कृत्रिम वर्षा तकनीक में नई पहल
भारत ने जयपुर के ऐतिहासिक रामगढ़ बांध में अपना पहला ड्रोन–एआई आधारित क्लाउड सीडिंग प्रयोग शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य पिछले दो दशकों से सूखे पड़े इस बांध को पुनर्जीवित करने के लिए कृत्रिम वर्षा कराना है। राजस्थान सरकार ने भारत-अमेरिका आधारित GenX AI के साथ साझेदारी में इस परियोजना को शुरू किया है, ताकि जल संकट का समाधान, कृषि को सहयोग और जैव विविधता का पुनर्स्थापन किया जा सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: रामगढ़ बांध 1982 एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता का स्थल था।
परियोजना का शुभारंभ और सहभागिता
यह पायलट प्रयोग दोपहर 2 बजे कृषि एवं आपदा राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की मौजूदगी में शुरू हुआ। स्थानीय निवासी, अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ इस अवसर पर उपस्थित रहे। परियोजना का उद्देश्य जयपुर के लिए सतत पेयजल आपूर्ति और बांध के आसपास का पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है।
रामगढ़ बांध का चयन क्यों हुआ
शुरुआत में जल महल के पास मानसागर बांध पर विचार किया गया, लेकिन इसका छोटा आकार और शहरी निकटता देखते हुए रामगढ़ बांध को चुना गया। यह स्थल अधिक भंडारण क्षमता, वर्तमान में सूखा होने और ऐतिहासिक महत्व के कारण उपयुक्त है।
स्थैतिक जीके तथ्य: रामगढ़ बांध की नींव 30 दिसंबर 1897 को महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने रखी थी और 1931 में वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसे जलापूर्ति के लिए उद्घाटित किया।
ड्रोन–एआई क्लाउड सीडिंग कैसे काम करता है
क्लाउड सीडिंग में सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों को बादलों में फैलाकर संघनन और वर्षा को प्रेरित किया जाता है। इस प्रयोग में ताइवान निर्मित ड्रोन उच्च ऊंचाई पर उड़कर चुनिंदा बादल समूहों में यह रसायन छोड़ते हैं। यह तकनीक अमेरिका, रूस और कई यूरोपीय देशों में सूखा राहत के लिए सफलतापूर्वक अपनाई जा चुकी है।
स्थैतिक जीके तथ्य: बाणगंगा नदी कभी रामगढ़ बांध को भरती थी और यह जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के लिए प्रमुख जलस्रोत थी।
बहु-विभागीय समन्वय
इस परियोजना में कृषि, मौसम विज्ञान, जल संसाधन, सिंचाई और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के सुझाव शामिल हैं। DGCA ने ड्रोन संचालन की आधिकारिक अनुमति दी है। एक माह तक आंकड़े जुटाकर इसके परिणामों का आकलन किया जाएगा।
राजस्थान और भारत में पूर्व क्लाउड सीडिंग प्रयास
राजस्थान में पहले चित्तौड़गढ़ के घोषुंडा बांध पर किया गया क्लाउड सीडिंग प्रयास तकनीकी कमी के कारण असफल रहा था। इस बार एआई टार्गेटिंग और प्रेसिजन ड्रोन तकनीक से सफलता की संभावना अधिक है। भारत में पहली क्लाउड सीडिंग 1951 में पश्चिमी घाट में हुई थी। 1973–1986 के बीच महाराष्ट्र के बारामती में चलाए गए कार्यक्रम से वर्षा में 24% वृद्धि दर्ज की गई थी।
जयपुर प्रयोग का महत्व
अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो यह सूखा-प्रवण क्षेत्रों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है। यह न केवल भारत की एआई और ड्रोन तकनीक को मौसम संशोधन में अपनाने की क्षमता को दिखाता है, बल्कि जल सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन को भी मजबूती देता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण | 
| प्रयोग का स्थान | रामगढ़ बांध, जयपुर, राजस्थान | 
| उपयोग की गई तकनीक | ड्रोन–एआई आधारित क्लाउड सीडिंग | 
| मुख्य रसायन | सोडियम क्लोराइड | 
| परियोजना साझेदार | राजस्थान सरकार और GenX AI | 
| बांध की नींव वर्ष | 1897 | 
| बांध उद्घाटन वर्ष | 1931, लॉर्ड इरविन द्वारा | 
| संबंधित नदी | बाणगंगा नदी | 
| 1982 में आयोजित कार्यक्रम | एशियाई खेल नौकायन प्रतियोगिता | 
| राजस्थान में पिछला प्रयास | घोषुंडा बांध, चित्तौड़गढ़ | 
| भारत में पहली क्लाउड सीडिंग | 1951, पश्चिमी घाट | 
				
															




