प्रवाह और बहिर्प्रवाह की हालिया प्रवृत्तियाँ
भारत का सकल FDI प्रवाह 2024-25 में $81 बिलियन तक पहुँचा, जो पिछले वर्ष से 13.7% की वृद्धि दर्शाता है। लेकिन शुद्ध प्रवाह (डिइन्वेस्टमेंट और पुनर्प्रेषण घटाने के बाद) तेज़ी से घट गया। FY 2021-22 से FY 2024-25 के बीच रिटेन्ड कैपिटल केवल $0.4 बिलियन रह गया। डिइन्वेस्टमेंट्स में 50% से अधिक की वृद्धि हुई, जो यह दर्शाता है कि पूँजी अब अल्पकालिक और अस्थिर होती जा रही है।
Static GK तथ्य: भारत में क्षेत्रवार और राज्यवार FDI प्रवाह का आँकड़ा DPIIT द्वारा रखा जाता है।
अल्पकालिक निवेश की ओर झुकाव
FDI अब दीर्घकालिक औद्योगिक परियोजनाओं से हटकर लाभ–आधारित अल्पकालिक प्रवाह की ओर बढ़ गया है। निवेशक टैक्स आर्बिट्रेज और ट्रीटी–आधारित रूटिंग पर निर्भर हैं। विनिर्माण क्षेत्र, जिसने कभी मजबूत निवेश आकर्षित किया था, अब केवल 12% FDI प्राप्त कर रहा है। इसके बजाय पूँजी वित्तीय सेवाओं, ऊर्जा और हॉस्पिटैलिटी की ओर जा रही है — जिनका रोजगार सृजन और नवाचार प्रभाव सीमित है।
Static GK टिप: भारत में पहली बड़ी FDI नीति उदारीकरण 1991 के आर्थिक सुधारों के दौरान हुआ।
भारतीय कंपनियों का बढ़ता बाहरी निवेश
भारत का आउटवर्ड FDI 2024-25 में $29.2 बिलियन पर पहुँच गया, जो 2011-12 के स्तर से दोगुना है। कंपनियाँ नियामक बाधाओं, अवसंरचना की कमी और नीतिगत अस्थिरता के चलते बाहर निवेश कर रही हैं। यह पूँजी पलायन घरेलू रोजगार, औद्योगिकीकरण और तकनीकी हस्तांतरण को सीमित करता है।
Static GK तथ्य: भारतीय आउटवर्ड निवेश का शीर्ष गंतव्य सिंगापुर है, इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन आते हैं।
निवेश माहौल में बाधाएँ
सुधारों के बावजूद, नियामक अस्पष्टता और असंगत शासन विदेशी निवेश को हतोत्साहित करता है। बार-बार होने वाले कानूनी और नीतिगत बदलाव निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ाते हैं। सिंगापुर और मॉरीशस से प्रवाह का प्रभुत्व टैक्स हेवन-आधारित निवेश पर फोकस दिखाता है, न कि असली औद्योगिक निवेश पर। वहीं अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे पारंपरिक निवेशक अपनी प्रतिबद्धताएँ घटा रहे हैं।
घटते शुद्ध FDI का आर्थिक प्रभाव
कमज़ोर शुद्ध FDI प्रवाह से मैक्रो–इकॉनॉमिक स्थिरता को खतरा है। इससे RBI की रुपये को स्थिर रखने और भुगतान संतुलन बनाए रखने की क्षमता प्रभावित होती है। महाराष्ट्र और कर्नाटक अभी भी शीर्ष FDI प्राप्तकर्ता राज्य हैं, लेकिन अधिकांश फंड सेवाओं और रेंट–सीकिंग सेक्टर्स में जा रहे हैं, जिससे विनिर्माण और निर्यात पर सीमित प्रभाव पड़ता है।
Static GK तथ्य: FY 2021-22 में कर्नाटक ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर शीर्ष FDI प्राप्तकर्ता राज्य का दर्जा पाया।
गुणवत्तापूर्ण FDI के लिए आगे का रास्ता
भारत को सरल विनियमन, नीतिगत स्थिरता और मानव पूंजी व अवसंरचना में निवेश के ज़रिए लंबी अवधि की प्रतिबद्ध पूँजी आकर्षित करनी होगी। उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों जैसे एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग और क्लीन एनर्जी पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। केवल हेडलाइन ग्रोथ की बजाय FDI की गुणवत्ता और रिटेन्शन पर ज़ोर देना भारत के विकास लक्ष्यों के लिए अधिक टिकाऊ होगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सकल FDI प्रवाह FY 2024-25 | $81 बिलियन (13.7% वृद्धि) |
शुद्ध रिटेन्ड FDI FY 2024-25 | $0.4 बिलियन |
विनिर्माण में FDI का हिस्सा | 12% |
भारतीय आउटवर्ड FDI FY 2024-25 | $29.2 बिलियन |
आउटवर्ड FDI के कारण | नियामक बाधाएँ, अवसंरचना अंतराल, नीतिगत अनिश्चितता |
प्रमुख FDI स्रोत देश | सिंगापुर, मॉरीशस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी |
शीर्ष FDI प्राप्त राज्य | महाराष्ट्र, कर्नाटक |
RBI की चिंता | भुगतान संतुलन और रुपये की स्थिरता पर प्रभाव |
प्रमुख FDI उदारीकरण वर्ष | 1991 सुधार |
भविष्य के उच्च-मूल्य क्षेत्र | एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, क्लीन एनर्जी |