सीमा विवाद की पृष्ठभूमि
असम–नगालैंड सीमा विवाद 1960 के दशक से जारी है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब 1963 में नगालैंड को असम से अलग कर नया राज्य बनाया गया।
दोनों राज्यों के बीच सीमांकन (boundary demarcation) को लेकर मतभेद बने रहे — विशेषकर गोलाघाट ज़िले के बी सेक्टर जैसे क्षेत्रों में।
पिछले कई दशकों में इन झड़पों में 150 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है और हज़ारों परिवार विस्थापित हो चुके हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: नगालैंड 1 दिसंबर 1963 को भारत का 16वां राज्य बना, जो State of Nagaland Act, 1962 के तहत गठित हुआ था।
अक्टूबर 2025 की हिंसा
2 अक्टूबर 2025 को गोलाघाट ज़िले के बी सेक्टर में सशस्त्र समूहों ने भीषण हमला किया।
लगभग 100 घरों को जला दिया गया, और हमलावरों ने ग्रेनेड जैसे विस्फोटक भी इस्तेमाल किए।
अधिकांश पीड़ित प्रवासी मुस्लिम परिवार थे जिन्होंने रातोंरात अपने गाँव छोड़ दिए।
गोलियों की आवाज़ से पूरे इलाके में दहशत फैल गई और जन-स्थानांतरण (mass displacement) शुरू हो गया।
स्थैतिक जीके टिप: गोलाघाट जिला प्रसिद्ध काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) के लिए जाना जाता है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
तत्काल सरकारी और पुलिस कार्रवाई
हिंसा के बाद सुरक्षा बलों ने तुरंत हस्तक्षेप किया।
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की 155वीं बटालियन को क्षेत्र में भेजा गया ताकि कानून व्यवस्था बहाल हो सके।
जिला पुलिस अधीक्षक (SP) राजेन सिंह के नेतृत्व में जांच शुरू की गई।
सरूपथार के विधायक बिस्वजीत फुकन ने इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
हालांकि, यह घटना सीमा सुरक्षा तंत्र की कमजोरियों और खुफिया चूक को उजागर करती है।
मानवीय प्रभाव
घरों के जल जाने से कई प्रवासी परिवार बेघर हो गए।
भोजन की कमी, मानसिक आघात और शिक्षा का ठहराव जैसी समस्याओं ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
स्कूल, बाज़ार और परिवहन सेवाएँ बाधित हुईं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ी और दोनों राज्यों के बीच अविश्वास बढ़ा।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र लगभग 5,400 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है — बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन जैसे देशों के साथ, जिससे सीमा सुरक्षा अत्यंत जटिल हो जाती है।
सुरक्षा और राजनीतिक चुनौतियाँ
असम–नगालैंड सीमा पूर्वोत्तर की सबसे संवेदनशील सीमाओं में से एक है।
भारी सुरक्षा तैनाती के बावजूद खुफिया कमजोरियाँ सशस्त्र समूहों को मौका देती हैं।
अब तक हुई शांति वार्ताएँ (Peace Talks) स्थायी समाधान नहीं दे पाईं।
जातीय जटिलताएँ और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता इस विवाद को और उलझाती हैं।
स्थायी समाधान के लिए सीमांकन, विश्वास निर्माण (confidence-building) और केंद्र सरकार की मध्यस्थता आवश्यक है।
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
यह हालिया हिंसा इस बात को रेखांकित करती है कि असम–नगालैंड सीमा विवाद का स्थायी समाधान अनिवार्य है।
इसके लिए आवश्यक कदम हैं —
- संयुक्त तंत्रों (Joint Mechanisms) को मजबूत करना
- तटस्थ बलों की अतिरिक्त तैनाती
- विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की योजना तैयार करना
जब तक ये संस्थागत सुधार नहीं किए जाते, तब तक ऐसी घटनाएँ क्षेत्रीय अस्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनी रहेंगी।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
हमले की तारीख | 2 अक्टूबर 2025 |
स्थान | बी सेक्टर, गोलाघाट जिला, असम |
नष्ट हुए घर | लगभग 100 |
पीड़ित | प्रवासी मुस्लिम परिवार |
सुरक्षा प्रतिक्रिया | सीआरपीएफ 155वीं बटालियन, असम पुलिस |
राजनीतिक प्रतिक्रिया | विधायक बिस्वजीत फुकन ने हिंसा की निंदा की |
1960 के दशक से अब तक मौतें | 150 से अधिक |
मूल कारण | असम और नगालैंड के बीच अस्पष्ट सीमा सीमांकन |
नगालैंड राज्य गठन | 1 दिसंबर 1963 |
गोलाघाट का प्रमुख स्थल | काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (UNESCO Heritage Site) |