बाल विवाह मामलों में गिरावट
भारत ने 2025 तक बाल विवाह दरों में तेज गिरावट देखी है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों में 69% और लड़कों में 72% मामलों की कमी आई है। यह रिपोर्ट न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की साइड-इवेंट में प्रस्तुत की गई, जिसने भारत की वैश्विक प्रगति को रेखांकित किया।
असम ने 84% की गिरावट के साथ नेतृत्व किया, जबकि महाराष्ट्र और बिहार ने 70-70% की कमी दर्ज की। राजस्थान में 66% और कर्नाटक में 55% की गिरावट दर्ज की गई। बढ़ी हुई गिरफ्तारियों और FIR ने निवारक के रूप में काम किया, वहीं बाल विवाह मुक्त भारत अभियान ने बाल विवाह निरोधक कानूनों के प्रति लगभग सार्वभौमिक जागरूकता पैदा की।
स्थिर जीके तथ्य: भारत में विवाह की कानूनी आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है, जैसा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में प्रावधान है।
शासन और सामाजिक आंदोलनों की भूमिका
यह सफलता भारत सरकार, राज्य प्राधिकरणों और नागरिक समाज संगठनों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन नेटवर्क के अंतर्गत 250 से अधिक NGOs ने सक्रिय योगदान दिया। स्कूलों, पंचायतों और स्थानीय समुदायों में अभियानों ने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाई।
आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पंचायती राज संस्थाओं ने कमजोर परिवारों की पहचान करने और कानून का पालन सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाई। सख्त कानून प्रवर्तन ने त्वरित गिरफ्तारी और FIR सुनिश्चित की, जिससे अपराधियों को हतोत्साहित किया गया।
स्थिर जीके टिप: बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006) ने पुराने बाल विवाह निषेध अधिनियम (1929) या शारदा अधिनियम को प्रतिस्थापित किया।
शिक्षा और उसका प्रभाव
शिक्षा सबसे बड़ा सुरक्षात्मक कारक बनकर उभरी। सर्वेक्षित गाँवों के 31% में 6–18 वर्ष की सभी लड़कियाँ स्कूल जाती थीं। हालांकि, राज्यों में तस्वीर अलग रही। महाराष्ट्र में यह संख्या 51% थी, जबकि बिहार में केवल 9% रही।
फिर भी शिक्षा की राह में कई बाधाएँ हैं: गरीबी (88%), ढाँचे की कमी (47%), सुरक्षा चिंताएँ (42%) और परिवहन की समस्या (24%)। यदि इसमें निरंतर निवेश नहीं हुआ तो उपलब्धियां उलट सकती हैं।
स्थिर जीके तथ्य: बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE) 6–14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करता है।
बाल विवाह के प्रमुख कारण
सर्वेक्षण में 91% उत्तरदाताओं ने गरीबी को मुख्य कारण बताया। परिवार अक्सर आर्थिक बोझ कम करने या सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेटियों की जल्दी शादी कर देते हैं। सांस्कृतिक परंपराएँ भी इस प्रथा को मजबूत करती हैं, लगभग आधे लोगों का मानना है कि विवाह नाबालिगों की रक्षा करता है।
इन मान्यताओं को बदलने के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि आर्थिक सुरक्षा, शिक्षा में सुधार और लैंगिक-संवेदनशील जागरूकता अभियान भी ज़रूरी हैं।
अध्ययन की पद्धति
ये निष्कर्ष पाँच राज्यों के 757 गाँवों से लिए गए, जिससे एक विविध नमूना प्राप्त हुआ। शोधकर्ताओं ने मल्टीस्टेज स्ट्रैटिफाइड रैंडम सैंपलिंग का प्रयोग किया और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं व समुदाय के सदस्यों से जानकारी जुटाई। यह जमीनी डेटा उपलब्धियों और शेष चुनौतियों दोनों को दर्शाता है।
स्थिर जीके टिप: भारत ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय (1989) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें बच्चों को प्रारंभिक विवाह से सुरक्षा देने का प्रावधान है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
रिपोर्ट स्रोत | जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन नेटवर्क |
लड़कियों में गिरावट | 69% |
लड़कों में गिरावट | 72% |
गिरावट में अग्रणी राज्य | असम – 84% |
अन्य प्रगति वाले राज्य | महाराष्ट्र 70%, बिहार 70%, राजस्थान 66%, कर्नाटक 55% |
प्रमुख अभियान | बाल विवाह मुक्त भारत |
मुख्य कारण | गरीबी (91% उत्तरदाता) |
शिक्षा उपस्थिति | 31% गाँवों में सभी लड़कियाँ स्कूल गईं |
अध्ययन का नमूना आकार | पाँच राज्यों के 757 गाँव |
रिपोर्ट जारी होने का अवसर | संयुक्त राष्ट्र महासभा साइड-इवेंट, न्यूयॉर्क |