गंगोत्री ग्लेशियर का परिचय
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर हिमालय के सबसे महत्वपूर्ण ग्लेशियरों में से एक है, जिसकी लंबाई लगभग 30 किमी है। यह भागीरथी नदी का मुख्य स्रोत है, जो आगे चलकर अलकनंदा नदी से देवप्रयाग में मिलती है और गंगा नदी का निर्माण करती है। इससे गंगोत्री का महत्व केवल पारिस्थितिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भी है।
हालिया अध्ययन की खोज
वैज्ञानिक आकलनों से पता चला है कि पिछले चार दशकों में हिमपिघलन का योगदान 10% घट गया है। इसका मुख्य कारण वैश्विक ऊष्मीकरण, हिमपात में कमी और बदलते हिमालयी मौसम पैटर्न है। यह गिरावट गंगा में दीर्घकालिक जल प्रवाह की स्थिरता को खतरे में डालती है।
पारिस्थितिक महत्व
गंगोत्री, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को सहारा देता है। यहां दुर्लभ प्रजातियाँ जैसे हिम तेंदुआ, हिमालयी नीली भेड़ (भरल) और हिमालयन मोनाल (उत्तराखंड का राज्य पक्षी और नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी) पाई जाती हैं।
स्थिर जीके तथ्य: हिमालयन मोनाल उत्तराखंड का राज्य पक्षी और नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है।
गंगा बेसिन पर प्रभाव
गंगोत्री ग्लेशियर से पोषित भागीरथी नदी, भारत के सबसे बड़े गंगा बेसिन का अभिन्न हिस्सा है। घटते हिमपिघलन के कारण कृषि, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन पर खतरे मंडरा रहे हैं। इसका असर सीधे तौर पर भारत की लगभग आधी जनसंख्या पर पड़ेगा।
स्थिर जीके तथ्य: गंगा बेसिन भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 26% कवर करता है।
ग्लेशियर का पीछे हटना और जलवायु चिंता
अध्ययनों से पता चलता है कि गंगोत्री ग्लेशियर हाल के दशकों में प्रति वर्ष 15–20 मीटर पीछे हट रहा है। यह तेज़ सिकुड़न हिम झील विस्फोट बाढ़ (GLOFs) के खतरे को बढ़ाती है, जिससे निचले इलाकों की बस्तियों और बुनियादी ढाँचे को नुकसान हो सकता है।
स्थिर जीके टिप: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत हिमालयी ग्लेशियरों की निगरानी करता है।
संरक्षण की दिशा में कदम
सरकार ने राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के सतत विकास हेतु राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। साथ ही, उत्तराखंड में स्थानीय वृक्षारोपण और जन–जागरूकता अभियान इस नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में योगदान दे रहे हैं।
स्थिर जीके तथ्य: गंगोत्री नगर, जो ग्लेशियर के पास स्थित है, भारत के पवित्र चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| स्थान | उत्तरकाशी ज़िला, उत्तराखंड |
| ग्लेशियर की लंबाई | लगभग 30 किमी |
| नदी स्रोत | भागीरथी नदी |
| संगम बिंदु | देवप्रयाग (भागीरथी + अलकनंदा = गंगा) |
| हालिया निष्कर्ष | 40 वर्षों में हिमपिघलन में 10% गिरावट |
| पीछे हटने की दर | प्रति वर्ष 15–20 मीटर |
| संरक्षित क्षेत्र | गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान |
| प्रमुख जीव | हिम तेंदुआ, भरल, हिमालयन मोनाल |
| धार्मिक महत्व | गंगा का उद्गम, चार धाम तीर्थ स्थल |
| प्रमुख सरकारी मिशन | हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) |





