-असेंबली का उपयोग किया, जिसमें अणुओं को प्राकृतिक संरचनाओं — जैसे साबुन की माइसेल — की तरह व्यवस्थित किया गया।
इससे यह पदार्थ हाइड्रोकार्बन अणुओं (जैसे केरोसीन, डीज़ल) को बहुत चयनात्मक तरीके से पकड़ सकता है।
PSOG की सबसे अनूठी विशेषता है कि यह केवल विशिष्ट प्रकार के तेल के संपर्क में आने पर ही जेल बनाता है, जिससे मिलावट पहचान तेज, सटीक और बिना झूठे परिणामों के होती है।
स्थिर जीके टिप: सुप्रामॉलिक्युलर केमिस्ट्री जटिल संरचनाएँ बनाने वाली गैर-सहसंयोजक (non-covalent) पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन करती है — इसे औषधि और सामग्री विज्ञान में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
ईंधन मिलावट और तेल रिसाव—दोनों समस्याओं का समाधान
भारत में ईंधन मिलावट, खासकर पेट्रोल में केरोसीन मिलाने, की समस्या लंबे समय से मौजूद है। इससे इंजन की क्षमता घटती है और प्रदूषण बढ़ता है।
PSOG तकनीक से तुरंत और आसान फील्ड-टेस्टिंग संभव होगी, जिससे ईंधन वितरण में पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार होगा।
साथ ही, PSOG का तेल अवशोषण गुण समुद्री पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा कदम है।
Oil Tanker Spill Statistics 2024 के अनुसार, पिछले वर्ष 10,000 टन से अधिक तेल वैश्विक जल क्षेत्रों में रिसा, जिससे समुद्री जैव विविधता और आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा।
स्थिर जीके तथ्य: दुनिया का सबसे बड़ा तेल रिसाव Deepwater Horizon (2010) था, जिसमें 4 मिलियन बैरल से अधिक तेल मैक्सिको की खाड़ी में फैल गया था।
भविष्य की संभावनाएँ और वैश्विक प्रभाव
टीम PSOG को आगे बढ़ाकर तेल रिफाइनरी, फ्यूल स्टेशन, और बड़े पैमाने पर समुद्री तेल-सफाई अभियानों में उपयोग योग्य बनाने पर काम कर रही है।
यह पदार्थ कम लागत, बायोडिग्रेडेबल और उच्च दक्षता के कारण वैश्विक पर्यावरण निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
यह नवाचार संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 14 (Life Below Water) के अनुरूप भी है, जो समुद्री जीवन की रक्षा और प्रदूषण कम करने पर केंद्रित है।
स्थिर जीके टिप: भारत की National Oil Spill Disaster Contingency Plan (NOS-DCP) को पहली बार 1996 में भारतीय तटरक्षक बल द्वारा लागू किया गया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| संस्थान | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी |
| विकसित सामग्री | Phase-Selective Organogelator (PSOG) |
| मुख्य कार्य | केरोसीन मिलावट पहचानना और तेल रिसाव की सफाई |
| शोध नेतृत्व | प्रोफेसर गोपाल दास, रसायन विभाग |
| उपयोग की गई प्रक्रिया | हायरार्किकल सुप्रामॉलिक्युलर सेल्फ-असेंबली |
| विकास वर्ष | 2025 |
| वैश्विक संदर्भ | 2024 में 10,000 टन तेल वैश्विक जल क्षेत्रों में रिसा |
| पर्यावरण लक्ष्य | UN SDG 14 – जल के नीचे का जीवन |
| राष्ट्रीय नीति | National Oil Spill Disaster Contingency Plan (1996) |
| संभावित उपयोग | तेल रिफाइनरी, फ्यूल स्टेशन, समुद्री सफाई अभियान |





