अक्टूबर 15, 2025 10:03 अपराह्न

ड्रोन कवच ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना की तैयारियों को मज़बूत किया

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Drone Kavach Strengthens Indian Army Preparedness in Arunachal Pradesh

पूर्वी अरुणाचल में भारतीय सेना का अभ्यास

भारतीय सेना ने ईस्टर्न कमांड के तहत 25 से 28 सितंबर 2025 तक “एक्सरसाइज ड्रोन कवच” आयोजित किया। यह अभ्यास पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्रों में हुआ, जो संवेदनशील सीमा क्षेत्र माना जाता है। चार दिन के इस अभ्यास का नेतृत्व स्पीयर कोर ने किया, जिसमें सेना की अगली पीढ़ी की ड्रोन युद्ध रणनीतियों और आधुनिक युद्ध कौशल को प्रदर्शित किया गया। स्टैटिक जीके तथ्य: भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड का मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।

अभ्यास का फोकस

इस कार्यक्रम में सामरिक युद्धाभ्यास, युद्ध सिमुलेशन और लक्ष्य निर्धारण का परीक्षण वास्तविक युद्ध जैसे हालात में किया गया। सक्रिय और निष्क्रिय दोनों प्रकार के काउंटर-ड्रोन उपायों को प्रणाली की दक्षता जांचने के लिए लागू किया गया। इसमें भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने भाग लिया। इसका उद्देश्य उन्नत ड्रोन तकनीकों को मान्य करना और क्षेत्रीय अभियानों के लिए यूनिट स्तर की रणनीतियाँ और तकनीकें तैयार करना था।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्व

“एक्सरसाइज ड्रोन कवच” भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। काउंटर-ड्रोन रणनीतियों को परिष्कृत करके सेना बहु-क्षेत्रीय युद्धक्षेत्रों में उभरते खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ाती है। यह सीमा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहाँ ड्रोन-आधारित निगरानी और हथियारयुक्त UAVs (मानवरहित हवाई वाहन) नई चुनौतियाँ पेश करते हैं। स्टैटिक जीके तथ्य: भारतीय सेना की स्थापना 26 जनवरी 1950 को हुई थी, और इसके पहले कमांडर-इन-चीफ जनरल के. एम. करिअप्पा थे।

संबंधित उपलब्धि – माउंट गोरिचेन अभियान

19 सितंबर 2025 को स्पीयर कोर के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊँची चढ़ाई योग्य चोटी माउंट गोरिचेन (6,488 मीटर) को फतह किया। इस अभियान ने बर्फीली धाराओं, ऑक्सीजन की कमी और तीव्र हवाओं के बीच सैनिकों की सहनशक्ति का परीक्षण किया। साथ ही अनुशासन, टीमवर्क और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित किया। स्टैटिक जीके तथ्य: माउंट गोरिचेन अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों के बीच स्थित है।

भविष्य की सैन्य नीतियों पर प्रभाव

“ड्रोन कवच” और “गोरिचेन अभियान” मिलकर सेना के प्रौद्योगिकी, धैर्य और युद्ध तैयारी पर केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। ये प्रयास हिमालयी क्षेत्रों में भविष्य की युद्ध नीतियों के लिए भारत की तैयारी को मजबूत करते हैं।

स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय विवरण
अभ्यास का नाम ड्रोन कवच
आयोजनकर्ता भारतीय सेना स्पीयर कोर (ईस्टर्न कमांड)
तिथियाँ 25–28 सितंबर 2025
स्थान पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्र
फोकस ड्रोन युद्ध और काउंटर-ड्रोन सिस्टम
प्रतिभागी भारतीय सेना और ITBP
महत्व संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में काउंटर-ड्रोन तैयारी को बढ़ावा
संबंधित अभियान माउंट गोरिचेन पर चढ़ाई – 19 सितंबर 2025
माउंट गोरिचेन की ऊँचाई 6,488 मीटर
स्टैटिक जीके ईस्टर्न कमांड मुख्यालय – कोलकाता; भारतीय सेना स्थापना – 26 जनवरी 1950
Drone Kavach Strengthens Indian Army Preparedness in Arunachal Pradesh
  1. 25-28 सितंबर, 2025 तक ड्रोन कवच अभ्यास आयोजित किया गया।
  2. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्रों में आयोजित किया गया।
  3. भारतीय सेना की पूर्वी कमान के अंतर्गत आयोजित किया गया।
  4. स्पीयर कोर ने ड्रोन-विरोधी युद्ध अभ्यास का नेतृत्व किया।
  5. सामरिक युद्धाभ्यास, युद्ध सिमुलेशन, लक्ष्य प्राप्ति का परीक्षण किया गया।
  6. अभियानों में सक्रिय और निष्क्रिय ड्रोन-विरोधी उपायों का इस्तेमाल किया गया।
  7. प्रतिभागियों में भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) शामिल थे।
  8. अभ्यास आधुनिक युद्धक्षेत्र ड्रोन चुनौतियों पर केंद्रित था।
  9. ड्रोन-आधारित निगरानी के विरुद्ध सीमा सुरक्षा को बढ़ाया गया।
  10. भारतीय सेना की आधिकारिक स्थापना 26 जनवरी 1950 को हुई थी।
  11. पहले कमांडर-इन-चीफ जनरल के. एम. करियप्पा थे।
  12. पूर्वी कमान का मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।
  13. संबंधित उपलब्धि सितंबर 2025 में माउंट गोरीचेन अभियान थी।
  14. अरुणाचल प्रदेश में माउंट गोरीचेन 6,488 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  15. अभियान ने कठोर बर्फीली चोटियों के विरुद्ध लचीलेपन का परीक्षण किया।
  16. इसने टीम वर्क, अनुशासन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया।
  17. ड्रोन कवच भविष्य के हिमालयी युद्ध सिद्धांतों को मजबूत करता है।
  18. रक्षा रणनीतियों में भारत के तकनीकी आधुनिकीकरण को प्रदर्शित करता है।
  19. भारतीय सेना की बहु-क्षेत्रीय युद्धक्षेत्र तत्परता को प्रदर्शित करता है।
  20. लचीलेपन, नवाचार और युद्ध की तैयारी पर केंद्रित है।

Q1. भारतीय थलसेना की किस कमांड ने ‘ड्रोन कवच’ अभ्यास का आयोजन किया?


Q2. ‘ड्रोन कवच’ अभ्यास में भारतीय सेना के साथ किस अर्धसैनिक बल ने भाग लिया?


Q3. ‘ड्रोन कवच’ अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्या था?


Q4. सप्टेंबर 2025 में स्पीयर कोर (Spear Corps) ने किस पर्वत पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की?


Q5. 1950 में भारतीय थलसेना के पहले कमांडर-इन-चीफ कौन बने थे?


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