हिंद महासागर में बढ़ता जलस्तर
हिंद महासागर वैश्विक औसत से तेज़ी से गर्म हो रहा है, जिससे समुद्र-स्तर वृद्धि में बड़ा योगदान हो रहा है। इस प्रवृत्ति ने प्रवाल भित्तियों की रोशनी अवशोषण क्षमता घटाई, संरचनाएँ कमजोर कीं और ब्लीचिंग व तटीय कटाव को बढ़ाया। मालदीव, लक्षद्वीप और चागोस जैसे निम्न-स्तरीय द्वीप सबसे अधिक जोखिम में हैं।
Static GK तथ्य: हिंद महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है और एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को जोड़ता है।
शुरुआती निगरानी प्रयास
इस क्षेत्र में व्यवस्थित समुद्र-स्तर अवलोकन 1980–90 के दशक में TOGA प्रोजेक्ट से शुरू हुए। बाद में इन्हें ग्लोबल सी लेवल ऑब्जर्विंग सिस्टम (GLOSS) में शामिल किया गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, हिंद महासागर में समुद्र-स्तर हर साल लगभग 3.3 मिमी बढ़ रहा है, जो विश्व औसत से अधिक है।
Static GK तथ्य: GLOSS का समन्वय यूनेस्को के इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन द्वारा किया जाता है।
कोरल माइक्रोएटोल्स की भूमिका
कोरल माइक्रोएटोल्स समुद्र-स्तर के प्राकृतिक संकेतक होते हैं। जब ज्वार का न्यून स्तर उनकी ऊर्ध्वाधर वृद्धि को रोकता है, तो वे क्षैतिज रूप से फैलते हैं। उनके ऊपरी हिस्से समुद्र-स्तर उतार-चढ़ाव के दीर्घकालिक अभिलेख बन जाते हैं। मालदीव के महुटिगाला रीफ से लिए गए पॉराइट्स माइक्रोएटोल ने 1930 के दशक से समुद्र-स्तर बदलावों का डेटा उपलब्ध कराया।
शोध तकनीक
वैज्ञानिकों ने कोरल की ऊँचाई और किनारों का नक्शा बनाया, फिर स्लैब निकालकर X-ray स्कैन और यूरेनियम–थोरियम डेटिंग से अध्ययन किया। वृक्ष-वर्षों की तरह परतों से वार्षिक वृद्धि दिखी और सटीक समयरेखा तैयार हुई।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
विश्लेषण से पता चला कि 90 वर्षों में समुद्र-स्तर कुल 0.3 मीटर बढ़ा। वृद्धि का आरंभ 1950 के दशक के अंत में हुआ।
- 1930–59 : 1–1.84 मिमी/वर्ष
- 1960–92 : 2.76–4.12 मिमी/वर्ष
- 1990–2019 : 3.91–4.87 मिमी/वर्ष
मालदीव, लक्षद्वीप और चागोस में पिछले 50 वर्षों में 30–40 सेमी की वृद्धि दर्ज हुई।
पर्यावरणीय और जलवायु संकेतक
कोरल वृद्धि में रुकावटें एल नीनो और इंडियन ओशन डाइपोल के नकारात्मक चरणों से मेल खाती हैं। इसमें 18.6 वर्षीय चंद्र नोडल चक्र के प्रभाव भी दिखे, जो ज्वारीय व्यवहार को प्रभावित करता है। चूँकि यह क्षेत्र टेक्टोनिक रूप से स्थिर है, परिवर्तन सीधे जलवायु और महासागरीय पैटर्न से जुड़े हैं।
Static GK टिप: चंद्र नोडल चक्र का समयावधि 18.6 वर्ष होती है और यह ज्वार को प्रभावित करता है।
भविष्य के लिए महत्व
कोरल माइक्रोएटोल्स प्राकृतिक अभिलेखागार के रूप में काम करते हैं, जो उपग्रह रिकॉर्ड और टाइड गेज को पूरक बनाते हैं। ये दर्शाते हैं कि हिंद महासागर में समुद्र-स्तर वृद्धि असमान है और उस पर दक्षिणी गोलार्ध की हवाओं और ITCZ बदलावों का प्रभाव पड़ता है। यह जानकारी द्वीपीय क्षेत्रों में जलवायु अनुसंधान और अनुकूलन रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| अध्ययन स्थल | महुटिगाला रीफ, मालदीव |
| कोरल प्रकार | पॉराइट्स माइक्रोएटोल |
| पुनर्निर्मित अवधि | 1930–2019 |
| दर्ज वृद्धि | 90 वर्षों में 0.3 मीटर |
| प्रारंभिक वृद्धि | 1950 के दशक के अंत से |
| मालदीव वृद्धि | 50 वर्षों में 30–40 सेमी |
| वार्षिक वृद्धि (MoES) | 3.3 मिमी/वर्ष |
| प्रमुख जलवायु लिंक | एल नीनो, इंडियन ओशन डाइपोल |
| अतिरिक्त संकेत | 18.6 वर्षीय चंद्र नोडल चक्र |
| निगरानी संस्था | ग्लोबल सी लेवल ऑब्जर्विंग सिस्टम |





