सितम्बर 19, 2025 6:55 पूर्वाह्न

ज्ञान भारतम पोर्टल पांडुलिपि डिजिटलीकरण को मज़बूत करता है

चालू घटनाएँ: प्रधानमंत्री मोदी, ज्ञान भारतम् पोर्टल, विज्ञान भवन, संस्कृति मंत्रालय, पांडुलिपि डिजिटलीकरण, एआई आधारित पहुँच, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सांस्कृतिक धरोहर, विकसित भारत 2047, अंतरराष्ट्रीय सहयोग

Gyan Bharatam Portal Strengthens Manuscript Digitisation

ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ

12 सितम्बर 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पहल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन – ज्ञान भारतम् के दौरान प्रस्तुत की गई, जो भारत की पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थिर जीके तथ्य: विज्ञान भवन (नई दिल्ली) की स्थापना 1956 में हुई थी और यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का प्रमुख स्थल है।

पोर्टल के उद्देश्य

यह पोर्टल भारत के विशाल पांडुलिपि संग्रहों का डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुँच सुनिश्चित करेगा।

  • राष्ट्रीय डिजिटल भंडार के रूप में कार्य करेगा।
  • एआई आधारित खोज, अनुवाद और टिप्पणी उपकरण उपलब्ध कराएगा।
  • शोध, प्रकाशन और विद्वानों व संरक्षणकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा।
    स्थिर जीके टिप: भारत के पास विश्व में सबसे बड़ा पांडुलिपि भंडार है, जिसकी संख्या 50 लाख से अधिक है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की भूमिका

11–13 सितम्बर 2025 तक आयोजित भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति: पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से” सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय ने किया।

  • इसमें 1,100 से अधिक विशेषज्ञों, विद्वानों और संस्थानों ने भाग लिया।
  • चर्चाओं का केंद्र था: डिजिटलीकरण, संरक्षण, जनसहभागिता और प्रदर्शनी।

पहल का महत्व

भारत की पांडुलिपियाँ दर्शनशास्त्र, आयुर्वेद, खगोलशास्त्र, साहित्य, प्रशासन जैसे विविध क्षेत्रों को कवर करती हैं।

  • कई पांडुलिपियाँ नाज़ुक और नष्ट होने के कगार पर हैं।
  • डिजिटलीकरण से इनका संरक्षण सुनिश्चित होगा।
  • शोधार्थियों के लिए खुली पहुँच को बढ़ावा मिलेगा।
  • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस लक्ष्य से मेल खाता है जिसमें पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का एकीकरण शामिल है।
    स्थिर जीके तथ्य: राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (2003) पांडुलिपियों के दस्तावेजीकरण व संरक्षण हेतु स्थापित किया गया था।

राष्ट्रीय दृष्टि में योगदान

ज्ञान भारतम् पोर्टल विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को मज़बूत करता है, जिसमें सांस्कृतिक धरोहर को विकसित भारत की नींव माना गया है।

  • एआई तकनीक और पारंपरिक ज्ञान को जोड़कर यह प्राचीन और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु बनाता है।
  • भारत की सॉफ्ट पावर को वैश्विक स्तर पर मज़बूत करता है।
    स्थिर जीके टिप: यूनेस्को ने कई भारतीय पांडुलिपियों (जैसे ऋग्वेद) को अपने Memory of the World Register में शामिल किया है।

आगे की राह

यह पहल वैश्विक साझेदारी, सामुदायिक भागीदारी और शिक्षा में एकीकरण के माध्यम से परंपरागत ज्ञान को डिजिटल रूप में पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखती है। यह परियोजना भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि कैसे सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और नवाचार साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं।

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विषय विवरण
आयोजन ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ
तिथि 12 सितम्बर 2025
शुभारंभकर्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
स्थल विज्ञान भवन, नई दिल्ली
आयोजक संस्कृति मंत्रालय
सम्मेलन विषय भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति (पांडुलिपि धरोहर)
प्रतिभागी 1,100+ विद्वान, विशेषज्ञ, संस्थान
उद्देश्य डिजिटलीकरण, संरक्षण, शोध, एआई आधारित पहुँच, क्षमता निर्माण
राष्ट्रीय दृष्टि विकसित भारत 2047
नीति से संरेखण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

 

Gyan Bharatam Portal Strengthens Manuscript Digitisation
  1. प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ किया।
  2. इस पोर्टल का उद्देश्य भारत की पांडुलिपि विरासत का डिजिटलीकरण और संरक्षण करना है।
  3. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरण पांडुलिपियों की खोज, अनुवाद और व्याख्या करने में मदद करते हैं।
  4. भारत में 50 लाख से ज़्यादा पांडुलिपियाँ हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है।
  5. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के एकीकरण का समर्थन करती है।
  6. पांडुलिपि विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 1,100 से ज़्यादा विशेषज्ञ शामिल हुए।
  7. पांडुलिपियों में दर्शनशास्त्र, चिकित्सा, खगोल विज्ञान और शासन शामिल हैं, जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है।
  8. यूनेस्को ने ऋग्वेद जैसी भारतीय पांडुलिपियों को अपने वैश्विक संग्रह में मान्यता दी है।
  9. ज्ञान भारतम विकसित भारत 2047 के सांस्कृतिक विरासत लक्ष्यों का समर्थन करता है।
  10. डिजिटलीकरण, संवेदनशील दस्तावेज़ों तक पहुँच में सुधार करके शोधकर्ताओं की सहायता करता है।
  11. राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की स्थापना 2003 में हुई थी।
  12. ओपन एक्सेस प्लेटफ़ॉर्म व्यापक विद्वानों की भागीदारी और शोध को प्रोत्साहित करते हैं।
  13. सामुदायिक भागीदारी और साझेदारी स्थायी संरक्षण प्रयासों की कुंजी हैं।
  14. एआई-संचालित उपकरण प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शिक्षण तकनीकों से जोड़ते हैं।
  15. सम्मेलन के दौरान सार्वजनिक प्रदर्शनियों में भारत की पांडुलिपि परंपरा का प्रदर्शन किया गया।
  16. पांडुलिपियों की वैश्विक मान्यता के माध्यम से सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर को मज़बूती मिलती है।
  17. ज्ञान प्रणालियों का संरक्षण राष्ट्रीय शिक्षा और विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  18. डिजिटलीकरण ऐतिहासिक ग्रंथों को होने वाले अपरिवर्तनीय नुकसान को रोकता है।
  19. क्षमता निर्माण विद्वानों और संरक्षकों को विरासत को बनाए रखने में मदद करता है।
  20. वैश्विक सहयोग ज्ञान-साझाकरण और डिजिटल संरक्षण रणनीतियों को बढ़ाता है।

Q1. सितंबर 2025 में "ज्ञान भारतम पोर्टल" किसने लॉन्च किया?


Q2. ज्ञान भारतम पोर्टल का मुख्य उद्देश्य क्या है?


Q3. ज्ञान भारतम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किस मंत्रालय ने किया?


Q4. ज्ञान भारतम सम्मेलन में कितने विशेषज्ञ और संस्थान शामिल हुए?


Q5. ज्ञान भारतम पोर्टल किस दृष्टि (Vision) का समर्थन करता है?


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