स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के लिए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU)
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और आईआईटी मद्रास ने सतत ऊर्जा केंद्र (Centre for Sustainable Energy) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस साझेदारी का उद्देश्य भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा को गति देना और कम-कार्बन प्रौद्योगिकियों (Low-Carbon Technologies) तथा हरित नवाचार (Green Innovation) को प्रोत्साहित करना है।
यह उद्योग और अकादमिक जगत के बीच एक रणनीतिक सहयोग का उदाहरण है जो स्वदेशी स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान को मजबूत करेगा।
स्थिर जीके तथ्य: कोल इंडिया लिमिटेड विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है और यह कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) के अधीन कार्य करती है।
केंद्र के प्रमुख उद्देश्य
नया केंद्र सस्टेनेबिलिटी-आधारित अनुसंधान एवं विकास (R&D) का केंद्र बिंदु होगा। इसके मुख्य उद्देश्य हैं —
• स्वदेशी लो-कार्बन तकनीक का विकास
• त्यक्त कोयला खदानों (Abandoned Mines) का नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग के लिए पुनः उपयोग (Repurposing)
• ऊर्जा विविधीकरण (Energy Diversification) को बढ़ावा देना
इस पहल का लक्ष्य कोल इंडिया के परिचालन कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) को घटाना और नवाचार के माध्यम से भारत की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को मजबूत करना है।
स्थिर जीके टिप: भारत ने COP26 सम्मेलन (ग्लासगो, 2021) में 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य घोषित किया था।
कोल इंडिया की ऊर्जा दृष्टि में परिवर्तन
फॉसिल फ्यूल्स से जुड़ी अपनी पारंपरिक पहचान को बदलते हुए, कोल इंडिया अब हरित ऊर्जा उद्देश्यों को अपने कॉर्पोरेट रणनीति में शामिल कर रही है।
यह कदम भारत की पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत की गई जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
CIL अध्यक्ष पी. एम. प्रसाद ने कहा कि आईआईटी मद्रास के साथ यह सहयोग स्वदेशी स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा और औद्योगिक विकास व पारिस्थितिक स्थिरता के बीच संतुलन सुनिश्चित करेगा।
आईआईटी मद्रास की शैक्षणिक भूमिका
प्रोफेसर वी. कामकोटी के नेतृत्व में आईआईटी मद्रास इस केंद्र की अकादमिक और अनुसंधान रूपरेखा तैयार करेगा।
संस्थान अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करेगा —
• खनन क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण (Renewable Integration)
• स्वच्छ ईंधन और ऊर्जा भंडारण तकनीक (Clean Fuels & Storage)
• ग्रीन हाइड्रोजन विकास (Green Hydrogen Development)
• उत्सर्जन में कमी और कार्बन कैप्चर फ्रेमवर्क (Emission Reduction & Carbon Capture Frameworks)
स्थिर जीके तथ्य: आईआईटी मद्रास की स्थापना 1959 में हुई थी और यह राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों (Institutes of National Importance) में से एक है, जो लगातार NIRF रैंकिंग्स में शीर्ष पर रहता है।
मानव संसाधन और अनुसंधान विकास
यह केंद्र विशेषीकृत शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता निर्माण (Capacity Building) पर भी ध्यान देगा।
इसमें Ph.D., पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप्स, और इंजीनियरिंग छात्रों के लिए प्रशिक्षण अवसर शामिल होंगे।
इससे सतत ऊर्जा समाधान (Sustainable Energy Solutions) और जलवायु अनुसंधान (Climate Research) में निपुण नई पीढ़ी के पेशेवर तैयार किए जाएंगे।
यह उद्योग–अकादमिक साझेदारी भारत को ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) की दिशा में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
स्थिर जीके टिप: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) ने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उद्योग–अकादमिक सहयोग को प्रमुख तत्व के रूप में मान्यता दी है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| एमओयू सहभागी | कोल इंडिया लिमिटेड और आईआईटी मद्रास |
| उद्देश्य | सतत ऊर्जा केंद्र की स्थापना |
| मुख्य फोकस क्षेत्र | लो-कार्बन तकनीक, माइन रीपर्पोज़िंग, ग्रीन हाइड्रोजन, उत्सर्जन में कमी |
| कोल इंडिया मुख्यालय | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
| आईआईटी मद्रास निदेशक | प्रो. वी. कामकोटी |
| वैश्विक प्रतिबद्धता संदर्भ | पेरिस समझौता और भारत के NDC लक्ष्य |
| नेट–ज़ीरो लक्ष्य वर्ष | 2070 |
| निगरानी मंत्रालय | कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) |
| संबंधित शिक्षा नीति | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 |
| रणनीतिक परिणाम | सतत ऊर्जा अनुसंधान के लिए उद्योग और अकादमिक एकीकरण |





