प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुत्तनी (तमिलनाडु) में हुआ। उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की, जहाँ उनकी प्रतिभा को शीघ्र ही पहचाना गया। उनकी शैक्षणिक यात्रा ने उन्हें भारतीय विचारधारा का विश्व स्तर पर महान व्याख्याता बना दिया।
स्थिर जीके तथ्य: मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज एशिया के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक है, जिसकी स्थापना 1837 में हुई थी।
दार्शनिक और विद्वान
राधाकृष्णन तुलनात्मक धर्म के विशिष्ट दार्शनिक थे। उनके कार्यों ने भारतीय दर्शन की गहराई को उजागर किया और पूर्वी तथा पश्चिमी विचारधाराओं के बीच पुल का कार्य किया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि आध्यात्मिकता ही मानव प्रगति की नींव है।
उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं – Indian Philosophy, The Hindu View of Life, और The Principal Upanishads। ये आज भी दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में आधारभूत संदर्भ ग्रंथ माने जाते हैं।
स्थिर जीके टिप: उपनिषद वेदों का अंतिम भाग माने जाते हैं, जो आध्यात्मिक ज्ञान पर केंद्रित हैं।
शैक्षणिक और अंतरराष्ट्रीय करियर
राधाकृष्णन ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में Professor of Eastern Religions and Ethics के रूप में कार्य किया और वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई।
1930 के दशक में वे लीग ऑफ नेशन्स में भारत के प्रतिनिधि रहे, जहाँ उन्होंने नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का समर्थन किया।
1949 से 1952 तक वे सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे और शीत युद्ध काल के शुरुआती वर्षों में भारत-सोवियत संबंधों को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय नेतृत्व
राधाकृष्णन 1952 से 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहे। उन्हें Philosopher President कहा गया क्योंकि उन्होंने विद्वता और नेतृत्व का अद्भुत समन्वय किया।
जब उनके छात्र और प्रशंसक उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे, तो उन्होंने सुझाव दिया कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, ताकि पूरे देश में शिक्षकों को सम्मान दिया जा सके।
स्थिर जीके तथ्य: शिक्षक दिवस की परंपरा 1962 में उनके राष्ट्रपति कार्यकाल से शुरू हुई।
मूल्य और विरासत
डॉ. राधाकृष्णन ज्ञान, समर्पण और ईमानदारी के प्रतीक थे। उनका विश्वास था कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा साधन है और शिक्षक केवल ज्ञान ही नहीं बल्कि मूल्य भी प्रेरित करें।
उनकी दृष्टि आज भी भारत की शिक्षा व्यवस्था को प्रेरित करती है और उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में स्थान देती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
जन्म | 5 सितंबर 1888, तिरुत्तनी, तमिलनाडु |
व्यवसाय | दार्शनिक, विद्वान, शिक्षक, राजनेता |
राजनयिक भूमिका | सोवियत संघ में भारत के राजदूत (1949–1952) |
लीग ऑफ नेशन्स | 1930 के दशक में भारत के प्रतिनिधि |
उपराष्ट्रपति | 1952–1962 |
राष्ट्रपति | 1962–1967 |
प्रमुख रचनाएँ | Indian Philosophy, The Hindu View of Life, The Principal Upanishads |
शिक्षक दिवस | 5 सितंबर से 1962 से मनाया जा रहा है |
मुख्य मूल्य | ज्ञान, समर्पण, ईमानदारी |
विरासत उपाधि | भारत के दार्शनिक राष्ट्रपति |