मद्रासपट्टनम के शुरुआती निशान
1639 में वेंकटाद्रि नायक ने अंग्रेज़ों को भूमि प्रदान की, जिसमें एक बंदरगाह का उल्लेख “मेद्रासपट्टम” के रूप में किया गया। इस दस्तावेज़ का बाद में एच. डी. लव ने अपनी पुस्तक Vestiges of Old Madras में हवाला दिया।
1645 में चंद्रगिरि के राजा श्रीरंग राय ने अंग्रेज़ों को आसपास के इलाक़ों, जिनमें नरीमेडु शामिल था, का नियंत्रण सौंपा। उन्होंने नए क़िले को अपने नाम से जोड़ते हुए इसे “ज़ेरा रंगा रायपट्टम” कहा।
स्थिर जीके तथ्य: फोर्ट सेंट जॉर्ज (1644) भारत में अंग्रेज़ों का पहला बड़ा गढ़ था।
चेनापट्टनम का उदय
1646 में नागाबट्टन, जो बारूद बनाने वाला था, ने पुराने ब्लैक टाउन में स्थित चेनाकेशव पेरुमाल मंदिर को भूमि दान की। यह चेनापट्टनम नाम का पहला लिखित प्रमाण है।
इसके दो साल बाद, मंदिर के निर्माता बेरी थिम्मप्पा ने भी इस बस्ती को चेनापट्टनम कहा। जहाँ मद्रासपट्टनम औपनिवेशिक दस्तावेज़ों में प्रचलित था, वहीं चेनापट्टनम स्थानीय परंपरा से जुड़ा था।
स्थिर जीके तथ्य: वर्तमान मद्रास हाई कोर्ट का स्थान कभी ओल्ड ब्लैक टाउन का हिस्सा था।
अलग-अलग बस्तियाँ
1672 में गोलकुंडा शासन के दौरान नेकनम ख़ान ने भूमि अनुदान में “फोर्ट एंड टाउन ऑफ़ चिन्नापट्टम” का उल्लेख मद्रासपट्टनम से अलग किया। अगले वर्ष अंग्रेज़ी रिकॉर्ड्स में मद्रासपट्टनम को एक मूल निवासी नगर के रूप में दर्ज किया गया, जो क़िले के उत्तर में था।
यह दर्शाता है कि दोनों नाम समानांतर रूप से विद्यमान थे—एक औपनिवेशिक-प्रशासनिक पहचान और दूसरा धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान।
1802 की पांडुलिपि का प्रमाण
1802 में सी. वी. बोरिया ने कॉलिन मैकेंज़ी के साथ कार्य करते हुए एक मराठी पांडुलिपि पाई, जिसमें शहर को चार हिस्सों में बाँटा गया:
- मद्रास कूपम (फोर्ट सेंट जॉर्ज का क्षेत्र)
- चेन्नाइक कूपम (मुथियालपेट और पगदलपेट/जॉर्ज टाउन)
- अरकूपम (कूउम नदी के मुहाने के पास)
- मालेपुट (सॉल्ट कोटर्स के पास)
इस दस्तावेज़ ने यह धारणा दी कि क़िला मद्रास से और नगर चेन्नई से जोड़ा जाता था।
स्थिर जीके टिप: कूउम नदी, जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है, तमिलनाडु की सबसे छोटी नदियों में से एक है।
मद्रास से चेन्नई तक
धीरे-धीरे मद्रास ब्रिटिश शासन की पहचान बन गया, जबकि चेन्नई स्थानीय परंपरा और संस्कृति से जुड़ा रहा। विद्वानों में बहस है कि चेन्नई नाम की उत्पत्ति तमिल से हुई या तेलुगु प्रभाव से।
इसी भिन्नता ने आधुनिक काल में नाम बदलने को आधार दिया। अंततः 1996 में तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक रूप से चेन्नई नाम अपनाया और औपनिवेशिक नाम मद्रास हटा दिया।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
मद्रासपट्टनम का पहला उल्लेख | 1639, वेंकटाद्रि नायक का भूमि अनुदान |
चेनापट्टनम का पहला उल्लेख | 1646, चेनाकेशव पेरुमाल मंदिर को दान |
फोर्ट सेंट जॉर्ज का निर्माण | 1644, अंग्रेज़ों द्वारा |
मंदिर निर्माता | बेरी थिम्मप्पा |
1672 भूमि अनुदान | नेकनम ख़ान, गोलकुंडा शासन के अंतर्गत |
1802 पांडुलिपि में चार हिस्से | मद्रास कूपम, चेन्नाइक कूपम, अरकूपम, मालेपुट |
मद्रास कूपम | फोर्ट सेंट जॉर्ज |
चेन्नाइक कूपम | मुथियालपेट और पगदलपेट (जॉर्ज टाउन) |
अरकूपम | कूउम नदी मुहाने के पास |
मालेपुट | सॉल्ट कोटर्स क्षेत्र |
मद्रास पहचान | अंग्रेज़ी उपनिवेश और प्रशासन |
चेन्नई पहचान | स्थानीय संस्कृति और परंपरा |
आधिकारिक नाम परिवर्तन | 1996, तमिलनाडु सरकार द्वारा |