केन्टन आर. मिलर पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय
डॉ. सोनाली घोष, निदेशक — काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व, ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
वह केन्टन आर. मिलर पुरस्कार (Kenton R. Miller Award) प्राप्त करने वाली पहली भारतीय बनी हैं।
यह पुरस्कार सतत संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन (Sustainable Protected Area Management) में नवाचार के लिए दिया जाता है।
यह सम्मान 10 अक्टूबर 2025 को अबू धाबी में आयोजित समारोह में IUCN (International Union for Conservation of Nature) के अधीन कार्यरत वर्ल्ड कमीशन ऑन प्रोटेक्टेड एरियाज़ (WCPA) द्वारा प्रदान किया गया।
डॉ. घोष ने यह पुरस्कार इक्वाडोर के रोके सिमोन सेविला लारिया (Roque Simón Sevilla Larrea) के साथ साझा किया, जो सामुदायिक और पारिस्थितिक रूप से समावेशी संरक्षण के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
स्थैतिक जीके तथ्य: IUCN की स्थापना 1948 में हुई थी, इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड में है, और यह जैव विविधता एवं पर्यावरण नीति के क्षेत्र में विश्व की सबसे प्रतिष्ठित संस्थाओं में से एक है।
केन्टन आर. मिलर पुरस्कार के बारे में
यह पुरस्कार संरक्षित क्षेत्रों — जैसे राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और बायोस्फीयर रिज़र्व — के नवोन्मेषी और नेतृत्वकारी प्रबंधन को सम्मानित करता है।
इसका नाम डॉ. केन्टन आर. मिलर, जो एक अग्रणी पर्यावरणविद् थे, के नाम पर रखा गया है।
यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिनके कार्यों ने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण प्रबंधन को सशक्त बनाया है।
WCPA, जो IUCN की छह तकनीकी समितियों में से एक है, विश्वभर के विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और संरक्षण कार्यकर्ताओं को जोड़कर वैश्विक जैव विविधता संरक्षण रणनीतियों में सुधार के लिए कार्य करती है।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में 900 से अधिक संरक्षित क्षेत्र हैं, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5% कवर करते हैं।
डॉ. सोनाली घोष का संरक्षण मॉडल
डॉ. घोष के पुरस्कार-विजेता मॉडल में पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान, आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियाँ, और स्थानीय समुदाय की भागीदारी का समन्वय है।
उनका दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि स्थानीय समुदाय केवल लाभार्थी नहीं बल्कि संरक्षण के सक्रिय भागीदार हों।
इस सहभागी ढाँचे (Participatory Framework) ने असम के काज़ीरंगा और मानस जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों में संरक्षण के परिणामों को मज़बूत किया है।
उनका नेतृत्व समावेशिता और लचीलापन (Resilience and Inclusivity) पर आधारित है, जिससे संरक्षण प्रशासनिक दायित्व से आगे बढ़कर एक सामुदायिक जिम्मेदारी बन गया है।
भारत और असम के लिए महत्व
डॉ. घोष की यह उपलब्धि भारत की सतत संरक्षण नीति को वैश्विक मान्यता प्रदान करती है।
यह असम की भूमिका को जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में पुनः रेखांकित करती है, जहाँ मनुष्य और वन्यजीवों का सह-अस्तित्व सफलतापूर्वक दिखाई देता है।
यह उपलब्धि पर्यावरणीय शासन (Environmental Governance) में महिला नेतृत्व की भूमिका को भी उजागर करती है और संवेदनशील पारिस्थितिक प्रबंधन के लिए एक नया मानक (Benchmark) स्थापित करती है।
उनका कार्य अन्य विकासशील देशों और भारतीय राज्यों के लिए एक दोहराने योग्य संरक्षण मॉडल (Replicable Framework) प्रस्तुत करता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1905 में हुई थी। यह 1985 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) घोषित किया गया और यहाँ विश्व के 70% से अधिक एक-सींग वाले गैंडों का आवास है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
पुरस्कार का नाम | केन्टन आर. मिलर पुरस्कार (Kenton R. Miller Award) |
पुरस्कार प्राप्तकर्ता | डॉ. सोनाली घोष |
पद | निदेशक, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिज़र्व |
प्रदान करने वाली संस्था | वर्ल्ड कमीशन ऑन प्रोटेक्टेड एरियाज़ (WCPA) — IUCN के अधीन |
कार्यक्रम स्थल | अबू धाबी |
पुरस्कार तिथि | 10 अक्टूबर 2025 |
सह–प्राप्तकर्ता | रोके सिमोन सेविला लारिया (इक्वाडोर) |
उद्यान का स्थान | असम, भारत |
यूनेस्को मान्यता वर्ष | 1985 |
महत्व | सामुदायिक-आधारित और सतत संरक्षण मॉडल को बढ़ावा देना |