रणनीतिक स्वच्छ ईंधन सहयोग
कोचीन पोर्ट प्राधिकरण और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने ₹500 करोड़ के एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत कोच्चि में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) बंकरिंग सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी।
यह घोषणा इंडिया मॅरिटाइम वीक 2025 के दौरान मुंबई में की गई, जिसका उद्देश्य कोच्चि को दक्षिण भारत का पहला एलएनजी बंकरिंग हब बनाना है।
यह समझौता भारत की ग्रीन पोर्ट विकास नीति और स्वच्छ समुद्री संचालन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी और भारत के व्यस्ततम बंदरगाहों में से एक के बीच यह सहयोग शिपिंग उद्योग में सतत ईंधन अवसंरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थिर जीके तथ्य: कोचीन पोर्ट की स्थापना 1928 में की गई थी। यह अरब सागर के तट पर स्थित है और दक्षिण भारत के व्यापार व लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
परियोजना का विवरण और हस्ताक्षरकर्ता
यह सुविधा एलएनजी संचालित और द्वैध ईंधन (Dual-Fuel) जहाजों को सेवाएँ प्रदान करेगी, जिनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों जहाज शामिल होंगे।
सुविधा का निर्माण कोच्चि पोर्ट के बाहरी लंगर क्षेत्र (Outer Anchorage), आंतरिक पोर्ट सीमा (Inner Port Limit) और पेट्रोनेट एलएनजी जेटी पर किया जाएगा।
एमओयू पर कैप्टन हिमांशु शेखर (ट्रैफिक मैनेजर, कोचीन पोर्ट प्राधिकरण) और संजय कारगांवकर (सीजीएम, सेल्स–I&C, BPCL) ने हस्ताक्षर किए।
यह साझेदारी समुद्री ऊर्जा संक्रमण (Maritime Energy Transition) के लिए संस्थागत सहयोग का एक मजबूत संकेत है।
भारत के ग्रीन पोर्ट और डीकार्बोनाइजेशन मिशन में भूमिका
यह एलएनजी बंकरिंग सुविधा भारत की ग्रीन पोर्ट पहल (Green Port Initiative) का हिस्सा है और अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के 2050 डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों के अनुरूप है, जिनका उद्देश्य वैश्विक शिपिंग क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम से कम 50% घटाना है।
एलएनजी एक ऐसा समुद्री ईंधन है जिसमें सल्फर की मात्रा बहुत कम होती है और यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से घटाता है।
यह परियोजना पारंपरिक हेवी फ्यूल ऑयल (HFO) को प्रतिस्थापित करेगी और भारत को नेट-ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ाएगी।
स्थिर जीके टिप: आईएमओ (International Maritime Organization), संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी है जो वैश्विक शिपिंग सुरक्षा और पर्यावरण मानकों को नियंत्रित करती है।
आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव
₹500 करोड़ का यह निवेश निर्माण और संचालन चरणों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगा।
इसके साथ ही यह बंदरगाह की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा और कोच्चि को वैश्विक कार्गो हैंडलिंग का आकर्षक केंद्र बनाएगा।
पर्यावरणीय दृष्टि से, एलएनजी के उपयोग से सल्फर ऑक्साइड (SOx), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कण प्रदूषक (Particulate Matter) में भारी कमी आएगी।
इस परियोजना का संचालन 2025 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का पहला एलएनजी टर्मिनल 2004 में गुजरात के दहेज में पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया था।
राष्ट्रीय मिशनों को बढ़ावा
यह पहल मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशनों को मज़बूती देती है, क्योंकि यह घरेलू ईंधन अवसंरचना को प्रोत्साहित करती है और तेल-आधारित ईंधनों पर आयात निर्भरता को कम करती है।
इस मॉडल के सफल कार्यान्वयन के बाद, भारत के अन्य बंदरगाह भी ग्रीन मॅरिटाइम हब के रूप में विकसित किए जा सकेंगे।
इस पहल से भारत अपने 2030 स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और सतत तटीय तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सशक्त करने की दिशा में अग्रसर होगा।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण | 
| एमओयू भागीदार | कोचीन पोर्ट प्राधिकरण और बीपीसीएल | 
| परियोजना लागत | ₹500 करोड़ | 
| उद्देश्य | कोच्चि में एलएनजी बंकरिंग सुविधाओं की स्थापना | 
| स्थान | बाहरी लंगर क्षेत्र, आंतरिक पोर्ट सीमा, पेट्रोनेट एलएनजी जेटी | 
| आयोजन | इंडिया मॅरिटाइम वीक 2025, मुंबई | 
| संभावित शुभारंभ | 2025 के अंत तक | 
| प्रमुख लाभ | ग्रीन शिपिंग और स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना | 
| पर्यावरणीय लक्ष्य | आईएमओ 2050 डीकार्बोनाइजेशन उद्देश्यों का समर्थन | 
| राष्ट्रीय पहलें | ग्रीन पोर्ट मिशन, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत | 
| स्थिर जीके तथ्य | कोचीन पोर्ट की स्थापना 1928 में अरब सागर तट पर हुई थी | 
				
															




