योजना का परिचय
धन धान्य योजना (Pradhan Mantri Dhan Dhaanya Krishi Yojana – PM-DDKY) का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है, जिसमें एकीकृत योजना निर्माण और सतत संसाधन प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है। हाल ही में इस योजना का विस्तार तमिलनाडु के चार जिलों — रामनाथपुरम, शिवगंगई, तूतीकोरिन (Thoothukudi) और वीरुधुनगर में किया गया है। यह कदम दक्षिण भारत के कृषि आधार को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
योजना का उद्देश्य
प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना का लक्ष्य है कि विभिन्न कृषि योजनाओं को एक ही छत्र के अंतर्गत लाकर किसानों तक सीधे और प्रभावी रूप से लाभ पहुँचाया जा सके। इसके अंतर्गत सिंचाई, फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य, कृषि अधोसंरचना और बाज़ार संपर्क जैसी सेवाएँ एकीकृत रूप से दी जाती हैं।
स्थिर जीके तथ्य: “धन धान्य” शब्द संस्कृत में “समृद्धि और अनाज” का प्रतीक है, जो कृषि के माध्यम से सम्पन्नता का संदेश देता है।
सरकारी योजनाओं का एकीकरण
योजना के इस विस्तार में 36 सरकारी योजनाओं को एकीकृत किया गया है। इस समग्र मॉडल के माध्यम से किसानों को ऋण, बीज, प्रशिक्षण और बाज़ार से जुड़ाव जैसी सुविधाएँ एक ही प्लेटफ़ॉर्म से उपलब्ध होंगी। इससे योजनाओं के बीच दोहराव समाप्त होगा और सरकारी निधियों का कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा।
इसमें सम्मिलित प्रमुख योजनाएँ हैं — प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) और राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)।
कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका
नव जोड़े गए जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों (Krishi Vigyan Kendras – KVKs) के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई। ये केंद्र किसानों को क्षेत्रीय प्रशिक्षण, तकनीकी प्रदर्शन और विस्तार गतिविधियाँ प्रदान करते हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि योजना का लाभ हर किसान तक प्रभावी रूप से पहुँचे।
स्थिर जीके टिप: भारत का पहला कृषि विज्ञान केंद्र वर्ष 1974 में पुदुचेरी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत स्थापित किया गया था।
अपेक्षित प्रभाव
तमिलनाडु के चार जिलों में इस योजना के विस्तार से दो लाख से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की उम्मीद है। यह पहल फसल विविधीकरण, उत्पादकता वृद्धि और मृदा स्वास्थ्य सुधार में सहायक सिद्ध होगी। उन्नत तकनीकों और समेकित खेती (Integrated Farming) को अपनाकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
विशेष रूप से सूखा प्रभावित क्षेत्रों जैसे रामनाथपुरम में यह योजना जल उपयोग दक्षता बढ़ाने और मानसून पर निर्भरता घटाने में मदद करेगी। साथ ही, कृषि बाजारों से जोड़कर आत्मनिर्भर कृषि (Atmanirbhar Krishi) को बढ़ावा देगी।
स्थिर जीके तथ्य: तमिलनाडु भारत के शीर्ष 10 कृषि राज्यों में शामिल है और देश के कुल कृषि सकल मूल्य (GVA) में लगभग 7% योगदान देता है।
निष्कर्ष
तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों को धन धान्य कृषि योजना में शामिल किया जाना समावेशी और सतत कृषि विकास की दिशा में केंद्र सरकार की लक्षित रणनीति को दर्शाता है। 36 योजनाओं के एकीकरण और KVKs की विशेषज्ञता के उपयोग से यह पहल दीर्घकालिक ग्रामीण समृद्धि, आत्मनिर्भरता और कृषि स्थायित्व की नींव को मजबूत बनाती है।
स्थिर उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| योजना का नाम | प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM-DDKY) |
| हाल में जोड़े गए जिले | रामनाथपुरम, शिवगंगई, तूतीकोरिन, वीरुधुनगर |
| एकीकृत योजनाओं की संख्या | 36 |
| मुख्य उद्देश्य | कृषि विकास और किसान कल्याण का समग्र दृष्टिकोण |
| क्रियान्वयन एजेंसी | कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय |
| मुख्य संबद्ध योजनाएँ | पीएम-किसान, पीएमकेएसवाई, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, NMSA |
| KVKs की भूमिका | तकनीकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण और किसान संपर्क |
| लाभार्थियों की संख्या | तमिलनाडु के 2 लाख से अधिक किसान |
| मुख्य फोकस क्षेत्र | सतत कृषि और सिंचाई दक्षता |
| स्थिर जीके टिप | पहला कृषि विज्ञान केंद्र 1974 में पुदुचेरी में ICAR के तहत स्थापित हुआ |





