आर.जी.जी.जी.एच. में अभूतपूर्व सर्जरी
राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल (RGGGH), चेन्नई की एक शल्य चिकित्सा टीम ने एक अत्यंत दुर्लभ और जटिल प्रक्रिया क्रॉस–हैंड रीप्लांटेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसमें 28 वर्षीय मरीज के काटे गए बाएँ हाथ को दाएँ अग्र–भुजा (forearm) से जोड़ दिया गया।
मरीज, जो बिहार का प्रवासी मज़दूर था, 26 सितंबर को एक ट्रेन दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया — उसका बायाँ हाथ कंधे के पास से कट गया (जो सामान्य रीप्लांटेशन के लिए बहुत क्षतिग्रस्त था) और दाएँ हाथ की सभी उंगलियाँ कट गईं।
ऐसी स्थिति में जब दोनों ऊपरी अंग खोने का खतरा था, शल्य चिकित्सकों ने पारंपरिक विधि की बजाय क्रॉस–लिंब तकनीक अपनाई ताकि कम से कम एक कार्यात्मक हाथ को पुनर्स्थापित किया जा सके।
सर्जरी का महत्व
यह भारत के किसी सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की सर्जरी का पहला मामला है और पूरे देश में दूसरा, जबकि दुनिया भर में केवल चार ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं।
लगभग 10 घंटे चली इस सर्जरी में हड्डियों का स्थिरीकरण (skeletal fixation), टेंडन पुनर्निर्माण, तथा धमनियों, नसों और शिराओं का सूक्ष्म स्तर पर जोड़ना (microvascular repair) शामिल था।
सर्जरी के तुरंत बाद रक्त प्रवाह सामान्य हो गया, जो सफल री–वास्कुलराइज़ेशन (revascularisation) का संकेत था।
यह उपलब्धि भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में सूक्ष्म शल्य चिकित्सा (microsurgical reconstructive capabilities) की प्रगति को दर्शाती है और यह दिखाती है कि लागत की परवाह किए बिना जटिल आघात उपचार संभव है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल (RGGGH), चेन्नई की स्थापना 16 नवंबर 1664 को हुई थी और यह भारत का पहला आधुनिक अस्पताल माना जाता है।
चुनौतियाँ और पुनर्वास प्रक्रिया
इस प्रकार की सर्जरी की सफलता का मुख्य आधार सर्जरी के बाद की देखभाल है — जिसमें नसों का पुनर्जनन, टेंडन का उपचार, कार्यात्मक पुनर्वास (फिजियोथेरेपी) और मरीज के मस्तिष्क द्वारा नए अंग के अनुकूलन की प्रक्रिया शामिल है।
टीम को भाषाई और सामाजिक बाधाओं का भी सामना करना पड़ा — मरीज न तो तमिल बोलता था और न ही अंग्रेज़ी, साथ ही उसका कोई सहयोगी मौजूद नहीं था। इसलिए, अस्पताल प्रशासन ने हिंदी भाषी रेज़िडेंट डॉक्टरों की मदद से मरीज को प्रक्रिया समझाई और सहमति प्राप्त की।
इस उपलब्धि का महत्व
- यह दर्शाता है कि जटिल अंग पुनर्स्थापन सर्जरी (limb salvage surgeries) अब सरकारी अस्पतालों में भी संभव हैं, जिससे उच्चस्तरीय चिकित्सा आम जनता तक पहुँच रही है।
 • यह पूरे भारत में सूक्ष्म शल्य चिकित्सा टीमों (microsurgical teams) के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है कि असंभव दिखने वाले मामलों में भी नवोन्मेषी समाधान अपनाए जा सकते हैं।
 • यह सर्जरी भारत में बहु–विषयक (multidisciplinary) ट्रॉमा केयर प्रणाली — जिसमें प्लास्टिक सर्जरी, आर्थोपेडिक्स, वास्कुलर सर्जरी और एनेस्थीसिया शामिल हैं — को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल देती है।
 स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: भारत में सूक्ष्म शल्य चिकित्सा (Microsurgery) के क्षेत्र में अग्रणी प्रो. एस. राजा सबापथी की टीम ने 2020 में कोयंबटूर में क्रॉस–हैंड रीप्लांटेशन की रिपोर्ट दी थी।
भविष्य की दृष्टि
हालाँकि शारीरिक जोड़ (anatomical continuity) बहाल कर दी गई है, लेकिन मरीज को पूर्ण कार्यात्मक सुधार के लिए कई महीनों या वर्षों तक नियमित फिजियोथेरेपी और निगरानी की आवश्यकता होगी।
सफलता संक्रमण नियंत्रण, मरीज की प्रेरणा और लगातार फॉलो–अप पर निर्भर करेगी।
दीर्घकालिक रूप से, यह मामला भारत में अंग आघात केंद्रों (Limb Trauma Centres), सरकारी अस्पतालों में सूक्ष्म शल्य चिकित्सा कार्यक्रमों, और पुनर्निर्माण तकनीकों में विशेषज्ञ प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने को प्रेरित करेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) | 
| अस्पताल | राजीव गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल (RGGGH), चेन्नई | 
| मरीज | 28 वर्षीय प्रवासी मज़दूर (बिहार से) | 
| चोट | बाएँ हाथ का कंधे के पास से विच्छेदन + दाएँ हाथ की उंगलियाँ क्षतिग्रस्त | 
| प्रक्रिया | क्रॉस-हैंड रीप्लांटेशन – बाएँ हाथ को दाएँ अग्र-भुजा से जोड़ना | 
| महत्व | भारत के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार, देश में दूसरा, विश्व में चौथा मामला | 
| सर्जरी अवधि | लगभग 10 घंटे | 
| शामिल टीम | बहु-विषयक: प्लास्टिक, आर्थोपेडिक्स, वास्कुलर, एनेस्थीसिया | 
| पुनर्वास फोकस | हड्डी स्थिरीकरण, टेंडन/नस मरम्मत, फिजियोथेरेपी, दीर्घकालिक पुनर्प्राप्ति | 
 
				 
															





