परिचय
संविधान (एक सौ तीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2025 संसद में तीव्र बहस का विषय बन गया है। यह विधेयक अनुच्छेद 75 से संबंधित नए प्रावधानों को प्रस्तुत करता है, जो गंभीर अपराधों में निरुद्ध मंत्रियों की अयोग्यता से जुड़ा है। विधेयक को विस्तार से जाँच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
विधेयक के अनुसार, यदि कोई मंत्री ऐसे अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिनों तक निरुद्ध रहता है, जिसकी सजा 5 वर्ष या उससे अधिक है, तो वह मंत्री पद पर नहीं रह सकेगा।
31वें दिन राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री को पद से हटा देंगे। यदि कोई सलाह नहीं दी गई, तो मंत्री स्वचालित रूप से पद खो देगा। हालांकि, विधेयक निरुद्ध मंत्री के रिहा होने के बाद पुनर्नियुक्ति की अनुमति देता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: अनुच्छेद 75 मूल रूप से मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, कार्यकाल और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 75 में संशोधन
यह संशोधन अनुच्छेद 75 में एक नया उपबंध जोड़ने का प्रयास करता है, जिसके तहत गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे मंत्री निरुद्ध होने के 30 दिन बाद पद पर नहीं बने रह सकते। इसे सुशासन और संवैधानिक नैतिकता की दिशा में कदम बताया जा रहा है, ताकि निरुद्ध मंत्री सत्ता का दुरुपयोग न कर सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: अनुच्छेद 75 यह भी कहता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
विपक्ष की चिंताएँ
इस विधेयक का कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि यह निर्दोष मानने की धारणा को कमजोर करता है, क्योंकि सजा का निर्धारण दोषसिद्धि से पहले केवल गिरफ्तारी के आधार पर हो रहा है।
ममता बनर्जी ने चेतावनी दी कि यह संघवाद को कमजोर करेगा, जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने आलोचना की कि इससे कार्यपालिका ही न्यायाधीश और दंडाधिकारी बन जाएगी। विपक्ष ने यह भी आशंका जताई कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके विरोधियों को निशाना बनाया जा सकता है।
संयुक्त संसदीय समिति की भूमिका
विधेयक को दोनों सदनों के सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है। समिति प्रावधानों का अध्ययन करेगी, हितधारकों से परामर्श लेगी और अगली संसदीय बैठक में रिपोर्ट पेश करेगी। इसकी सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं, लेकिन विधायी प्रक्रिया पर बड़ा प्रभाव डालती हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत में पहली JPC का गठन 1969 में भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक की जाँच के लिए हुआ था।
संशोधन के निहितार्थ
यह विधेयक मंत्रियों के लिए एक नई जवाबदेही सीमा तय करता है, लेकिन इससे राजनीतिक अस्थिरता की आशंका भी बढ़ती है। यह विरोधी नेताओं के खिलाफ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल हो सकता है। रिहाई के बाद पुनर्नियुक्ति का प्रावधान कुछ लचीलापन देता है, लेकिन दुरुपयोग की आशंकाओं को पूरी तरह समाप्त नहीं करता।
यह विधेयक सुशासन सुधार और लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलन की निरंतर चुनौती को उजागर करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| संशोधन संख्या | 130वाँ |
| पेश करने का वर्ष | 2025 |
| संबंधित अनुच्छेद | अनुच्छेद 75 |
| अयोग्यता की शर्त | मंत्री 30 दिन लगातार निरुद्ध |
| न्यूनतम दंड मानदंड | 5 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध |
| हटाने का अधिकार | राष्ट्रपति (मुख्यमंत्री की सलाह पर) |
| स्वचालित हटाना | 31वें दिन से यदि कोई सलाह न मिले |
| पुनर्नियुक्ति प्रावधान | रिहाई के बाद पुनर्नियुक्त हो सकता है |
| निगरानी निकाय | संयुक्त संसदीय समिति (JPC) |
| भारत की पहली JPC | 1969, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक |





