अमीबा का खतरा
केरल के कोझिकोड और आसपास के जिलों में निग्लेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं, जिसे आम तौर पर ब्रेन–ईटिंग अमीबा कहा जाता है। यह प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक एक दुर्लभ लेकिन घातक बीमारी पैदा करता है। यह परजीवी नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है जब लोग प्रदूषित मीठे पानी के संपर्क में आते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: Naegleria fowleri की पहचान सबसे पहले 1965 में ऑस्ट्रेलिया में की गई थी।
पिछले और वर्तमान प्रकोप
केरल में इस अमीबा से पहली मौत 2016 में दर्ज हुई थी। लेकिन 2024 के प्रकोप में यह संख्या 29 मामलों तक पहुँच गई। वैश्विक स्तर पर जहां मृत्यु दर 97% से अधिक है, वहीं केरल के डॉक्टरों ने 24 मरीजों को बचाने में सफलता पाई। इसका श्रेय मिल्टेफोसिन नामक एंटी–पैरासिटिक दवा और शुरुआती पहचान को दिया गया।
सुरक्षा नियमों की अनदेखी, जैसे तालाबों में नहाना और पानी में तंबाकू मिलाकर सूंघना, संक्रमण के कारण बने। इसने दिखाया कि सामुदायिक व्यवहार बीमारी फैलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बढ़ते मामलों के पीछे कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण से मामले बढ़े हैं।
- बढ़ते जल तापमान ने अमीबा के लिए अनुकूल माहौल बनाया।
- सीवेज और जैविक कचरे से तालाबों और कुओं का प्रदूषण हुआ।
- बिना उपचारित पानी से जुड़े सांस्कृतिक व्यवहार ने संक्रमण का खतरा बढ़ाया।
स्थिर जीके टिप: केरल अपनी उच्च साक्षरता और स्वास्थ्य सूचकांकों के लिए प्रसिद्ध है, फिर भी नई बीमारियों का खतरा बना हुआ है।
केरल की स्वास्थ्य प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने त्रिवेंद्रम में नई सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला स्थापित की। डॉक्टरों और नर्सों को शुरुआती पहचान के लिए प्रशिक्षण दिया गया। पहले के निपाह वायरस प्रकोप से मिले अनुभव ने प्रणाली को मजबूत बनाया।
इसके बावजूद अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया और गहन चिकित्सा संसाधन PAM रोगियों के लिए समर्पित करने पड़े।
व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताएँ
Naegleria का पता न केवल तालाबों में बल्कि कुओं, टैंकों, मिट्टी और धूल में भी लगा है। यह संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन और शहरी प्रदूषण नए सूक्ष्मजीव खतरों को जन्म दे रहे हैं।
मलेरिया और कॉलरा जैसी बीमारियों पर प्रगति के बावजूद, दुर्लभ संक्रमण अब नई चुनौती बन रहे हैं। इसलिए भविष्य की रणनीतियों में पर्यावरण प्रबंधन, जन–जागरूकता और तेज़ प्रतिक्रिया पर विशेष ध्यान देना होगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| बीमारी | प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) |
| कारक जीव | Naegleria fowleri |
| पहली पहचान | 1965, ऑस्ट्रेलिया |
| केरल का पहला मामला | 2016 |
| बड़ा प्रकोप | 2024 (29 मामले) |
| वैश्विक मृत्यु दर | 97% से अधिक |
| दवा | मिल्टेफोसिन |
| प्रभावित जिले | कोझिकोड और आसपास |
| नई लैब | त्रिवेंद्रम पब्लिक हेल्थ लैब |
| पूर्व अनुभव | निपाह वायरस प्रबंधन |





