सितम्बर 19, 2025 3:40 पूर्वाह्न

अभ्यास सियोम प्रहार ने युद्धक्षेत्र की तैयारी को मज़बूत किया

चालू घटनाएँ: एक्सरसाइज सियोम प्रहार, भारतीय सेना, अरुणाचल प्रदेश, ड्रोन तकनीक, युद्धक्षेत्र तत्परता, निगरानी अभियान, सटीक हमले, सामरिक नवाचार, परिचालन तैयारी, सैन्य अभ्यास

Exercise Siyom Prahar strengthens battlefield readiness

अवलोकन

भारतीय सेना ने 8 से 10 सितम्बर 2025 तक अरुणाचल प्रदेश में एक्सरसाइज सियोम प्रहार आयोजित किया। यह बड़ा फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास वास्तविक युद्धक्षेत्र परिस्थितियों में ड्रोन तकनीक के उपयोग को परखने पर केंद्रित रहा। इसने पारंपरिक युद्ध रणनीतियों में उन्नत तकनीक को शामिल कर सेना की परिचालन तैयारी को सुदृढ़ किया।
स्थिर जीके तथ्य: अरुणाचल प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ भूटान, चीन और म्यांमार से लगती हैं, जिससे यह भारत की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अभ्यास के उद्देश्य

मुख्य उद्देश्य भविष्य के युद्ध के अनुरूप रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं (TTPs) का परीक्षण था।

  • पारंपरिक बलों के साथ ड्रोन का सुगम एकीकरण
  • तेज निर्णय-निर्धारण और डेटा-आधारित संचालन
  • ड्रोन निगरानी और पारंपरिक हथियारों की संयुक्त शक्ति का प्रदर्शन
    स्थिर जीके तथ्य: सैन्य अभियानों में ड्रोन का पहला उपयोग प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ था, जब हवाई लक्ष्यों का उपयोग प्रशिक्षण हेतु किया गया।

ड्रोन की भूमिका

अभ्यास में ड्रोन का प्रयोग निगरानी, टोही, लक्ष्य पहचान और सटीक हमलों के लिए किया गया।
इससे यह साबित हुआ कि मानवरहित हवाई प्रणालियाँ (UAS) युद्धक्षेत्र में स्थिति की समझ और युद्ध दक्षता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाती हैं।
स्थिर जीके टिप: भारत ने इज़राइल से हेरॉन UAVs को 2000 के दशक की शुरुआत में शामिल किया था ताकि ऊँचाई वाले क्षेत्रों में निगरानी क्षमता बढ़ाई जा सके।

पारंपरिक बलों के साथ एकीकरण

अभ्यास में पैदल सेना, तोपखाने और ड्रोन इकाइयों के बीच समन्वय पर बल दिया गया।

  • संयुक्त लक्ष्य साधना (Joint Targeting) को परिष्कृत किया गया।
  • समय पर और सटीक हमले सुनिश्चित किए गए।
    यह दर्शाता है कि तकनीक जब पारंपरिक हथियारों से जुड़ती है तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

परिचालन में नवाचार

सियोम प्रहार ने ऐसे अवधारणाओं का परीक्षण किया जो युद्धक्षेत्र की बदलती परिस्थितियों में तेज़ अनुकूलन की अनुमति देते हैं।

  • रीयल-टाइम ड्रोन इनपुट से लचीले प्रतिक्रिया तंत्र संभव हुए।
  • बदलते खतरों के बीच त्वरित रणनीतिक बदलाव सुनिश्चित किए गए।
    इससे भारतीय सेना की तकनीकी श्रेष्ठता बनाए रखने की रणनीति और मजबूत हुई।
    स्थिर जीके तथ्य: भारतीय सेना के सात ऑपरेशनल कमांड हैं, जिनमें कोलकाता स्थित ईस्टर्न कमांड अरुणाचल प्रदेश के लिए जिम्मेदार है।

भविष्य की संभावनाएँ

अभ्यास ने साबित किया कि भविष्य में ड्रोन सैन्य श्रेष्ठता का निर्णायक तत्व रहेंगे।

  • आधुनिक तकनीक और पारंपरिक युद्ध शक्ति का मिश्रण
  • बल गुणन (Force Multiplication) और युद्धक्षेत्र जागरूकता में वृद्धि
    इससे भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत समाधान विकसित कर रही है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
अभ्यास का नाम सियोम प्रहार
आयोजक भारतीय सेना
स्थान अरुणाचल प्रदेश
तिथि 8–10 सितम्बर 2025
फोकस सामरिक अभियानों में ड्रोन एकीकरण
ड्रोन की भूमिकाएँ निगरानी, टोही, लक्ष्य पहचान, सटीक हमले
एकीकरण पैदल सेना और तोपखाने अभियानों के साथ
जिम्मेदार कमांड ईस्टर्न कमांड, मुख्यालय – कोलकाता
रणनीतिक महत्व अरुणाचल प्रदेश की सीमाएँ चीन, भूटान, म्यांमार से लगती हैं
परिणाम तत्परता और युद्धक्षेत्र नवाचार में वृद्धि
Exercise Siyom Prahar strengthens battlefield readiness
  1. अभ्यास सियोम प्रहार में वास्तविक युद्धक्षेत्र परिस्थितियों में ड्रोन का परीक्षण किया गया।
  2. चीन और भूटान से लगती सीमाओं के कारण अरुणाचल प्रदेश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  3. ड्रोन का उपयोग करके निगरानी, ​​टोही और लक्ष्य पर हमले किए गए।
  4. अभ्यास में त्वरित निर्णय लेने और डेटा-आधारित रणनीति का सत्यापन किया गया।
  5. बेहतर समन्वय के लिए ड्रोन को तोपखाने और पैदल सेना इकाइयों के साथ एकीकृत किया गया।
  6. उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने के लिए भारत के हेरॉन यूएवी को शामिल किया गया।
  7. ड्रोन-आधारित सटीक हमलों ने लक्ष्य प्राप्ति और युद्ध क्षमता में सुधार किया।
  8. लचीले प्रतिक्रिया तंत्रों ने सैनिकों को बदलते खतरों के अनुकूल होने में सक्षम बनाया।
  9. पारंपरिक हथियारों को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर परिचालन तैयारियों को बढ़ावा दिया गया।
  10. कोलकाता में मुख्यालय वाली पूर्वी कमान इस क्षेत्र में सुरक्षा की देखरेख करती है।
  11. प्रथम विश्व युद्ध में प्रशिक्षण उपकरण के रूप में ड्रोन का प्रारंभिक उपयोग देखा गया।
  12. भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए बल गुणन रणनीतियाँ आवश्यक हैं।
  13. सियोम प्रहार युद्ध की तैयारी में सेना की तकनीकी बढ़त को दर्शाता है।
  14. वास्तविक समय का डेटा तोपखाने और पैदल सेना के हमलों को कुशलतापूर्वक समन्वयित करने में मदद करता है।
  15. अरुणाचल प्रदेश में भू-भाग की चुनौतियों के लिए उन्नत निगरानी उपकरणों की आवश्यकता होती है।
  16. सैन्य अभ्यास उभरते खतरों और आकस्मिकताओं के लिए तैयारी को बढ़ाते हैं।
  17. ड्रोन को अपनाना भारत के रक्षा आधुनिकीकरण लक्ष्यों के अनुरूप है।
  18. संयुक्त लक्ष्यीकरण प्रणालियाँ युद्धक्षेत्र की सटीकता और प्रतिक्रिया को परिष्कृत करती हैं।
  19. प्रशिक्षण संचालन में मानवरहित प्रणालियों के निर्बाध एकीकरण को सुनिश्चित करता है।
  20. तकनीकी नवाचार युद्धक्षेत्र की दक्षता और मिशन की सफलता को बढ़ाता है।

Q1. सितंबर 2025 में एक्सरसाइज "सियॉम प्रहार" कहाँ आयोजित की गई थी?


Q2. एक्सरसाइज "सियॉम प्रहार" का मुख्य फोकस क्या था?


Q3. अरुणाचल प्रदेश में सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी किस भारतीय सेना कमांड की है?


Q4. अभ्यास में ड्रोन ने क्या भूमिका निभाई?


Q5. सैन्य अभियानों में ड्रोन का पहली बार उपयोग कब हुआ था?


Your Score: 0

Current Affairs PDF September 18

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

News of the Day

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.