खोज और महत्व
खगोलविदों ने GJ 251 c नामक एक नए सुपर-अर्थ ग्रह की खोज की है, जो पृथ्वी से मात्र 20 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है।
यह खोज उन ग्रहों की तलाश में एक बड़ी प्रगति मानी जा रही है जो पृथ्वी जैसी परिस्थितियों में जीवन का समर्थन कर सकते हैं।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी (Penn State University) के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में टीम ने उच्च-सटीकता वाले स्पेक्ट्रोस्कोपिक तरीकों का उपयोग कर इस ग्रह की पुष्टि की।
यह खोज दर्शाती है कि एक्सोप्लानेट विज्ञान (Exoplanet Science) कितनी तेजी से विकसित हो रहा है — अब वैज्ञानिक हमारे निकटवर्ती तारामंडलों में छोटे और पृथ्वी जैसे ग्रहों की पहचान करने में सक्षम हो चुके हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: एक प्रकाश-वर्ष (Light-Year) लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है — यानी GJ 251 c हमारी आकाशगंगा के पड़ोसी क्षेत्र में स्थित है।
GJ 251 c को क्या बनाता है खास
GJ 251 c को सुपर-अर्थ (Super-Earth) की श्रेणी में रखा गया है — यानी यह ग्रह पृथ्वी से बड़ा लेकिन नेपच्यून जैसे गैस दानवों से छोटा है।
प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, यह पृथ्वी के लगभग चार गुना अधिक द्रव्यमान वाला है और संभवतः पथरीला (Rocky) है।
इसका कक्षीय क्षेत्र (Orbital Zone) रहने योग्य क्षेत्र (Habitable Zone) में आता है, जिसे गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone) भी कहा जाता है — जहाँ तरल जल (Liquid Water) मौजूद होने की संभावना रहती है।
स्थैतिक जीके टिप: गोल्डीलॉक्स ज़ोन वह क्षेत्र होता है जहाँ तापमान “न ज्यादा गर्म, न ज्यादा ठंडा” होता है — यानी जीवन के लिए “बिलकुल सही” परिस्थितियाँ।
खोज के पीछे की तकनीक
यह खोज Habitable-Zone Planet Finder (HPF) उपकरण की मदद से की गई — यह एक हाई-प्रिसीजन नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ है जो टेक्सास स्थित मैकडॉनल्ड ऑब्ज़र्वेटरी (McDonald Observatory) के हॉबी-एबर्ली टेलिस्कोप (Hobby-Eberly Telescope) पर लगाया गया है।
HPF को पेन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया है और इसका उद्देश्य निकटवर्ती ठंडे तारों (Cool Stars) की परिक्रमा करते छोटे पथरीले ग्रहों का पता लगाना है।
यह खोज दो दशकों तक चले तारकीय अवलोकन (Starlight Observation) और स्पेक्ट्रल विश्लेषण का परिणाम है।
स्थैतिक जीके तथ्य: हॉबी-एबर्ली टेलिस्कोप दुनिया के सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलिस्कोपों में से एक है, जिसका प्राथमिक दर्पण (Primary Mirror) 10 मीटर चौड़ा है।
जीवन की संभावना और भविष्य के अध्ययन
सुव्रथ महादेवन (Suvrath Mahadevan), जो पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर हैं, ने बताया कि GJ 251 c वायुमंडलीय अध्ययन (Atmospheric Characterization) के लिए सबसे उम्मीदजनक लक्ष्यों में से एक है।
इसका आकार और दूरी इसे ऑक्सीजन, मीथेन और जल वाष्प (Water Vapour) जैसे जैव संकेतों (Biosignatures) की खोज के लिए आदर्श बनाते हैं।
भविष्य में जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) जैसे उन्नत अंतरिक्ष मिशन इस ग्रह के वायुमंडल, सतह तापमान और रासायनिक संरचना का अध्ययन करेंगे।
यह खोज मानवता के उस प्राचीन प्रश्न को फिर से प्रासंगिक बनाती है —
“क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं?”
स्थैतिक जीके टिप: पहला एक्सोप्लानेट 1992 में पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के खगोलविदों एलेक्ज़ेंडर वोल्श्चन (Aleksander Wolszczan) और डेल फ्रेल (Dale Frail) द्वारा खोजा गया था।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| एक्सोप्लानेट का नाम | GJ 251 c |
| पृथ्वी से दूरी | लगभग 20 प्रकाश-वर्ष |
| ग्रह का प्रकार | सुपर-अर्थ (पथरीला ग्रह) |
| द्रव्यमान | पृथ्वी के लगभग 4 गुना |
| खोज उपकरण | Habitable-Zone Planet Finder (HPF) |
| वेधशाला | मैकडॉनल्ड ऑब्ज़र्वेटरी, टेक्सास |
| मुख्य संस्था | पेन स्टेट यूनिवर्सिटी |
| प्रकाशन | The Astronomical Journal (23 अक्टूबर 2025) |
| प्रमुख वैज्ञानिक | सुव्रथ महादेवन |
| जीवन की संभावना | रहने योग्य (गोल्डीलॉक्स) ज़ोन में स्थित |





