परिचय
डिजिलॉकर डिजिटल इंडिया का एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभरा है, जिसने नागरिकों के सरकारी दस्तावेज़ों तक पहुँचने और उन्हें उपयोग करने के तरीके को बदल दिया है। यह नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दस्तावेज़ों को संग्रहित, साझा और सत्यापित करने की सुविधा देता है, वह भी कानूनी मान्यता के साथ।
नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन की भूमिका
नेशनल ई–गवर्नेंस डिवीजन (NeGD), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत कार्य करता है। इसे सेक्शन 8 गैर–लाभकारी कंपनी के रूप में स्वतंत्र बिजनेस डिवीजन के रूप में बनाया गया था ताकि भारत में डिजिटल सेवा वितरण को आगे बढ़ाया जा सके। NeGD ने लगभग 2000 ई–गवर्नमेंट सेवाओं को डिजिलॉकर और ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म से जोड़ा है, जिससे देशभर में नागरिकों को सुगम डिजिटल पहुँच मिल रही है।
डिजिलॉकर का उद्देश्य
MeitY की प्रमुख पहल के रूप में लॉन्च किया गया डिजिलॉकर, नागरिकों को अपने आधिकारिक दस्तावेज़ सुरक्षित डिजिटल फॉर्मेट में रखने की सुविधा देता है। अब शारीरिक प्रतियों की आवश्यकता नहीं होती।
Static GK तथ्य: डिजिलॉकर को जुलाई 2015 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत लॉन्च किया गया था।
कानूनी ढाँचा
डिजिलॉकर में जारी दस्तावेज़ों को कानूनी रूप से भौतिक दस्तावेज़ों के समान माना जाता है। यह मान्यता सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल लॉकर सुविधाएँ उपलब्ध कराने वाले मध्यस्थों द्वारा सूचना का संरक्षण और भंडारण) नियम, 2016 द्वारा दी गई है। इससे डिजिटल रिकॉर्ड्स को सरकारी और निजी सेवाओं में स्वीकार्यता मिलती है।
नागरिकों के लिए लाभ
डिजिलॉकर से नागरिकों को कभी भी और कहीं भी दस्तावेज़ों तक पहुँच मिलती है, जिससे कागजी कार्यवाही पर निर्भरता घटती है। प्रवेश, लाइसेंस नवीनीकरण और सत्यापन जैसी प्रक्रियाओं में सेवा वितरण तेज़ होता है। साथ ही रियल–टाइम वेरिफिकेशन से धोखाधड़ी में कमी आती है और डेटा सुरक्षा बढ़ती है।
Static GK टिप: डिजिलॉकर लॉगिन और डॉक्यूमेंट एक्सेस के लिए आधार–आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग करता है।
एजेंसियों के लिए लाभ
सरकारी और निजी संस्थानों के लिए डिजिलॉकर प्रशासनिक बोझ कम करता है। एजेंसियाँ सीधे डिजिटल साइन किए गए रिकॉर्ड्स का सत्यापन कर सकती हैं, जिससे डुप्लीकेशन और मैनुअल जाँच से बचा जा सकता है। इससे पेपरलेस गवर्नेंस की दिशा में तेजी आती है।
व्यापक महत्व
डिजिलॉकर का ई-गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म्स से एकीकरण भारत की तकनीक–संचालित गवर्नेंस पर फोकस को दर्शाता है। एक अरब से अधिक आधार-लिंक्ड नागरिकों के साथ यह प्लेटफॉर्म पारदर्शिता, सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करता है।
Static GK तथ्य: विश्व बैंक ने डिजिलॉकर सहित भारत की डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विकासशील देशों के लिए मॉडल के रूप में मान्यता दी है।
निष्कर्ष
डिजिलॉकर सिर्फ एक स्टोरेज टूल नहीं बल्कि शासन में क्रांति है। यह नागरिकों को सशक्त करता है, सरकार की कागजी प्रक्रियाएँ घटाता है और भारत की डिजिटल यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| लॉन्च वर्ष | 2015 (डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत) |
| कार्यान्वयन निकाय | नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) |
| मातृ मंत्रालय | इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) |
| कानूनी आधार | आईटी नियम 2016 (डिजिलॉकर सुविधाओं पर) |
| कंपनी का प्रकार | सेक्शन 8 गैर-लाभकारी कंपनी |
| एकीकृत सेवाएँ | लगभग 2000 ई-गवर्नमेंट सेवाएँ |
| प्रमाणीकरण तरीका | आधार-आधारित लॉगिन सिस्टम |
| मुख्य विशेषता | कानूनी रूप से मान्य डिजिटल दस्तावेज़ |
| मुख्य लाभ | कभी भी, कहीं भी सुरक्षित एक्सेस |
| वैश्विक मान्यता | विश्व बैंक द्वारा मॉडल के रूप में स्वीकार |





