अक्टूबर 30, 2025 1:50 अपराह्न

बजरंग सेतु ऋषिकेश में कनेक्टिविटी और पर्यटन में क्रांति ला रहा है

चालू घटनाएँ: बजरंग सेतु, ऋषिकेश, गंगा नदी, लक्ष्मण झूला, सस्पेंशन ब्रिज, उत्तराखंड पर्यटन, लोक निर्माण विभाग (PWD), ग्लास वॉकवे, भूकंप-रोधी डिज़ाइन, बुनियादी ढांचा विकास

Bajrang Setu Revolutionizing Connectivity and Tourism in Rishikesh

गंगा पर आधुनिक इंजीनियरिंग का चमत्कार

बजरंग सेतु भारत का पहला ग्लास सस्पेंशन ब्रिज बनने जा रहा है, जो उत्तराखंड के बुनियादी ढांचा विकास में ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
यह पुल ऋषिकेश में बनाया जा रहा है और 1919 में बने पुराने लक्ष्मण झूला की जगह लेगा, जिसे 2019 में सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया था।
दिसंबर 2025 तक इसके खुलने की संभावना है, जो संस्कृति और आधुनिक तकनीक का सुंदर संगम होगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: गंगा नदी का उद्गम उत्तरकाशी ज़िले के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है।

लक्ष्मण झूला से बजरंग सेतु तक

लक्ष्मण झूला, जो 1929 में बनाया गया था, केवल एक पुल नहीं बल्कि ऋषिकेश की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान था।
वर्षों के उपयोग के बाद इसकी संरचना कमजोर पड़ गई।
इसके स्थान पर नया पुल बनाने के लिए 2020 में DPR तैयार की गई और 2022 में निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग (PWD) के तहत शुरू हुआ।
स्थैतिक जीके टिप: लक्ष्मण झूला का निर्माण ब्रिटिश काल में यूनाइटेड प्रोविंसेज़ सरकार के सहयोग से हुआ था।

डिज़ाइन और प्रमुख विशेषताएँ

बजरंग सेतु की लंबाई 132 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है, जबकि परियोजना की अनुमानित लागत ₹60 करोड़ है।
यह पुल पुराने लक्ष्मण झूला से कुछ नीचे की दिशा में बनाया जा रहा है।
इसमें 5 मीटर चौड़ा स्टील डेक दोपहिया वाहनों के लिए और दोनों किनारों पर 1.5 मीटर चौड़े ग्लास वॉकवे बनाए जा रहे हैं।
66 मिमी मोटे पारदर्शी शीशे के पैनल गंगा नदी का अद्भुत दृश्य प्रदान करेंगे, जिससे यह पुल इंजीनियरिंग और सौंदर्य का मिश्रण बन जाएगा।

निर्माण प्रगति और समयसीमा

अक्टूबर 2025 तक लगभग 90% कार्य पूरा हो चुका है
PWD के कार्यकारी अभियंता प्रवीण कर्णवाल के अनुसार, केवल ग्लास इंस्टॉलेशन बाकी है।
सुरक्षा परीक्षणों के बाद इसे 2026 की शुरुआत में जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा।

सुरक्षा और स्थायित्व

बजरंग सेतु को भूकंप-रोधी मानकों के अनुसार बनाया गया है।
यह पुल बड़ी भीड़ और दोपहिया यातायात को सुरक्षित रूप से वहन करने में सक्षम होगा।
उच्च गुणवत्ता वाले स्टील और सस्पेंशन तकनीक का उपयोग इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और कम रखरखाव सुनिश्चित करेगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: उत्तराखंड भूकंपीय ज़ोन IV और V में आता है, इसलिए सभी प्रमुख परियोजनाओं में भूकंप-रोधी डिज़ाइन अनिवार्य है।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ग्लास वॉकवे और अनूठी डिज़ाइन के कारण यह पुल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
यह राम झूला पर भीड़ कम करेगा और आसपास के क्षेत्रों में कैफे, हस्तशिल्प, स्थानीय व्यापारों को बढ़ावा देगा।
पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार, बजरंग सेतु ऋषिकेश की “योग की राजधानी” वाली पहचान को और सशक्त करेगा।

सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व

यह पुल न केवल संरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रतीकात्मक है।
यह वही स्थान जोड़ता है जहाँ भगवान लक्ष्मण ने गंगा को पार किया था
निर्माण के दौरान नदी पारिस्थितिकी पर प्रभाव को कम करने के लिए सख्त पर्यावरणीय मानक अपनाए गए हैं।
स्थैतिक जीके टिप: ऋषिकेश टेहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 372 मीटर की ऊँचाई पर बसा है।

स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय (Topic) विवरण (Detail)
पुल का नाम बजरंग सेतु
स्थान ऋषिकेश, उत्तराखंड
लंबाई 132 मीटर
चौड़ाई 8 मीटर
परियोजना लागत ₹60 करोड़
निर्माण पूर्णता लक्ष्य दिसंबर 2025
निर्मित नदी पर गंगा नदी
प्रतिस्थापित करता है लक्ष्मण झूला (1929)
निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग (PWD)
मुख्य विशेषता दोनों ओर 1.5 मीटर चौड़ा ग्लास वॉकवे
Bajrang Setu Revolutionizing Connectivity and Tourism in Rishikesh
  1. बजरंग सेतु ऋषिकेश में भारत का पहला ग्लास सस्पेंशन ब्रिज है।
  2. यह 2019 में बंद हुए सौ साल पुराने लक्ष्मण झूला की जगह लेगा।
  3. यह पुल 132 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा है।
  4. लोक निर्माण विभाग (PWD) 2022 से इसके निर्माण की देखरेख कर रहा है।
  5. इसे ₹60 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है।
  6. इस संरचना में दोनों तरफ5 मीटर चौड़े ग्लास वॉकवे शामिल हैं।
  7. 66 मिमी मोटाई वाले ग्लास पैनल गंगा के दृश्य प्रदान करते हैं।
  8. अक्टूबर 2025 तक लगभग 90% निर्माण पूरा हो गया था।
  9. यह पुल दिसंबर 2025 तक जनता के लिए खुल जाएगा।
  10. इसका डिज़ाइन भूकंपरोधी है और यह भूकंपीय क्षेत्र IV मानकों को पूरा करता है।
  11. लक्ष्मण झूला के नीचे स्थित, यह पुल कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा देता है।
  12. यह पुल पास के राम झूला पर यातायात को कम करेगा।
  13. पर्यटक गंगा नदी के पारदर्शी कांच के दृश्यों का आनंद ले सकेंगे।
  14. यह ऋषिकेश पर्यटन का एक नया मील का पत्थर बन जाएगा।
  15. लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता प्रवीण कर्णवाल ने निर्माण कार्य के लगभग पूरा होने की पुष्टि की है।
  16. यह परियोजना नदी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  17. यह परंपरा और आधुनिक वास्तुकला का मिश्रण दर्शाता है।
  18. ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी के रूप में जाना जाता है।
  19. यह पुल दोपहिया वाहनों के आवागमन और पैदल यात्रियों की सुरक्षा में सहायक है।
  20. यह उत्तराखंड के इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक विरासत के आकर्षण को मजबूत करता है।

Q1. ऋषिकेश में बाजरंग सेतु किस पुल की जगह लेगा?


Q2. बाजरंग सेतु परियोजना की कुल अनुमानित लागत कितनी है?


Q3. बाजरंग सेतु के निर्माण की देखरेख कौन-सा विभाग कर रहा है?


Q4. बाजरंग सेतु में उपयोग किए गए कांच के पैनलों की मोटाई कितनी है?


Q5. बाजरंग सेतु को भूकंप-रोधी क्यों बनाया गया है?


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