भारतीय मत्स्य क्षेत्र का रूपांतरण
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरुआत 10 सितम्बर 2020 को की गई थी। इसने पाँच वर्षों में भारतीय मत्स्य क्षेत्र को सतत, मज़बूत और समावेशी बना दिया है। योजना को अब 2025–26 तक बढ़ा दिया गया है ताकि निवेश और सुधार निरंतर जारी रह सकें।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का समुद्री तट 7,500 किमी से अधिक लंबा है, जो बड़ी संख्या में समुद्री मत्स्य समुदायों को आजीविका प्रदान करता है।
मछली उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि
भारत का मछली उत्पादन 2024–25 में 195 लाख टन तक पहुँच गया। यह 2013–14 से 104% की वृद्धि दर्शाता है। अकेले अंतर्देशीय मत्स्य में 142% वृद्धि हुई है। आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बन चुका है, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उसकी भूमिका और मज़बूत हुई है।
स्थिर जीके तथ्य: चीन विश्व का सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
आधारभूत ढाँचे और निवेश का विस्तार
पीएमएमएसवाई के तहत अब तक ₹21,274 करोड़ की परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से ₹9,189 करोड़ केंद्र का हिस्सा है और ₹5,587 करोड़ जारी भी किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त, ₹17,210 करोड़ का आवंटन बंदरगाहों, कोल्ड स्टोरेज और बाज़ारों के लिए किया गया है।
वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह–योजना (PM-MKSSY) की शुरुआत की गई थी, जिसका बजट ₹6,000 करोड़ है। इसका उद्देश्य बीमा, औपचारिकरण और वैल्यू-चेन मज़बूती पर केंद्रित है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का पहला फिशरीज़ एक्ट 1897 में ब्रिटिश शासन के दौरान पारित किया गया था।
मछुआरों को डिजिटल और वित्तीय साधनों से सशक्त बनाना
पीएमएमएसवाई ने मछुआरों को सुधार के केंद्र में रखा है।
- 26 लाख से अधिक मछुआरे, उद्यम और एफएफपीओ राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (NFDP) पर पंजीकृत हुए हैं।
- 76 लाख से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किए गए।
- ₹3,214 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
प्रशिक्षण, सहकारी समितियों और बेहतर बाज़ार पहुँच के माध्यम से अब मछुआरों को अधिक आय और सतत आजीविका सुनिश्चित हो रही है।
स्थिर जीके टिप: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना की शुरुआत 1998 में नाबार्ड द्वारा की गई थी।
स्थिरता और भविष्य की संभावनाएँ
योजना का उद्देश्य पारिस्थितिकीय स्थिरता के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करना है। प्रशिक्षण, कोल्ड-चेन विकास और औपचारिकरण से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मत्स्य क्षेत्र लंबे समय तक आजीविका का स्रोत बना रहे। बढ़ते निर्यात, आधुनिक बंदरगाह और डिजिटल गवर्नेंस के साथ भारतीय मत्स्य क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में और मज़बूत माना जा रहा है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
योजना की शुरुआत | 10 सितम्बर 2020 |
कार्यान्वयन मंत्रालय | मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय |
विस्तार अवधि | 2025–26 तक |
कुल स्वीकृत परियोजनाएँ | ₹21,274 करोड़ (2025 तक) |
केंद्र द्वारा जारी राशि | ₹5,587 करोड़ |
अवसंरचना आवंटन | ₹17,210 करोड़ |
नई उप-योजना | पीएम-एमकेएसएसवाई, ₹6,000 करोड़ (2024) |
मछली उत्पादन 2024–25 | 195 लाख टन |
2013–14 से वृद्धि | कुल 104%, अंतर्देशीय मत्स्य 142% |
वैश्विक रैंक | मछली उत्पादन में दूसरा (चीन के बाद) |