राष्ट्रीय पाठ्यक्रम पहल
शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि कक्षा 3 से आगे सभी विद्यालयों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (CT) पर आधारित नया पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।
यह पहल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (National Curriculum Framework for School Education – NCF SE 2023) के अनुरूप है, ताकि भारत की शिक्षा प्रणाली डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप रहे।
सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस और एनवीएस जैसी संस्थाओं को इस समावेशी और प्रभावी AI पाठ्यक्रम को तैयार करने में मंत्रालय का सहयोग मिल रहा है।
स्थिर जीके तथ्य: राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) पहली बार 1975 में विकसित की गई थी और इसे 1988, 2000, 2005 और 2023 में संशोधित किया गया।
सीबीएसई और विशेषज्ञ समिति की भूमिका
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
यह समिति छात्रों में रचनात्मकता, विश्लेषणात्मक क्षमता और प्रौद्योगिकी के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने वाले AI और CT पाठ्यक्रम ढाँचे को तैयार कर रही है।
स्थिर जीके टिप: आईआईटी मद्रास, जिसकी स्थापना 1959 में हुई थी, NIRF रैंकिंग में भारत का शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान है।
शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से क्रियान्वयन
इस पहल की सफलता का केंद्र बिंदु शिक्षक प्रशिक्षण (Teacher Preparedness) है।
शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और शिक्षण सामग्री निष्ठा प्लेटफ़ॉर्म (NISHTHA) पर उपलब्ध कराई जाएगी, जो पहले से ही शिक्षा मंत्रालय के तहत भारत का सबसे बड़ा एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण मंच है।
यह डिजिटल संरचना सुनिश्चित करेगी कि देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शिक्षकों को समान गुणवत्ता का प्रशिक्षण मिले, ताकि वे AI और CT अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें।
कम्प्यूटेशनल थिंकिंग की समझ
कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (Computational Thinking) एक संरचित समस्या-समाधान दृष्टिकोण है, जो छात्रों को जटिल समस्याओं को विभाजित कर तार्किक समाधान बनाने में मदद करता है।
इसके चार प्रमुख तत्व हैं —
- विघटन (Decomposition)
 - पैटर्न पहचान (Pattern Recognition)
 - सारकरण (Abstraction)
 - एल्गोरिद्म डिज़ाइन (Algorithm Design)
 
इन अवधारणाओं को प्रारंभिक स्तर पर सीखने से छात्र समझ पाते हैं कि कंप्यूटर और स्वचालन प्रणालियाँ वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान कैसे करती हैं।
डिजिटल कौशल की नींव बनाना
प्रारंभिक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल करना छात्रों में 21वीं सदी के आवश्यक कौशल जैसे क्रिटिकल थिंकिंग, लॉजिकल रीज़निंग और नैतिक जागरूकता विकसित करता है।
यह न केवल उनकी शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाता है, बल्कि प्रौद्योगिकी के प्रति जिम्मेदार और संतुलित दृष्टिकोण भी विकसित करता है।
स्थिर जीके तथ्य: यूनेस्को (UNESCO) ने अपनी Education 2030 एजेंडा के अंतर्गत डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) को वैश्विक शिक्षा परिवर्तन के प्रमुख स्तंभों में से एक माना है।
भविष्य की तैयारी
जैसे-जैसे स्वचालन (Automation) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उद्योगों को नया रूप दे रहे हैं, इन विषयों को प्रारंभिक स्तर पर पढ़ाना छात्रों को भविष्य के रोजगारों के लिए तैयार करता है।
इससे वे डेटा साइंस, रोबोटिक्स और AI-संचालित तकनीकों में आवश्यक कौशल प्राप्त करेंगे।
यह पाठ्यक्रम छात्रों को केवल प्रौद्योगिकी के उपभोक्ता नहीं बल्कि नवप्रवर्तक (Innovators) बनने के लिए प्रेरित करता है — जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की प्रौद्योगिकी-एकीकृत शिक्षा की दृष्टि के अनुरूप है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण | 
| पहल | कक्षा 3 से आगे AI और CT पाठ्यक्रम की शुरुआत | 
| क्रियान्वयन निकाय | शिक्षा मंत्रालय | 
| सहयोगी संस्थान | सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस, एनवीएस, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश | 
| ढाँचा संदर्भ | राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF SE) 2023 | 
| विशेषज्ञ समिति अध्यक्ष | प्रो. कार्तिक रमन, आईआईटी मद्रास | 
| प्रशिक्षण मंच | निष्ठा (NISHTHA) प्लेटफ़ॉर्म | 
| मुख्य तकनीकें | विघटन, पैटर्न पहचान, सारकरण, एल्गोरिद्म डिज़ाइन | 
| प्रमुख लाभ | तार्किक सोच, समस्या-समाधान, नैतिक जागरूकता को बढ़ावा | 
| एनईपी 2020 दृष्टि | प्रौद्योगिकी-समेकित, कौशल-आधारित शिक्षा | 
| स्थिर तथ्य | 18 वर्षों बाद 2023 में NCF का संशोधन (पिछला संस्करण 2005) | 
				
															




