विलुप्त प्रजाति की वापसी
लगभग पचास वर्षों के बाद, ब्लैकबक (Blackbuck) ने छत्तीसगढ़ की भूमि पर शानदार वापसी की है।
यह संरक्षण प्रयास 2018 में बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य (Barnawapara Wildlife Sanctuary) में छत्तीसगढ़ वन विभाग के नेतृत्व में शुरू हुआ था।
वैज्ञानिक योजना और सतत संरक्षण कार्यों के माध्यम से राज्य ने इस अंटीलोप प्रजाति की जनसंख्या को सफलतापूर्वक पुनर्स्थापित किया — जो भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
Static GK Fact: ब्लैकबक (Antilope cervicapra) आंध्र प्रदेश, हरियाणा और पंजाब का राज्य पशु है तथा इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I (Schedule I) में शामिल किया गया है।
विलुप्ति और उसके कारण
कभी ब्लैकबक छत्तीसगढ़ के घास के मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूमते थे, लेकिन 1970 के दशक तक, आवास विनाश, शिकार और कृषि विस्तार के कारण ये स्थानीय रूप से विलुप्त हो गए।
खुली भूमि के टुकड़ों में बंट जाने और मानव अतिक्रमण से उनके चराई क्षेत्र (Grazing Areas) समाप्त हो गए।
इससे पूरे घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र (Grassland Ecosystem) पर प्रभाव पड़ा, जो संतुलन बनाए रखने में ब्लैकबक पर निर्भर था।
पुनर्स्थापन परियोजना का शुभारंभ
2018 में वन विभाग के मार्गदर्शन में ब्लैकबक पुनर्प्रवेश योजना (Reintroduction Project) शुरू की गई।
इस योजना के तहत 77 ब्लैकबक को दिल्ली और बिलासपुर चिड़ियाघरों से लाया गया।
शुरुआत में इन्हें सॉफ्ट–रिलीज़ बाड़ों (Soft-Release Enclosures) में रखा गया ताकि वे स्थानीय जलवायु और वनस्पति के अनुकूल हो सकें।
धीरे-धीरे उन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ने से तनाव कम हुआ और जीवित रहने की दर (Survival Rate) बढ़ी।
Static GK Tip: बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य महासमुंद जिले में स्थित है, जिसकी स्थापना 1976 में हुई थी और यह लगभग 245 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है।
संरक्षण उपाय और प्रारंभिक चुनौतियाँ
परियोजना के शुरुआती चरण में न्यूमोनिया प्रकोप (Pneumonia Outbreak) जैसी चुनौतियाँ सामने आईं, जिससे कुछ ब्लैकबकों की मृत्यु हो गई।
इसके बाद बाड़ों में जल निकासी, रेत की फर्श, और 24×7 पशु चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई।
इसके साथ ही विशेष निगरानी टीम (Conservation Monitoring Team) का गठन किया गया, जो पोषण, प्रजनन और स्वास्थ्य मूल्यांकन की निगरानी करती है।
आवास प्रबंधन और सुरक्षा
मूल घासभूमि पुनर्स्थापन (Habitat Restoration) के लिए आक्रामक खरपतवारों को हटाकर रामपुर घास जैसी स्थानीय प्रजातियों को फिर से बोया गया।
एंटी–पोचिंग (Anti-Poaching) उपायों के तहत निगरानी मीनारें, कैमरा ट्रैप और रात्रि गश्त (Patrolling) बढ़ाई गई।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी से अवैध शिकार में कमी और संरक्षण जागरूकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
वर्तमान स्थिति और विस्तार योजना
वर्तमान में, अभयारण्य में लगभग 190 ब्लैकबक हैं — जिनमें से 100 खुले में स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं, जबकि शेष रिलीज़ की प्रतीक्षा में हैं।
इस सफलता से प्रेरित होकर राज्य सरकार ने इसे अन्य अभयारण्यों जैसे गोमर्धा वन्यजीव अभयारण्य में भी विस्तारित करने की योजना बनाई है, जहाँ समान घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है।
Static GK Fact: IUCN के अनुसार ब्लैकबक की स्थिति “Least Concern” है, लेकिन भारत में इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कानूनी सुरक्षा (Legal Protection) प्राप्त है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
पुनर्जीवित प्रजाति | ब्लैकबक (Antilope cervicapra) |
परियोजना प्रारंभ वर्ष | 2018 |
प्रारंभिक स्थानांतरण संख्या | 77 ब्लैकबक |
स्रोत स्थान | नई दिल्ली चिड़ियाघर, बिलासपुर चिड़ियाघर |
शामिल अभयारण्य | बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य |
वर्तमान जनसंख्या | लगभग 190 |
जिला | महासमुंद, छत्तीसगढ़ |
विस्तार स्थल | गोमर्धा वन्यजीव अभयारण्य |
IUCN स्थिति | Least Concern |
कानूनी संरक्षण | अनुसूची-I, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 |