क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पृष्ठभूमि
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) की स्थापना 1975 में एक अध्यादेश के तहत हुई और बाद में 1976 के आरआरबी अधिनियम द्वारा औपचारिक रूप दिया गया। इनका उद्देश्य ग्रामीण ऋण वितरण को मजबूत करना और सहकारी ऋण संरचना का विकल्प उपलब्ध कराना था।
शेयरहोल्डिंग मॉडल अद्वितीय था: 50% भारत सरकार, 15% राज्य सरकार और 35% प्रायोजक बैंक। इस त्रिपक्षीय संरचना ने ग्रामीण भारत में वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा देने की संयुक्त जिम्मेदारी सुनिश्चित की।
स्टैटिक जीके तथ्य: पहला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक प्रथमा बैंक 1975 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) में स्थापित हुआ था।
स्वर्ण जयंती का मील का पत्थर
वर्ष 2025 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। इस अवसर पर नाबार्ड वित्तीय सेवाएँ विभाग (केंद्रीय वित्त मंत्रालय) के साथ मिलकर नई दिल्ली में एक विशेष राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
यह उत्सव इस बात को उजागर करता है कि ग्रामीण क्रेडिट, वित्तीय समावेशन और कृषि विकास को बढ़ावा देने में RRBs ने कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्राथमिक क्षेत्र ऋण में भूमिका
RRBs को अनिवार्य किया गया है कि वे अपनी शुद्ध बैंक क्रेडिट (ANBC) या क्रेडिट समकक्ष ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र (CEOBE), जो भी अधिक हो, का 75% प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) में दें। इससे सुनिश्चित होता है कि उनकी अधिकतर ऋण राशि छोटे किसानों, ग्रामीण कारीगरों, कृषि मजदूरों और कमजोर वर्गों तक पहुँचे।
हाल के आँकड़ों के अनुसार, RRBs के 89% से अधिक ऋण PSL में जाते हैं, जिससे वे अन्य बैंकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्टैटिक जीके टिप: प्राथमिक क्षेत्र ऋण (PSL) दिशा-निर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत जारी किए जाते हैं।
संरचनात्मक सुधार और विलय
दक्षता सुधारने के लिए डॉ. वी.एस. व्यास समिति (2001) ने RRBs के एकीकरण की सिफारिश की। 2005 से कई RRBs का विलय किया गया ताकि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो सके, तकनीक का बेहतर उपयोग हो और ग्राहक सेवाओं में सुधार हो।
मार्च 2022 तक भारत में 12 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रायोजित 43 RRBs कार्यरत थे, जो लगभग पूरे ग्रामीण भारत को कवर करते हैं।
प्रायोजन और विनियमन
लगभग सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कम से कम एक RRB को प्रायोजित करते हैं, केवल पंजाब एंड सिंध बैंक अपवाद है। दिलचस्प बात यह है कि जम्मू और कश्मीर बैंक (J&K Bank) एकमात्र निजी बैंक है जो RRB को प्रायोजित करता है।
RRBs का विनियमन भारतीय रिज़र्व बैंक करता है और नाबार्ड इसकी निगरानी करता है, जिससे वित्तीय अनुशासन और क्षेत्रीय फोकस सुनिश्चित होता है।
वित्तीय समावेशन में योगदान
RRBs ने सरकारी प्रमुख योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभाई है। वे PMJDY खातों का 18.5%, PMSBY नामांकन का 13.3% और PM-किसान लाभार्थियों का 16.9% हिस्सेदारी रखते हैं। उनकी ग्रामीण पहुँच ने उन्हें वित्तीय समावेशन का मुख्य चालक बनाया है।
स्टैटिक जीके तथ्य: प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) 2014 में दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना के रूप में शुरू की गई थी।
विरासत और भविष्य की दृष्टि
पाँच दशकों में RRBs ग्रामीण वित्तीय संस्थानों के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण बन गए हैं। ग्रामीण ऋण वितरण, कृषि सहयोग और ग्रामीण उत्थान में उनका योगदान अद्वितीय रहा है। 2025 की स्वर्ण जयंती केवल स्मरण का अवसर नहीं बल्कि डिजिटल बैंकिंग और सतत ऋण प्रथाओं के साथ और अधिक आधुनिक बनने का आह्वान भी है।
स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
स्थापना वर्ष | 1975 (अधिनियम 1976 में) |
पहला RRB | प्रथमा बैंक, मुरादाबाद |
शेयरहोल्डिंग पैटर्न | भारत सरकार 50%, राज्य सरकार 15%, प्रायोजक बैंक 35% |
RRBs की संख्या (2022) | 43 |
प्रायोजक बैंक | 12 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक |
विशेष प्रायोजन | जे एंड के बैंक (एकमात्र निजी प्रायोजक) |
PSL अनिवार्यता | ANBC/CEOBE का 75% |
PSL ऋण का हिस्सा | 89% से अधिक |
विलय की शुरुआत | 2005, व्यास समिति (2001) की सिफारिश पर |
प्रमुख सरकारी योजनाएँ | PMJDY, PMSBY, PM-Kisan |