वैश्विक पुरस्कार का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक एम. एस. स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति पुरस्कार की शुरुआत की। यह पुरस्कार विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि में असाधारण योगदान देने वालों को सम्मानित करेगा।
इस अवसर पर एम. एस. स्वामीनाथन की विरासत के सम्मान में एक शताब्दी स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत में हरित क्रांति 1960 के दशक के मध्य में उच्च उपज वाली गेहूं और चावल की किस्मों के परिचय से शुरू हुई।
पहला पुरस्कार और वैश्विक पहचान
पहला पुरस्कार नाइजीरियाई वैज्ञानिक डॉ. एरेनारे को प्रदान किया गया, जिन्होंने नाइजीरिया में भूख से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी कृषि तकनीकों और भूख-उन्मूलन रणनीतियों में नवाचार स्वामीनाथन के विज्ञान और मानवीय लक्ष्यों के संयोजन के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहां 35% से अधिक कार्यबल कृषि में कार्यरत है।
एम. एस. स्वामीनाथन की विरासत
एम. एस. स्वामीनाथन का निधन 23 सितंबर 2023 को 98 वर्ष की आयु में हुआ और 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1960–70 के दशक की हरित क्रांति के दौरान उनके नेतृत्व ने भारत को खाद्य-अभावी देश से खाद्य–आत्मनिर्भर राष्ट्र बना दिया।
उन्होंने बायो–हैप्पीनेस की अवधारणा दी, जो पारिस्थितिक संतुलन को मानव कल्याण से जोड़ती है। यह दर्शन कृषि से आगे बढ़कर पर्यावरणीय स्थिरता तक फैला।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत रत्न 1954 में स्थापित भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
जलवायु-सहिष्णु खेती का आह्वान
घोषणा के दौरान पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों से जलवायु–सहिष्णु कृषि पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। इसमें सूखा-सहनशील बीज, जल-कुशल तकनीक और सतत खेती के तरीकों का विकास शामिल है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से वैश्विक खाद्य तंत्र की सुरक्षा हो सके।
यह पुरस्कार ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, विशेषकर जलवायु जोखिम से प्रभावित क्षेत्रों में कृषि लचीलापन बढ़ाने के लिए।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत गेहूं और चावल के दुनिया के शीर्ष तीन उत्पादकों में शामिल है, जिससे कृषि लचीलापन वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण है।
खाद्य और शांति का प्रतीक
“खाद्य और शांति” शब्द, स्वामीनाथन द्वारा गढ़ा गया, इस विचार को व्यक्त करता है कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना स्थायी शांति प्राप्त करने की कुंजी है। यह पुरस्कार हर वर्ष ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने वैश्विक भूख-उन्मूलन में परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है।
यह पुरस्कार एक प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मान बनने की संभावना रखता है, जो सतत कृषि और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को सुदृढ़ करेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
तथ्य | विवरण |
आयोजन | वैश्विक एम. एस. स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति पुरस्कार का शुभारंभ |
लॉन्च तिथि | 8 अगस्त 2025 |
स्थान | एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, दिल्ली |
प्रथम पुरस्कार विजेता | डॉ. एरेनारे, नाइजीरियाई वैज्ञानिक |
पुरस्कार का उद्देश्य | खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि में योगदान को सम्मानित करना |
सम्मानित विरासत | एम. एस. स्वामीनाथन, भारत के हरित क्रांति के जनक |
अतिरिक्त श्रद्धांजलि | शताब्दी स्मारक डाक टिकट का विमोचन |
एम. एस. स्वामीनाथन का निधन | 23 सितंबर 2023 |
मरणोपरांत सम्मान | भारत रत्न 2024 |
प्रमुख फोकस | जलवायु-सहिष्णु खेती और वैश्विक भूख उन्मूलन |