अंतरिक्ष की दौड़ में होंडा की एंट्री
17 जून 2025 को, होंडा ने जापान के होक्काइडो प्रांत के ताइकी टाउन में अपना पहला पुनः प्रयोग योग्य रॉकेट सफलतापूर्वक परीक्षण किया। होंडा जो अब तक अपने दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए जानी जाती थी, अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुकी है। यह परीक्षण जापान को अमेरिका और चीन के बाहर इस क्षेत्र में सक्रिय देशों की सूची में शामिल करता है।
परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ
इस रॉकेट की लंबाई 6.3 मीटर थी और यह आकार में छोटा होते हुए भी तकनीकी दृष्टि से शक्तिशाली था। उड़ान का समय 56.6 सेकंड रहा और यह 271.4 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचा। सबसे खास बात यह रही कि रॉकेट अपनी निर्धारित लैंडिंग जगह से सिर्फ 37 सेंटीमीटर की दूरी पर उतरा, जो इसके स्वायत्त नेविगेशन और स्थिरीकरण प्रणाली की उत्कृष्टता को दर्शाता है। उड़ान के समय रॉकेट का कुल वजन 1,312 किलोग्राम था, जबकि उसका ड्राय मास 900 किलोग्राम था।
क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य “रीयूजेबिलिटी“ की पुष्टि करना था—यानी रॉकेट को एक बार प्रयोग के बाद फिर से उपयोग में लाना। स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन की तरह अब होंडा भी ऐसे सिस्टम पर काम कर रही है, जो लॉन्च की लागत घटाता है, समय बचाता है, और अंतरिक्ष की आसान पहुँच को संभव बनाता है। अब जापान भी उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जहाँ निजी क्षेत्र में पुनः प्रयोग योग्य रॉकेट टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है।
होंडा की भविष्य की योजनाएँ
होंडा की योजना है कि वह 2029 तक सबऑर्बिटल लॉन्च शुरू कर दे, जो पृथ्वी की कक्षा के किनारे (लगभग 100 किमी ऊँचाई) तक उड़ान भर सकें। इनका उपयोग पृथ्वी अवलोकन, मौसम निगरानी, और सैटेलाइट नेटवर्क तैयार करने जैसे कार्यों में किया जाएगा—कुछ हद तक स्टारलिंक जैसी सेवाओं के समान। यह होंडा को केवल एक वाहन निर्माता ही नहीं, बल्कि एक उभरते स्पेस टेक लीडर के रूप में स्थापित करता है।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
चर्चा में क्यों | होंडा ने पुनः प्रयोग योग्य रॉकेट का सफल परीक्षण किया |
रॉकेट प्रकार | एक्सपेरिमेंटल रीयूजेबल रॉकेट |
लॉन्च स्थल | ताइकी टाउन, होक्काइडो, जापान |
उड़ान अवधि | 56.6 सेकंड |
प्राप्त ऊँचाई | 271.4 मीटर |
रॉकेट की लंबाई | 6.3 मीटर |
कुल वजन | 1,312 किलोग्राम (लॉन्च के समय) |
लैंडिंग सटीकता | लक्ष्य से मात्र 37 सेमी दूर |
नियोजित उपयोग | पृथ्वी अवलोकन, मौसम निगरानी, सबऑर्बिटल मिशन |
अगला लक्ष्य | 2029 तक सबऑर्बिटल लॉन्च शुरू करना |